समग्र समाचार सेवा
पटना, 30 जुलाई: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर INDIA महागठबंधन में सीट बंटवारे का विषय अब एक राजनीतिक पहेली में बदल चुका है। गठबंधन के भीतर सहयोगी दलों की बढ़ती महत्वाकांक्षाएँ और सत्ता में बराबरी की चाह ने इस चर्चित मुद्दे को और जटिल बना दिया है।
तेजस्वी यादव की अगुआई वाली इंडिया गठबंधन की समन्वय समिति अब तक पांच बैठकें कर चुकी है, जिसमें हर बड़े दल ने अपनी सीटों की पूरी सूची साझा की है। बैठक के बाद तेजस्वी यादव ने आशा जताई कि सभी दल आपसी संवाद और समझदारी के साथ सीट बंटवारे का मसला सुलझाने में सफल होंगे।
इसी बीच विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी ने सभा के समूचे तालमेल को चौका दिया। X पर ट्वीट करते हुए उन्होंने साफ संकेत दिया कि VIP 2025 में अकेले 60 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और बाँकी सीटें गठबंधन सहयोगियों को दी जाएँगी। साथ ही, उन्होंने डिप्टी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी भी स्पष्ट की — उनका कहना था कि “एक मल्लाह के बेटे का उपमुख्यमंत्री बनना पूरे समुदाय के लिए सम्मान की बात होगी।” हालांकि ध्यान देने की बात यह है कि VIP के वर्तमान विधानसभा में कोई विधायक नहीं है क्योंकि उनके चार विधायक पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
RJD और वामपंथी दलों के दावे
महागठबंधन में सबसे बड़ा हिस्सेदारी RJD का है, जिसने 2020 में 75 सीटों पर जीत हासिल की थी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार RJD वही संख्या दोहराना चाहेगी। कांग्रेस 2025 में करीब 50 सीटों का दावा कर सकती है, जबकि CPI ने 24 सीटों का प्रस्ताव भेजा है। CPI (ML) ने भी 40–45 सीटों पर संभावित दावा ठोकने की तैयारी की है।
खिंचाव से सतह पर आ रहा असंतोष
राजनीति के जानकारों के अनुसार सीट बंटवारे के इस टकराव से गठबंधन की सामूहिक छवि कमजोर हो सकती है। कई दल, जिनका जमीनी समर्थन सीमित है, वह भी बड़ी संख्या में सीटों की माँग कर रहे हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर विरोध और असहमति बढ़ सकती है।
राजनीतिक संयम बनाम महत्वाकांक्षा
जहां तेजस्वी यादव गठबंधन में सहमति की उम्मीद जता रहे हैं, वहीं मुकेश सहनी जैसी कार्यवाहियों ने गठबंधन की सामंजस्य की सीमा को चुनौती दी है। राजनीतिक विशेषज्ञ इस उभरते मतभेद को गठबंधन की स्थिरता और चुनाव की रणनीति दोनों के लिए जोखिमभरा मान रहे हैं।
दूसरे शब्दों में कहें तो: INDIA गठबंधन अब वर्गीय समीकरण, सामुदायिक प्रतीकों और राजनीतिक महत्वाकांक्षा के बीच संतुलन बनाने की लड़ाई लड़ रहा है। आगे का रास्ता इस बात पर निर्भर करेगा कि क्या सहयोगी दल आपसी सम्मान और संवाद से स्थायी सहमति तक पहुँच सकते हैं या फिर राजनीतिक महत्वाकांक्षा इस गठबंधन को एक अस्थिर मोड़ पर ले जाएगी।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.