महामारी के दौरान संकट का सामना करने के लिए देश ने असाधारण क्षमता का प्रदर्शन किया: उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 2नवंबर। उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) की आम सभा की 67वीं वार्षिक बैठक की आज अध्यक्षता की। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि सुशासन को आखिरी छोर तक ले जाना चाहिए। सरकार ऐसी नीतियां और कार्यक्रम तैयार कर रही है जिनका उद्देश्य भारत के विकास को तेजी से सुनिश्चित करते हुए लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करके इसे सुख और आरामदायक बनाते हुए बेहतर बनाना है।
उन्होंने कहा कि लोक प्रशासन के सिद्धांत और व्यवहार के लिए समर्पित एक प्रमुख संस्थान के रूप में भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) को वितरण प्रणाली में क्षमता अंतराल को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आईआईपीए देश में शासन सुधारों की नई लहर को उत्प्रेरणा देने के लिए एक उपयुक्त संगठन है।
प्रधानमंत्री जन धन योजना, आयुष्मान भारत बुनियादी संरचना मिशन, आयुष्मान भारत-डिजिटल मिशन और हाल ही में घोषित 100 लाख करोड़ के राष्ट्रीय अवसंरचना मास्टर प्लान, ‘गति शक्ति’ जैसी सरकार की कई पहलों का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत स्पष्ट रूप से परिवर्तनकारी पथ पर है। उन्होंने कहा कि हम लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं, उनकी जरूरतों और अधिकारों, उनके कर्तव्यों और जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम प्रत्येक भारतीय को सामाजिक परिवर्तन का एक सक्रिय धारक बना रहे हैं।
श्री नायडू ने कहा कि सरकार न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन को हासिल करने के लिए सरकार आम जन से दूरी को कम करने के लिए व्यवस्था और सुविधाओं, समस्याओं और समाधानों के बीच की खाई को पाटते हुए कठिनाइयों को दूर कर आम जनता की सुविधा को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि यह कल के भारत को आकार देने में भागीदारों के रूप में निजी क्षेत्र और नागरिक समाज को व्यापक स्तर पर शामिल करके किया जा रहा है।
विभिन्न क्षेत्रों के सर्वांगीण प्रयासों की सराहना करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश असंख्य सिविल सेवकों जो शासन को बदलकर इस परिकल्पना को यथार्थ में परिवर्तित कर रहे हैं, वर्तमान महामारी का मुकाबला करने वाले चिकित्सा पेशेवरों; हमारी सीमाओं की सुरक्षा के लिए रक्षा बलों, हमारी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे सुरक्षा कर्मियों, हमारी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले किसानों और युवा दिमाग को आकार देने वाले शिक्षण संस्थानों का आभारी है। उन्होंने कहा कि वे सभी सरकार और संसद द्वारा बनाए गए प्रगतिशील कानूनों के माध्यम से लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाले घटकों को सकारात्मक परिणामों में बदल रहे हैं।
कोविड-19 महामारी का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि महामारी के दौरान कठिन समय के बावजूद, देश ने संकट का सामना करने के लिए असाधारण क्षमता का प्रदर्शन किया और अपनी आंतरिक शक्तियों का सफलतापूर्वक दोहन करते हुए इन चुनौतियों को अवसरों में बदल दिया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में सुधार किया गया है, दवाओं और टीकों का उत्पादन बढ़ाया गया है और हमने 21 अक्टूबर 2021 को 100 करोड़ टीकाकरण की महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल भी कर लिया है। उन्होंने कहा कि यह मजबूत, रणनीतिक, दूरदर्शी नेतृत्व, सक्षम और समर्पित कार्यान्वयन व्यवस्था का परिणाम है।
टोक्यो ओलंपिक 2020 और टोक्यो पैरालंपिक 2020 में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना खेलों में भी दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का खेलो इंडिया (खेल विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम) प्रतिभा की पहचान करने और खेल के बुनियादी ढांचे के विकास में मदद कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश भर में 1000 खेलो इंडिया सेंटर स्थापित करने की योजना बनाई है और शहरी, ग्रामीण, आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों में खेल और खेल प्रतिभा को बढ़ावा देने के लिए दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय खेल कल्याण कोष, राष्ट्रीय खेल विकास कोष स्थापित करने का निर्णय लिया है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इस बात की प्रसन्नता है कि आईआईपीए वर्तमान और उभरती चुनौतियों के परिप्रेक्ष्य में स्वयं को पुनर्स्थापित कर रहा है। पिछले वर्ष में आईआईपीए की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि आईआईपीए अब डिजिटल प्रशिक्षण के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान है और मिशन कर्मयोगी का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है, आईआईपीए ने 2020-21 में सफलतापूर्वक 66 ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं और 8353 अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है। उन्होंने कहा कि आईआईपीए ने 60 शोध अध्ययन भी पूरे किए और वर्तमान प्रासंगिकता के विषयों पर 46 वेबिनारों का आयोजन किया है। उन्होंने कहा कि यह क्षमता निर्माण के प्रति आईआईपीए की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
उपराष्ट्रपति ने केंद्रीय मंत्री और आईआईपीए कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष डॉ जितेंद्र सिंह के नेतृत्व की सराहना की और कहा कि आईआईपीए कार्यकारी परिषद को प्रभावी बनाने के लिए पिछले एक वर्ष में आईआईपीए मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन को प्रभावी, कुशल और अधिक प्रतिनिधित्वकारक बनाने के लिए नियमों में कई व्यापक संशोधन किए गए हैं।
केंद्रीय मंत्री और आईआईपीए कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष, डॉ जितेंद्र सिंह, ई.सी. सदस्य, आईआईपीए और छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल, श्री शेखर दत्त, आईआईपीए के महानिदेशक, श्री सुरेंद्र नाथ त्रिपाठी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस वर्चुअल बैठक में भागादारी की।
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