सीपी राधाकृष्णन बने भारत के नए उपराष्ट्रपति, विपक्षी सांसदों की क्रॉस वोटिंग बनी निर्णायक

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10 सितंबर: भारत के नए उपराष्ट्रपति के रूप में सीपी राधाकृष्णन ने सोमवार को जीत हासिल की। एकतरफा मुकाबले में एनडीए उम्मीदवार राधाकृष्णन ने विपक्ष के प्रत्याशी सुदर्शन रेड्डी को 152 प्रथम वरीयता के मतों से पराजित किया। चुनाव नतीजों की घोषणा करते हुए राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी ने बताया कि राधाकृष्णन के पक्ष में कुल 452 वोट पड़े, जबकि सुदर्शन रेड्डी को केवल 300 वोट ही प्राप्त हुए। इस चुनाव में 15 वोट अमान्य पाए गए।

विपक्ष की एकजुटता और क्रॉस वोटिंग का खुलासा

इस चुनाव में विपक्ष के 315 सांसदों ने मतदान में भाग लिया, जैसा कि कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया था। लेकिन नतीजों से स्पष्ट हुआ कि राधाकृष्णन को विपक्षी सांसदों की ओर से 137 अतिरिक्त वोट मिले। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विपक्ष के कुछ सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की।

विशेष बात यह है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में सांसदों को स्वतंत्र रूप से वोट डालने की अनुमति होती है और राजनीतिक दल आम तौर पर व्हिप जारी नहीं करते। इसीलिए राधाकृष्णन को मिली यह बढ़त पार्टियों की लाइन से अलग फैसले को दर्शाती है।

अमान्य वोटों का आंकड़ा

इस साल के उपराष्ट्रपति चुनाव में 15 वोट अमान्य पाए गए। यह आंकड़ा पिछले चुनावों के समान है, जब 2017 में 11 और 2022 में 15 वोट अमान्य रहे थे।

कुल मतदान और निर्वाचन प्रक्रिया

निर्वाचक मंडल में कुल 788 सदस्य थे, जिनमें से राज्यसभा के 245 और लोकसभा के 543 सांसद मतदान के पात्र थे। कुछ सीटों पर रिक्तता के कारण कुल 781 सांसदों ने वोटिंग की।

निर्वाचन अधिकारी पीसी मोदी ने बताया कि मतदान प्रक्रिया निष्पक्ष और शांतिपूर्ण रही। राधाकृष्णन के पक्ष में आने वाले वोटों ने उन्हें स्पष्ट बहुमत दिलाया और उन्हें भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में विजयी घोषित किया गया।

विशेषज्ञों का मानना है कि विपक्ष के कुछ सांसदों की क्रॉस वोटिंग ने इस चुनाव के नतीजों को निर्णायक रूप से प्रभावित किया। राधाकृष्णन के इस जीत ने न केवल एनडीए के लिए एक राजनीतिक मजबूती का संदेश दिया है, बल्कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सांसदों की स्वतंत्रता का भी प्रतीक बन गई है।

 

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