रक्षा के इंजीनियर्स: राष्ट्र सेवा के 76 गौरवशाली वर्ष

भारतीय रक्षा सेवा इंजीनियर्स का योगदान

  • भारतीय रक्षा सेवा इंजीनियर्स (IDSE) ने 17 सितंबर को अपना 76वां स्थापना दिवस मनाया।
  • रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने इस सेवा की राष्ट्र रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की।
  • IDSE भारत की तीनों सेनाओं और अन्य रक्षा संगठनों के लिए महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण और रखरखाव करती है।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 18 सितंबर, 2025: भारतीय रक्षा सेवा इंजीनियर्स (IDSE) ने 17 सितंबर को दिल्ली कैंटोनमेंट के मानेकशॉ सेंटर में अपना 76वां स्थापना दिवस बड़े ही गौरव के साथ मनाया। इस अवसर पर, रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे, जिन्होंने IDSE के अधिकारियों और कर्मचारियों के समर्पण और योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि IDSE ने अपनी स्थापना से ही राष्ट्र की रक्षा और सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, विशेष रूप से देश के रक्षा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में। उन्होंने भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए नई तकनीकों को अपनाने पर भी जोर दिया, ताकि भारत की सैन्य तैयारियां हमेशा बेहतर और भविष्य के लिए तैयार रहें।

IDSE, जिसे औपचारिक रूप से 17 सितंबर, 1949 को स्थापित किया गया था, एक संगठित ग्रुप ‘ए’ सेवा है। इसके अधिकारी भारतीय सशस्त्र बलों और उनके संबद्ध संगठनों के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के डिजाइन, निर्माण और रखरखाव के लिए जिम्मेदार हैं। यह सेवा न केवल युद्ध के मैदान में बल्कि शांति के समय में भी एक महत्वपूर्ण कड़ी का काम करती है। IDSE के अधिकारी सैनिकों के लिए रहने की व्यवस्था, तकनीकी और प्रशासनिक परिसरों, हवाई अड्डों, हैंगरों, नौसेना के जेट्टी, सैन्य अस्पतालों और DRDO जैसी संस्थाओं के लिए विशेष सुविधाओं सहित अनगिनत परियोजनाओं पर काम करते हैं।

इस सेवा का काम सिर्फ निर्माण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि सभी सैन्य सुविधाएं और उपकरण आधुनिक और भविष्य की जरूरतों के अनुकूल हों। उदाहरण के लिए, सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों और पुलों का निर्माण, जो सैनिकों की आवाजाही को सुगम बनाता है, IDSE का एक महत्वपूर्ण कार्य है। इन इंजीनियर्स ने दुर्गम और चुनौतीपूर्ण भौगोलिक क्षेत्रों में भी काम किया है, जिससे देश की रक्षा क्षमता में वृद्धि हुई है। इनके द्वारा निर्मित मजबूत और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण संरचनाएं भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना को किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रखती हैं।

रक्षा सचिव ने अपने संबोधन में IDSE के अधिकारियों से कहा कि उन्हें लगातार बदलते तकनीकी परिदृश्य के साथ तालमेल बिठाना होगा। आज के समय में, ड्रोन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और अन्य उन्नत प्रौद्योगिकियों का उपयोग निर्माण और निगरानी में तेजी से बढ़ रहा है। IDSE को इन तकनीकों का लाभ उठाना चाहिए ताकि वे अपनी परियोजनाओं को और अधिक कुशल, सुरक्षित और समय पर पूरा कर सकें। यह न केवल उनकी कार्यप्रणाली में सुधार करेगा, बल्कि राष्ट्र की रक्षा तैयारियों को भी नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।

पिछले 76 वर्षों में, IDSE ने दिखाया है कि वे सिर्फ इंजीनियर्स नहीं, बल्कि देश की रक्षा के लिए समर्पित योद्धा भी हैं। उनका काम अक्सर पर्दे के पीछे होता है, लेकिन इसका प्रभाव बहुत बड़ा होता है। यह उनकी कड़ी मेहनत और अटूट समर्पण का ही परिणाम है कि भारत की सैन्य इकाइयां आज विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे पर काम कर रही हैं। यह स्थापना दिवस न केवल उनकी पिछली सफलताओं का जश्न मनाने का अवसर है, बल्कि भविष्य में और भी बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित होने का भी समय है।

 

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