समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27 जुलाई। रसायन और पेट्रोरसायन विभाग रसायनों और पेट्रोरसायनों के लिए अनिवार्य बीआईएस मानकों को लागू कर रहा है। इस उपाय का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आयातित और घरेलू रूप से उत्पादित दोनों रसायन कड़े गुणवत्ता मापदंडों को पूरा करें। इसके माध्यम से खतरनाक और घटिया उत्पादों के उपयोग को रोका जा सकेगा। भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 2016 की धारा 16 के तहत इन मानकों को अनिवार्य बनाकर, इस पहल का लक्ष्य मानव, पशु और पौधों के स्वास्थ्य की रक्षा करना, पर्यावरण सुरक्षा सुनिश्चित करना, अनुचित प्रथाओं को रोकना और राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देना है।
गुणवत्ता नियंत्रण आदेश
रसायन और पेट्रोरसायन विभाग ने भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 2016 के तहत बीआईएस मानकों को अनिवार्य बनाने के लिए अब तक रसायनों और पेट्रोरसायनों के लिए 72 गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) अधिसूचित किए हैं।
अन्य संबंधित मंत्रालयों की अधिसूचनाएं
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय:
कीटनाशक अधिनियम, 1968 को अधिसूचित किया गया है, जिसका उद्देश्य मनुष्यों या पशुओं के लिए जोखिम को रोकना और कीटनाशकों के आयात, निर्माण, बिक्री, परिवहन, वितरण और उपयोग के विनियमन से संबंधित मामलों को संबोधित करना है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय:
खतरनाक रसायनों के निर्माण, भंडारण और आयात नियम, 1989 (एमएसआईएचसी) और उसके बाद के संशोधनों को अधिसूचित किया गया है। इसमें औद्योगिक प्रक्रियाओं में उपयोग किए जाने वाले खतरनाक रसायनों की पहचान करने के लिए विषाक्तता, ज्वलनशीलता और विस्फोटकता जैसे खतरे के मानदंडों को परिभाषित किया गया है।
एमएसआईएचसी नियम, 1989 के पूरक के रूप में रासायनिक दुर्घटना आपातकालीन योजना, तैयारी और प्रतिक्रिया नियम, 1996 (सीएईपीपीआर नियम, 1996) को भी अधिसूचित किया गया है, जो केंद्र, राज्य, जिला और स्थानीय स्तर पर चार स्तरीय प्रणाली के साथ देश में स्थापित संकट प्रबंधन को वैधानिक बैकअप प्रदान करता है।
उर्वरक क्षेत्र में पहल
उर्वरक क्षेत्र के संबंध में, किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने उर्वरकों को एक आवश्यक वस्तु घोषित किया है और उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 (एफसीओ) को लागू किया है। एफसीओ उर्वरकों की आपूर्ति, वितरण और गुणवत्ता को नियंत्रित करता है। आदेश के तहत, विभिन्न उर्वरकों के विनिर्देश संबंधित अनुसूचियों में निर्दिष्ट किए गए हैं। एफसीओ उन उर्वरकों की बिक्री पर सख्ती से प्रतिबंध लगाता है जो निर्धारित मानक के अनुरूप नहीं हैं। एफसीओ के प्रावधान का कोई भी उल्लंघन आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत दंडात्मक कार्रवाई और एफसीओ के तहत प्रशासनिक कार्रवाई दोनों को लागू करता है।
निर्यात में उतार-चढ़ाव
पिछले पांच वर्षों में, रसायनों, पेट्रोकेमिकल्स और उर्वरकों के समग्र निर्यात में उतार-चढ़ाव देखा गया है:
प्रमुख रसायनों का निर्यात:
वित्त वर्ष 2019-20 में 16,98,384 मीट्रिक टन (एमटी) से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 26,42,179 मीट्रिक टन हो गया। वित्त वर्ष 2022-23 में यह 46,26,765 मीट्रिक टन के उच्चतम स्तर पर था।
प्रमुख पेट्रोकेमिकल्स का निर्यात:
वित्त वर्ष 2019-20 में 87,98,230 मीट्रिक टन से घटकर वित्त वर्ष 2023-24 में 38,50,778 मीट्रिक टन हो गया। वित्त वर्ष 2022-23 में यह 93,34,559 मीट्रिक टन के उच्चतम स्तर पर था।
उर्वरकों का निर्यात:
2019-20 में 3,03,604 मीट्रिक टन से घटकर 2021-22 में 1,54,682 मीट्रिक टन हो गया। फिर 2022-23 में बढ़कर 1,86,148 मीट्रिक टन और 2023-24 में 2,98,762 मीट्रिक टन हो गया। यह जानकारी आज लोकसभा में रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने एक प्रश्न के उत्तर में दी।
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