दिल्ली सेवा बिल क़ानून बना और केजरीवाल का केज़रीयल का विधवा विलाप…..

*राकेश शर्मा
*राकेश शर्मा

*राकेश शर्मा

दिल्ली का सेवा बिल संसद के दोनो सदनों में पास होकर अब क़ानून बन गया।
इसके राज्य सभा में पास होते ही पूरे देश ने केजरीवाल की रुदाली टीवी पर देखी। यह रुदाली इसलिए नहीं थी की बिल संसद के दोनो सदनों में पास हो गया बल्कि इसलिए भी थी की जिन्होंने उन्हें सपोर्ट करने का वायदा किया था वह भी पाला बदल गये । 105 केजरीवाल के पक्के वोट थे जिसके लिए बीमारों को व्हील चेयर और एम्बुलेंस में भी लाए , पूरे देश का सरकारी खर्चे पर भ्रमण किया लेकिन राज्य सभा में वोट 105 से घटकर 102 ही रह गये।
और सोने पे सुहागा एक और हो गया की आप राज्य सभा सांसद भी वोट के दौरान फर्ज़ीवाडा कर झूठ बोलकर बुरे फँस गए। अपनी आपत्ति को सेलेक्ट कमेटी को भेजने के लिए किसी भी सांसद को अपनी आपत्ति के समर्थन में सांसदों की सहमति के साथ आपत्ति भेजनी होती है । राघव चड्ढा ने पाँच सांसदों की सहमति के बिना उनका नाम उपसभापति के पास समर्थकों की सूची में भेज दिया लेकिन जब यह विषय चर्चा के लिए आया पाँच सांसदों ने खड़े होकर कहा हमारी सहमति के बिना हमारा नाम राघव ने लिख दिया है। अब इसकी इनक्वायरी की जा रही है और राघव के ख़िलाफ़ एक्शन पक्का होगा , सदस्यता भी जा सकती है। आख़िर केजरीवाल का चेला है , झूठ एक ना एक दिन तो पकड़ा ही जाना था। राज्य सभा में भी झूठ और ऐसा फर्जीवाडा कभी नहीं सुना था।
ख़ैर मुद्दे की बात। बहस दोनो तरफ़ से ज़ोरदार रही लेकिन विपक्ष के हर मुद्दे का सत्ता पक्ष ने इक्कीस जवाब दिया।
वह चाहें संविधान का हो, क़ानून का हो , नैतिक हो या जल्दबाज़ी का हो। विपक्ष सत्ता पक्ष का जवाब सुनकर सन्न था लेकिन क्या करता विपक्षी एकजुटता के विवाह का अभी हनीमून भी पूरा नहीं हुआ तो तलाक़ में कुछ समय तो लगेगा ही।
कांग्रेसियों के चेहरे पर चिंता की लकीर तब दिखायी दी जब अमित शाह ने कहा यह सब जो इस बिल में है वह कांग्रेस ने ही पहले ही रूल बनाया हुआ था अब तो केवल क़ानून बनाया जा रहा है।
ख़ैर असली संवाद तो अध्यादेश लाने के जल्दबाज़ी के कारण खोजने पर हुआ।
अमित शाह ने कहा की जल्दबाज़ी उन्होंने नहीं दिखायी बल्कि उन्होंने तो केजरीवाल के भ्रष्टाचार से दिल्ली को बचाने के लिए उन्हें यह अध्यादेश लाना पड़ा।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सेवा के बारे में दिल्ली सरकार की बात से सर्वोच्च न्यायालय ने सहमति तो दिखायी लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय लेने के लिए दो सदस्यीय जजों की खंडपीठ को इस पर निर्णय लेने के लिए कहा और यह भी कहा की यदि चाहे तो केंद्र इस पर क़ानून बना सकता है। सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय ke अनुसार ही क़ानून बनाने की प्रक्रिया पूरी की है। केजरीवाल सरकार ने इन जजों का निर्णय आने से पूर्व ही विजिलेंस के मुख्य सचिव को कर्तव्य मुक्त करते हुए उनके मातहत आने वाले कर्मचारियों को आदेश दिया की सारी रिपोर्ट मंत्री सौरभ भारद्वाज को सीधे करें और यह सब कुछ सर्वोच्च न्यायालय की टिपड्डीं आने के कुछ ही घंटों में कर दिखाया।
ज़ब्दबाज़ी किसने दिखायी। अमित शाह ने बताया की यह सब इसीलिए किया गया की यह विजिलेंस अधिकारी केजरीवाल सरकार के भिन्न भिन्न भ्रष्टाचारों की इनक्वायरी कर रहे थे। जिसमें शराब घोटाला, शीशमहल घोटाला, बिजली घोटाला, जल बोर्ड घोटाला, विज्ञापन घोटाला सब शामिल था। केजरीवाल इन सबकी फाइल ग़ायब कराना चाहते थे जिसके लिए रात बारह बजे उन्होंने मुख्य विजिलेंस अधिकारी का कमरा रात बारह बजे खुलवाकर फ़ाइलें इधर उधर करने की कोशिश करी और यह सब धाँधलेबाज़ी रोकने के लिए ही जल्दबाज़ी में दिल्ली सेवा बिल रूपी अध्यादेश लाना पड़ा।
अब तो बिल क़ानून बन गया है और केजरीवाल के हाथ से बड़े अफ़सरों को धमकाने , बदलने के अधिकार पर अंकुश लग गया है।
अब केजरीवाल आदतन झूठ बोल रहें हैं की मोदी जी देश चलाने के बजाए दिल्ली में चपरासी रखा करेंगे। इतनी रुदाली का हक़ तो बनता है । इस झूठे को मरोगे भी और रोने भी नहीं दोगे । ना ना ऐसा मत करो मोदी जी ।
आज जो संसद में हुआ वह दिल्ली और राष्ट्र के हित में हुआ है। केजरीवाल अपने को अराजक तो कहता ही था और अब भ्रष्टाचारी भी हो गया था। क़ानून के बिना रुक नहीं सकता था। संसद क़ानून बनाने में सक्षम है और यह न्यायसंगत है।

*राकेश शर्मा

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