आत्मनिर्भरता से ही बनेगा विकसित भारत, रक्षा क्षेत्र में तेजी से हो रही प्रगति: रक्षा सचिव

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 31 मई: भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने नई दिल्ली में आयोजित एक रक्षा सम्मेलन में कहा कि देश की सामरिक स्वायत्तता बनाए रखने और विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि भारत 2047 तक अपनी अर्थव्यवस्था को चार ट्रिलियन डॉलर से बढ़ाकर 32 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखता है, जिसमें रक्षा उत्पादन और स्थानीय उद्योग का बड़ा योगदान होगा।

पिछले दस वर्षों में भारत ने रक्षा क्षेत्र में जो बदलाव किए हैं, वे प्रभावशाली हैं। 2015 में जहां भारत रक्षा उपकरणों का सबसे बड़ा आयातक था, वहीं अब देश 25 सबसे बड़े निर्यातकों में शामिल हो चुका है। करीब 100 भारतीय कंपनियां अब 100 से ज्यादा देशों को मिसाइल, आर्मर्ड वाहन, जहाज और विमान जैसे रक्षा उपकरण निर्यात कर रही हैं। रक्षा निर्यात दस सालों में 30 गुना बढ़कर 23,622 करोड़ रुपये हो गया है, जो देश की आत्मनिर्भरता की ताकत को दर्शाता है।

उन्होंने यह भी बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में रक्षा मंत्रालय ने अपने आधुनिकीकरण बजट का पूरा उपयोग किया है, और 2 लाख करोड़ रुपये के अनुबंध किए हैं, जो अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। यह कदम सशस्त्र बलों के आधुनिककरण को गति देगा और आने वाले पांच सालों में रक्षा व्यय को जीडीपी के 2.5 प्रतिशत तक पहुंचाने में मदद करेगा।

खरीद प्रक्रियाओं को भी सरल और तेज किया गया है, जिससे समय बचत के साथ-साथ निजी और सार्वजनिक दोनों सेक्टरों को बराबर अवसर मिलेंगे। अब तक के जटिल नियमों को हटाकर प्रतिस्पर्धात्मक मॉडल अपनाया जा रहा है, ताकि नए नवाचार और तकनीक को बढ़ावा मिले।

रक्षा सचिव ने निजी कंपनियों से खास अपील की कि वे अनुसंधान और विकास (R&D) में ज्यादा निवेश करें और अपनी तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमताओं को मजबूत करें। उनका कहना था कि बिना सही उपकरण और विशेषज्ञता के कोई कंपनी रक्षा क्षेत्र में स्थायी योगदान नहीं दे सकती।

इससे साफ है कि भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेज कदम बढ़ा रहा है, जिससे देश की सुरक्षा और आर्थिक विकास दोनों को मजबूती मिलेगी।

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