समग्र समाचार सेवा
भोपाल, 26 जून: मध्य प्रदेश की राजनीतिक सतह पर एक बार फिर हलचल दोबारा तेज हो गई है, जब एमपी–एमएलए कोर्ट ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को मानहानि मामले में 21 जुलाई को हाजिरी के लिए नोटिस भेजा। यह मामला पनागर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक सुशील इंदु तिवारी द्वारा दायर मानहानि केस के विरोध में है।
दावा: PDS में कालाबाजारी की बड़ी साजिश
वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान दिग्विजय सिंह ने जबलपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुशील इंदु तिवारी पर PDS से मिलने वाले राशन के 50 फीसदी अनाज की कथित कालाबाजारी का आरोप लगाया था। आरोप में कहा गया कि राशन सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से बाज़ार में बेचा जा रहा है।
बीजेपी का पलटवार: छवि धूमिल करने की कोशिश?
इस आरोप के तुरंत बाद विधायक सुषिल इंदु तिवारी ने एमपी–MLA कोर्ट में मानहानि का केस दायर किया। उनका कहना रहा कि ऐसा गंभीर आरोप उनकी सार्वजनिक छवि को ठेस पहुंचाने वाला है और उन्होंने विशेष न्यायाधिकरण से दिग्विजय सिंह के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की मांग की। कोर्ट ने केस स्वीकारते हुए 21 जुलाई को सुनवाई की तारीख तय की
राजनीतिक वाद-विवाद का नया अध्याय
राजनीतिक गलियारों में इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की गंभीरता का नया अध्याय बताया जा रहा है। कांग्रेस इसे ‘आधारहीन आरोपों पर कार्रवाई की कोशिश’ बता रही है, जबकि बीजेपी इसे विपक्ष की छवि धूमिल करने की रणनीति मान रही है।
आगे क्या होगा: सुनवाई और रणनीति पर नजर
– कोर्ट में प्रस्तुति: 21 जुलाई की सुनवाई में दोनों पक्षों के बयान, साक्ष्य और गवाहों का फोरेंसिक तरीके से परीक्षण होगा।
– राजनीतिक असर: मध्य प्रदेश की सियासत में यह मामला उन चुनावी तैयारियों के बीच आया है जहाँ आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है।
– कुल मिलाकर: यह केस प्रदेश की राजनीतिक बहस को और तेज कर सकता है और आगामी विधानसभा चुनाव में इसकी गूंज सुनाई दे सकती है।
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