राजस्थान में कफ सिरप त्रासदी: 12 बच्चों की मौत, डॉक्टर गिरफ्तार, कोल्ड्रिफ पर बैन

समग्र समाचार सेवा
जयपुर, 5 अक्टूबर: राजस्थान में हाल ही में कफ सिरप पीने से 12 बच्चों की मौत ने पूरे प्रदेश और देश में चिंता और भय का माहौल बना दिया है। मरने वाले बच्चों में ज्यादातर मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा के थे। इस गंभीर मामले के बाद सरकार ने तुरंत कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर बैन लगा दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।

डॉक्टर की गिरफ्तारी

इस घटना में पहली गिरफ्तारी भी हो चुकी है। छिंदवाड़ा के परासिया के डॉक्टर प्रवीण सोनी को एसपी की स्पेशल टीम ने गिरफ्तार किया है। उनके खिलाफ बीएनएस एक्ट और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट की अलग-अलग धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। डॉक्टर को आधी रात को छिंदवाड़ा के राजपाल चौक से गिरफ्तार किया गया।

डॉक्टर सोनी ने अपने क्लीनिक में बच्चों को कोल्डरिफ और नेस्ट्रो डीएस कफ सिरप दिया था, जिसके कारण उनकी कथित तौर पर किडनी इन्फेक्शन से मौत हुई। इसके अलावा, डॉक्टर ने कम उम्र के बच्चों को सिरप पीने की सलाह दी थी, जिससे यह त्रासदी हुई।

कोल्ड्रिफ पर बैन और राहत पैकेज

तमिलनाडु के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने भी कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर बैन लगाया। मध्य प्रदेश में पिछले 27 दिनों में 11 बच्चों की मौत हुई है। मृत बच्चों की उम्र 1 से 5 साल के बीच है। कोल्ड्रिफ का निर्माण तमिलनाडु के कांचीपुरम में हो रहा था।

राजस्थान के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मृत बच्चों के परिवारों को 4-4 लाख रुपये की मदद देने की घोषणा की है। साथ ही, जो बच्चे बीमार हैं उनके इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाएगी। सीएम मोहन यादव ने साफ कहा कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

केंद्र की एडवाइजरी

देशभर में इस घटना के बाद कफ सिरप को लेकर डर का माहौल बन गया है। कई राज्यों में बच्चों की तबीयत बिगड़ने और मौत के मामले सामने आए हैं। इसके चलते केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं दिया जाए। साथ ही, यदि बड़े बच्चों को कफ सिरप दिया जाता है तो इसे सावधानीपूर्वक और डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

माता-पिता और आम जनता में डर

घटना के बाद माता-पिता में डर और चिंता बढ़ गई है। अस्पतालों में बच्चों को लेकर भारी भीड़ देखी जा रही है। कई अभिभावक अपने छोटे बच्चों को कफ सिरप और अन्य सर्दी खांसी की दवाइयों से दूर रखने की कोशिश कर रहे हैं।

प्रशासनिक कार्रवाई

राजस्थान और मध्य प्रदेश दोनों राज्यों में ड्रग कंट्रोल विभाग और पुलिस टीम ने कंपनियों और क्लीनिकों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी और जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।

यह घटना न केवल बच्चों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि दवाओं के निर्माण और वितरण में नियामकीय खामियों को भी उजागर करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को दवाइयों की खुराक में अधिक सतर्कता और नियमित निगरानी की आवश्यकता है।

 

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