पार्थसारथि थपलियाल
( हाल ही में 21 सितंबर से 24 सितंबर 2022 तक श्रीमंता शंकरदेव कलाक्षेत्र गोहाटी में तीसरे लोकमंथन का आयोजन किया गया। इस दौरान बहुत महत्वपूर्ण सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित की गई। प्रस्तुत है लोकमंथन की उल्लेखनीय गतिविधियों पर सारपूर्ण श्रृंखलाबद्ध प्रस्तुति)
लोक शब्द के कई संदर्भ हैं। भू-लोक, स्वर्ग लोक, लोक संस्कृति, लोक मान्यता, लोक परंपरा आदि शब्द भी हमें दिखाई-सुनाई देते हैं। कुछ लोग इसे अंग्रेज़ी के Folk शब्द के बराबर रखते हैं। लोक शब्द लोगों का आभास तो देता है लेकिन लोक शब्द अमूर्त है। वेद में जब कहा गया “लोका समस्ता सुखिनो भवन्तु” तब भी अमूर्त समूह ही है। लोकमंथन इस श्रृंखला में विविधताओं से भरे भारत की सांस्कृतिक परम्पराओं के संरक्षण, संवर्धन और पल्लवन पर चिंतन मनन कर उसके सांस्कृतिक पक्ष को जानना और उसे पोषित करने का प्रयास लोकमंथन का महत्वपूर्ण पक्ष है।
“प्रज्ञा प्रवाह” भारत की ज्ञान परंपरा की राष्ट्रीय नदी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वह धारा है जो बुद्धिशील व्यक्तियों के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना को व्यवहृत करती है। माननीय जे. नंदकुमार जी इस संस्था के राष्ट्रीय संयोजक हैं और संवाद गुरु प्रोफेसर बृजकिशोर कुठियाला अध्यक्ष हैं। प्रज्ञा प्रवाह के साथ भारत के उच्चकोटि के विद्वान, कुलपति, प्रोफेसर, चिकित्सक, वकील, प्रशासनिक अधिकारी, साहित्यकार, फिल्मकार, नाटककार, कलाकार, पत्रकार, सांसद, विधायक आदि लोग अखिल भारतीय स्तर पर जुड़े हुए हैं। प्रज्ञा प्रवाह सन 2016 से दो वर्षों के अंतराल पर एक लोकमंथन कार्यक्रम का आयोजन करता है। पहला लोकमंथन 2016 में भोपाल में आयोजित किया गया। दूसरा लोकमंथन वर्ष 2018 में रांची में आयोजित किया गया। तीसरा लोकमंथन 2020 में होना था लेकिन कोविड 19 के कारण आयोजित न हो सका, जिसे सितंबर 2022 में 21 से 24 तारीख तक गोहाटी में आयोजित किया गया।
लोकमंथन गोहाटी में देश के विभिन्न भागों से आए लोक संस्कृतिविद, लोक कलामर्मज्ञ और प्रदर्शन कलाकारों नें ऐसा समाँ बांधा कि दर्शक देखते-सुनते ही रह गए। उत्तर-पूर्वी राज्यों से जनजातीय कलाकारों ने सबका मन मोह लिया था।
2500 से 3000 के लगभग कलाकारों, कलामर्मज्ञों और विद्वानों ने इस आयोजन में भाग लिया।
21 सितम्बर को सांय 5 बजे संगीतमय प्रस्तुतियों के साथ लोकमंथन का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे असम सरकार में उद्योग, व्यापार और संस्कृति मंत्री श्री बिमल बोरा, विशिष्ठ अतिथि थे मणिपुर से राज्यसभा सांसद महाराजा श्री लीशेम्बा सनाजाओबा, और तीर्थांका दास कालिता, बौद्धिक प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, असम क्ष्रेत्र।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में त्रिबेनी बुजरबरुआ द्वारा भक्ति सांगीत, कलर्स ऑफ नार्थ ईस्ट -कोरियोग्राफिक डांस बाई NEZCC। इसमें असम के बिहू नृत्य, अरुणाचल का रिखम पदा, मणिपुर के ढोल और ढोलक, मेघालय का वांगला, मिज़ोरम का चेराव, नागालैंड का चखेसंग चिकन डांस, सिक्किम का सिंघी छम और त्रिपुरा का होजागिरी नृत्य शामिल था। सांस्कृतिक कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति थी नील आकाश और मंगका लैहुई की लोकप्रसिद्ध गीत रचनाएं।
क्रमशः 2…
Comments are closed.