छत्तीसगढ़/नई दिल्ली: देश को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त करने के लक्ष्य की ओर एक बड़ा कदम बढ़ाते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार 18 अप्रैल को एक सशक्त संदेश दिया “नक्सली जितना जल्दी हो सके, आत्मसमर्पण करें और मुख्यधारा से जुड़ें।”
यह संदेश सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक आश्वासन और अवसर भी है, उन सभी लोगों के लिए जो अब भी बंदूक के रास्ते को अपनाए हुए हैं। शाह ने साफ तौर पर कहा है कि सरकार 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
गृह मंत्री ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए बताया कि छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए अभियान में 22 कुख्यात नक्सलियों को हथियार और विस्फोटक सामग्री के साथ गिरफ्तार किया गया है। यह कार्रवाई कोबरा कमांडो और छत्तीसगढ़ पुलिस के संयुक्त प्रयासों से की गई। इसके अलावा, सुकमा जिले में 33 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिनमें से 22 नक्सलियों ने हाल ही में हथियार डाले हैं।
शाह ने इन घटनाओं को “नक्सलमुक्त भारत” अभियान की दिशा में एक अहम मील का पत्थर बताते हुए सुरक्षाबलों को उनके साहस और रणनीतिक सफलता के लिए बधाई दी।
गृह मंत्री ने अपने संदेश में यह भी जोड़ा “छिपे हुए नक्सलियों से मेरी अपील है कि मोदी सरकार की आत्मसमर्पण नीति को अपनाएं और जितनी जल्दी हो सके, हथियार डालें।” यह अपील सिर्फ सुरक्षा का मुद्दा नहीं है, बल्कि उन युवाओं को समाज से जोड़ने का प्रयास है जो कभी भ्रमित होकर हिंसा की राह पर चल पड़े थे। सरकार की आत्मसमर्पण नीति उन्हें एक नई ज़िंदगी की शुरुआत का मौका देती है, सम्मानजनक, सुरक्षित और शांतिपूर्ण।
उन्होंने यह भी कहां की ”नक्सल प्रभावित इलाकों में बीते कुछ वर्षों में बदलाव की बयार बह रही है। सड़कें बन रही हैं, स्कूल खुल रहे हैं, और स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ रही हैं। ऐसे में यह सवाल अब नक्सलियों से है क्या आप विकास का हिस्सा बनना चाहेंगे, या पीछे छूट जाना पसंद करेंगे?” देश अब बंदूक नहीं, बदलाव चाहता है। यह समय है जब हम सब मिलकर एक ऐसा भारत बनाएं जहां विचार हो, संवाद हो, लेकिन हिंसा नहीं।
भारत सरकार की यह पहल केवल सुरक्षा बलों की कार्रवाई नहीं है, यह आशा और पुनर्वास का रास्ता भी है। नक्सली भी अगर चाहें तो अपने बच्चों को स्कूल भेज सकते हैं, खेतों में काम कर सकते हैं, और समाज के साथ चल सकते हैं। हथियार छोड़कर हाथ मिलाना ही अब समय की मांग है।
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