समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,16 दिसंबर।
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई दर नवंबर 2024 में घटकर 1.89% पर आ गई, जो तीन महीने का निचला स्तर है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में यह दर 2.36% थी। महंगाई में यह गिरावट मुख्य रूप से खाने-पीने की वस्तुओं, विशेष रूप से सब्जियों की कीमतों में कमी के कारण आई है। पिछले वर्ष नवंबर में यह दर 0.39% थी।
खुदरा महंगाई के आंकड़ों के अनुसार, जो 12 दिसंबर को जारी हुए थे, नवंबर में खुदरा महंगाई दर घटकर 5.48% पर आ गई, जबकि अक्टूबर में यह 6.21% थी। सरकार और उपभोक्ताओं को खाने-पीने की वस्तुओं के दाम में राहत मिलने से स्थिति में सुधार हुआ है।
खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में गिरावट से राहत महसूस की गई। फूड इनफ्लेशन अक्टूबर के 13.54% से गिरकर नवंबर में 8.63% पर आ गया। सब्जियों की महंगाई दर में बड़ी गिरावट देखने को मिली, जो 63.04% से घटकर 28.57% पर पहुंच गई। हालांकि, आलू की कीमतों में उछाल के कारण इनफ्लेशन 82.79% पर पहुंच गया, लेकिन प्याज के मामले में राहत मिली और इसकी महंगाई दर गिरकर 2.85% पर आ गई।
तेल और ऊर्जा क्षेत्र में डिफ्लेशन जारी रहा, जहां यह दर अक्टूबर के -5.79% से थोड़ा बढ़कर -5.83% पर पहुंच गई। वहीं, मैन्युफैक्चर्ड उत्पादों की महंगाई दर अक्टूबर के 1.50% से बढ़कर नवंबर में 2% पर दर्ज की गई।
खुदरा महंगाई के आंकड़े भी सकारात्मक रहे। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित रिटेल इनफ्लेशन नवंबर में 5.48% रहा, जो अक्टूबर में 6.21% था। हालांकि, यह लगातार तीसरा महीना है जब रिटेल इनफ्लेशन 5% से अधिक बना रहा, जबकि सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को महंगाई दर को 2-4% के बीच रखने का लक्ष्य दिया है।
खाने-पीने की वस्तुओं के कारण रिटेल इनफ्लेशन में नरमी आई। नवंबर में खाद्य महंगाई दर 10.9% से घटकर 9% पर आ गई। इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि हाल के महीनों में महंगाई पर नियंत्रण पाने की दिशा में प्रगति हुई है, हालांकि आलू जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी चिंता का विषय बनी हुई है।
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