समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 28अप्रैल। लोकतंत्र के 4 स्तम्भ होते हैं जिसपर किसी भी राज्य या राष्ट्र की इमारत खड़ी होती है। विधायिका (जनप्रतिनिधि), न्यायपालिका (कोर्ट), कार्यपालिका (ब्यूरोक्रेसी) व पत्रकारिता (जर्नलिज्म) वह 4 स्तम्भ हैं। इसमे सबसे मजबूत स्तम्भ होता है विधायिका क्योंकि यह सीधे जनता से चुनकर आते हैं व इनके हुक्म को कार्यपालिका अमल में लाती है।
दिल्ली के धूर्त मुख्यमंत्री को इन स्तम्भों की कमजोरी पूरी तरह पता है। पिछले 3 महीनों में 150 करोड़ के विज्ञापन मीडिया को बांटे इसका अर्थ आप स्वयं समझ सकते हैं इसलिये अधिकतर मीडिया हाउस इनकी खिलाफत नही कर रहे ताकि उनका हिस्सा मिलता रहे। परन्तु कुछ पत्रकार अभी भी बिकाऊ नही इसलिये कुछ सच्ची खबरें बाहर आ ही जाती हैं। इन दिल्ली के मालिक ने (जो स्वयम बाहरी है) न्यायपालिका को खुश करने के लिए 5 स्टार अशोक होटल में जजो के लिए 100 कोविड बेड का प्रबंध करने का आदेश जारी किया। उच्च न्यायालय समझदार हैं इसलिए कमेंट किया कि हमे खुश करने की आवश्यकता नही। जनता त्राहि त्राहि कर रही है आपसे दिल्ली नही सम्भल रही बेहतर है पहले उसे सम्भालो। दिल्ली के मालिक ने सोचा कि विधायिका मेरी व कार्यपालिका मेरे अंतर्गत है। बस न्यायपालिका और मीडिया को खरीद लो,जनता जाए भाड़ में।
शर्म आनी चाहिए केजरीवाल तुमको और उन बिकाऊ पत्रकारों को जो दिल्ली में हुए कत्लेआम को नही देख पा रहे। जनता सब देख रही है पर समझ नही पा रही कि फ्री की बिजली पानी मे उन्होंने क्या खो दिया।
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