सीएसआईआर की विरासत इसकी कई राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और संस्थानों के संचयी योगदान द्वारा बनी है- डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, जो सीएसआईआर के उपाध्यक्ष भी हैं, ने देश भर में फैली 37 वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) प्रयोगशालाओं / संस्थानों में से प्रत्येक में तकनीकी सफलताओं और नवाचारों को प्रदर्शित करने के लिए "एक सप्ताह एक प्रयोगशाला" अभियान की घोषणा की

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27सितंबर। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, जो किCSIR वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के उपाध्यक्ष भी हैं, ने आज देश भर में फैली 37 सीएसआईआर प्रयोगशालाओं / संस्थानों में से प्रत्येक में तकनीकी सफलताओं और नवाचार प्रदर्शन के लिए ” एक सप्ताह एक प्रयोगशाला (वन वीक वन लैब) ” विषय पर आधारित अभियान की घोषणा की ।

देश भर की सभी 37 सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के निदेशकों और विभागाध्यक्षों के पहले वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद नेतृत्व सम्मेलन (सीएसआईआर लीडरशिप मीट) को संबोधित करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सीएसआईआर की विरासत इसकी कई राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और संस्थानों के संचयी योगदान द्वारा बनी है। उन्होंने आगे कहा कि सीएसआईआर की प्रत्येक प्रयोगशाला अद्वितीय है और जीनोमिक्स से भूविज्ञान, सामग्री प्रौद्योगिकी से सूक्ष्मजैविक (माइक्रोबियल) प्रौद्योगिकी और भोजन से ईंधन जैसे विविध क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखती है ।

मंत्री महोदय ने यह भी याद किया कि कैसे पिछले साल कोविड की वैश्विक महामारी के दौरान प्रयोगशालाएँ एक साथ आईं और उन्होंने कई ऐसी तकनीकों का विकास किया जिससे भारत को कोविड के खिलाफ लड़ाई में सहायता मिलीI उन्होंने कहा कि अब बड़े पैमाने पर जनसंचार माध्यम अभियान के माध्यम से प्रत्येक प्रयोगशाला की सफलता की कहानियों को देश के सामने लाया जाना चाहिए।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि ड्रोन, हेलीबोर्न प्रौद्योगिकी, अत्याधुनिक सीवेज सफाई मशीनों, अरोमा मिशन जैसे क्षेत्रों में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की सफलताओं ने अनुसंधान, शिक्षा और उद्योग के बीच सार्थक और समान हिस्सेदारी साझेदारी विकसित करने के लिए बड़े अवसर खोले हैं । मंत्री महोदय ने कहा कि अत्याधुनिक हेली-बॉर्न सर्वेक्षण तकनीक को जल शक्ति मंत्रालय के सहयोग से पिछले साल राजस्थान, गुजरात, पंजाब और हरियाणा राज्यों में लागू किया गया था और यह प्रयास प्रधान मंत्री के स्वप्न और उद्देश्य “हर घर नल से जल” को सकारात्मक योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसी तरह से सीएसआईआर द्वारा व्यापक प्रसार के लिए विकसित मशीनीकृत सीवेज सफाई प्रणाली स्वच्छ भारत मिशन के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी ।

सीएसआईआर के उपाध्यक्ष ने अपने सम्बोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को पिछले 8 वर्षों में बढ़ा हुआ बजट और एक बहुत ही विशेष प्रोत्साहन मिला है तथा वैज्ञानिक गतिविधियों एवं प्रयासों को अब विशेष महत्व दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सभी वैज्ञानिक नवाचारों का अंतिम लक्ष्य आम आदमी के लिए ” जीवन में सुगमता ” लाना है ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने 4,500 से अधिक सीएसआईआर वैज्ञानिकों के एक पूल को अमृत काल में नवाचारों के वैश्विक केंद्रों के रूप में उभरने के लिए संगठन को पुनर्भिविन्यासित (रीओरिएंट) और पुनर्जीवित (रीवाईटेलाइज) करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को ऊर्जा संक्रमण में हाइड्रोजन, कार्बन कैप्चर और उसके भंडारण (स्टोरेज ), सुलभ सौर ऊर्जा, प्लास्टिक पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) और सस्ते ऊर्जा भंडारण जैसे क्षेत्रों में उभरते नवाचारों पर ध्यान देना चाहिए।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ( डीएसटी ) और जैव-प्रौद्योगिकी विभाग ( डीबीटी ) की तर्ज पर प्रगति मैदान में एक विज्ञान मंडप होना चाहिए। उन्होंने सीएसआईआर के महानिदेशक से देश के विभिन्न हिस्सों में सीएसआईआर- प्रदर्शनियां ( एक्सपो) आयोजित करने का भी आग्रह किया, ताकि अन्य हितधारकों के अलावा विभिन्न राज्यों और उद्योगों द्वारा अपने तकनीकी कौशल का प्रदर्शन किया जा सके ।

अपने सम्बोधन के अंत में डॉ. जितेंद्र सिंह ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसन्धान परिषद ( सीएसआईआर) एवं सभी विज्ञान विभागों को अगले दस वर्षों में भारत को तकनीकी उपलब्धियों और नवाचारों में विश्व स्तर पर अग्रणी देश बनाने के लिए आवश्यक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ( एस एंड टी ) नवाचारों का पता लगाने के लिए कहा। मंत्री महोदय ने कहा कि ” हमें अपनी महत्वाकांक्षा को भारत में सर्वश्रेष्ठ होने तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए बल्कि हमे दुनिया में सर्वश्रेष्ठ होना चाहिए क्योंकि भारत युवाओं के जनसांख्यिकीय लाभांश से परिपूर्ण है और वे सही प्रशिक्षण और प्रेरणा के साथ किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं । ”

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसन्धान परिषद ( सीएसआईआर ) की महानिदेशक ( डीजी ) डॉ. एन. कलैसेल्वी ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि 21वीं शताब्दी भारत की और भारत के लिए होने जा रही है । उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी समुदाय को इस अवसर पर आगे चाहिए और भारत को वैश्विक क्षेत्र में एक सम्मानित नाम बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।

कई स्मारक गतिविधियों और पुरस्कारों की घोषणा के साथ वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसन्धान परिषद ( सीएसआईआर ) शीघ्र ही अपनी स्थापना के आठ दशकों का उत्सव मनाएगी ।

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