दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल को लिखा खुला पत्र, ‘पानी की समस्या’ को लेकर लगाए गंभीर आरोप
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 17अप्रैल। दिल्ली के कथित शराब घोटाले मामले में जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उपराज्यपाल वी.के सक्सेना ने एक खुला पत्र लिखा है. इस लेटर में उपराज्यपाल ने दिल्ली में ‘पानी की समस्या’ से जुड़ी बीते 7 साल की न्यूज सामग्री को इकट्ठा किया है. पत्र की शुरूआत में उपराज्यपाल ने लिखा– वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए आपसे सीधा संवाद संभव नहीं है, इसलिए आपको खुला पत्र लिख रहा हूं. मुझे यकीन है कि आप पीड़ा के इन शब्दों को पढ़ने के लिए समाचार और लाइब्रेरी सुविधाओं का उपयोग करने में सक्षम होंगे.
आतिशी ने अपनी ही सरकार को दोषी ठहराया
उन्होंने ‘आप’ सरकार में मंत्री आतिशी द्वारा पानी के संकट को लेकर लिखे पत्र के जवाब में अरविंद केजरीवाल को लिखा- कि पानी की समस्या को उजागर कर आपकी मंत्री आतिशी ने 9 साल से अधिक की अपनी ही सरकार को दोषी ठहराया है. उपराज्यपाल ने आगे लिखा, कि आतिशी का नोट प्रथम दृष्ट्या अपनी ही सरकार की पिछले लगभग 10 वर्षों की निष्क्रियता और अक्षमता की स्वीकारोक्ति है. उनका पत्र मुझ तक पहुंचने से पहले कई सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म और मीडिया चैनल पर पहुंच चुका था.
उपराज्यपाल ने पत्र में लिखा- यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना दिल्ली के संदर्भ में अपनी तरह का एकमात्र ऐसा मामला नहीं है, बल्कि जल संकट को लेकर ऐसी कई घटनाएं पहले भी मुख्य रूप से सरकार की विफलता के कारण हुई हैं. उन्होंने लिखा- ऐसी घटनाएं साल दर साल एक आवर्ती घटना बन गई हैं और पिछले दस वर्षों में मीडिया में व्यापक रूप से रिपोर्ट की गई हैं. मैं उदाहरण के लिए 2017 से शुरू होने वाली कुछ समाचार कतरनों का स्नैपशॉट संलग्न कर रहा हूं. राजधानी में पानी की समस्या, खासकर उन बस्तियों में जहां गरीब रहते हैं, पिछले एक दशक में और बढ़ गई है.
वी.के सक्सेना ने पत्र में लिखा- दिल्ली के नागरिकों के साथ पानी की उपलब्धता की सही तस्वीर साझा करना महत्वपूर्ण है. दिल्ली विधानसभा के हालिया बजट सत्र में आपके वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. पिछले एक दशक में, जल उपचार क्षमता 906 एमजीडी से मामूली रूप से बढ़कर 946 एमजीडी हो गई, जो मुश्किल से 4.4 प्रतिशत की वृद्धि है. इसी अवधि के दौरान, शहर की आबादी में 15 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. जलापूर्ति में कुल कमी लगभग 290 एमजीडी है. आपूर्ति किए जा रहे कुल पानी में से 120 एमजीडी भूजल निष्कर्षण से आता है, जो भी एक घोर अतिशयोक्ति है. मुझे यकीन है कि आप जानते हैं कि सोलह रैनी कुओं में से पांच गैर-कार्यात्मक हैं. इसी तरह बड़ी संख्या में ट्यूबवेल भी खराब हैं.
उन्होंने आगे लिखा- ‘बेहिसाब पानी’ का प्रतिशत यानी ट्रांसमिशन और वितरण घाटे, पानी की चोरी और बकाया भुगतान न करने के माध्यम से पानी के रिसाव की राशि, 2015 में 45 प्रतिशत से 2022-2023 में 58 प्रतिशत तक तेज वृद्धि देखी गई. निहितार्थ यह है कि 2015 में, 906 एमजीडी पानी के उपचार में से केवल 498 एमजीडी का ही हिसाब था. 2022-23 में, 946 एमजीडी उपचार में से बमुश्किल 397 एमजीडी का हिसाब है. तदनुसार, पिछले एक दशक में, आपकी सरकार की आपराधिक उपेक्षा के कारण शुद्ध जल उपलब्धता में 100 एमजीडी से अधिक की कमी आई है.
80% से अधिक लोगों तक नहीं पहुंच रहा पीने का पानी
उपराज्यपाल ने बताया शहर के लगभग 2.5 करोड़ लोगों में से 2 करोड़ से अधिक (80% से अधिक) लोग अलग-अलग डिग्री में पीने के पानी की आपूर्ति से वंचित हैं. खासकर अनधिकृत कॉलोनियों, झुग्गी बस्तियों और कुछ हद तक संगठित विकसित कॉलोनियों में भी. उन्होंने लिखा- यह केवल इस तथ्य की ओर इशारा करता है कि पिछले दस वर्षों के दौरान लीक को बंद करने के लिए कोई भी प्रयास नहीं किया गया है और हम ‘रिसाव वाली बाल्टी में’ पानी पंप करने में हजारों करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं.
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