समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24जून। कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट के उभार ने एक बार फिर भारत से लेकर दुनियाभर कि सरकारों और विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है। डेल्टा प्लस वेरिएंट डेल्टा का म्यूटेशन से आया है। डेल्टा को भारत में दूसरी लहर में तबाही के लिए जिम्मेदार माना जाता है। डेल्टा प्लस वेरिएंट के केस 11 देशों में मिल चुके हैं और यह अल्फा की तुलना में 35-60 फीसदी अधिक संक्रामक है। आइए जानते हैं डेल्टा प्लस से कितना खतरा है और क्या यह तीसरी लहर के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
डेल्टा प्लस (एवाई.1) भारत में सबसे पहले सामने आए डेल्टा (B.1.617.2) में म्यूटेशन से बना है। इसके अलावा K41N नाम का म्यूटेशन जो दक्षिण अफ्रीका में बीटा वेरिएंट में पाया गया था उससे भी इसके लक्षण मिलते हैं। इसलिए यह ज्यादा खतरनाक है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारतीय सार्स कोव-2 जनोमिक्स कंसोर्टियम के हवाले से डेल्टा प्लस को वर्तमान में चिंताजनक बताया है। दरअसल, वायरस के किसी वेरिएंट तब चिंताजनक बताया जाता है जब वह अधिक संक्रामक हो और गंभीर रूप से बीमार कर सकता है। डब्ल्यूएचओ भी इस पर नजर बनाए हुए है।
भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जापान, नेपाल, पोलैंड, पुर्तगाल, रूस, स्विट्जरलैंड और तुर्की में करीब 200 केस मिल चुके हैं। हालांकि, भारत और ब्रिटेन में इससे मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है। भारत में डेल्टा प्लस वेरिएंट को पहली बार 11 जून को पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड बुलेटिन में रिपोर्ट किया गया था।
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने पिछले सप्ताह कहा था कि डेल्टा प्लस राज्य में कोरोना की तीसरी लहर का कारण बन सकता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक डेल्टा प्लस काफी संक्रामक है और फेफड़े की कोशिकाओं के रिसेप्टर से मजबूती से चिपकने में सक्षम है। इसकी वजह से फेफड़े को जल्द नुकसान पहुंचने की संभावना होती है। साथ ही यह मोनोक्लोनल एंडीबॉडी कॉकटेल को भी मात देने में सक्षम है।
एम्स के निदेशक डॉ गुलेरिया ने कहा कि भारत में डेल्टा प्लस वेरिएंट का प्रसार सीमित है, लेकिन हमें सतर्क रहने की जरूरत है। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करके इससे काफी हद तक बचा जा सकता है। डेल्टा प्लस समेत दूसरे वेरिएंट के मद्देनजर अगले 6-8 हफ्ते बेहद महत्वपूर्ण हैं। डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ कोवैक्सीन और कोविशील्ड असरदार हैं। वैक्सीनेशन के बाद अस्पतालों में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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