समग्र समाचार सेवा
पटना, 23 अगस्त: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सूबे का सियासी पारा चरम पर है। एक ओर सत्ता के लिए गठबंधन और रणनीति की चर्चाएँ तेज हैं, तो दूसरी ओर लालू यादव का परिवार भी राजनीतिक हलचल के केंद्र में है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को हाल ही में पार्टी और परिवार, दोनों से बेदखल कर दिया था। इसके बाद से तेज प्रताप लगातार बगावती तेवर में नजर आ रहे हैं।
हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर यह सनसनीखेज दावा किया था कि वे जल्द ही परिवार के “जयचंदों” का नाम उजागर करेंगे। उन्होंने कहा था कि परिवार के पांच लोग मिलकर उनके राजनीतिक करियर को बर्बाद करने की साजिश कर चुके हैं और अब वे इसका पर्दाफाश करेंगे।
लेकिन अब तेज प्रताप अपने ही बयान से पीछे हटते दिख रहे हैं। अल्टीमेटम देने के बाद भी उन्होंने किसी का नाम उजागर नहीं किया। जब इस बाबत उनसे सवाल पूछा गया, तो उन्होंने टालते हुए कहा—
“अब छोड़िए, इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। हम बेगूसराय जा रहे हैं।”
क्या बोले थे तेज प्रताप यादव?
तेज प्रताप यादव ने अपने पोस्ट में लिखा था—
“मेरे राजनीतिक जीवन को पांच परिवार के लोगों ने मिलकर और बड़े स्तर पर षड्यंत्र कर खत्म करने की कोशिश की। मैं जनता के सामने इन सभी का चेहरा और चरित्र उजागर करूंगा। हर षड्यंत्र का सच सामने लाऊंगा।”
हालांकि अब वे इस मुद्दे पर पूरी तरह चुप्पी साध चुके हैं, जिससे राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएँ शुरू हो गई हैं।
बगावती तेवर और नई पार्टी
परिवार और पार्टी से बेदखल होने के बाद तेज प्रताप ने बगावती रास्ता चुन लिया है। उन्होंने घोषणा की है कि वे अगला विधानसभा चुनाव महुआ सीट से लड़ेंगे। इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी खुद की पार्टी ‘जनशक्ति जनता दल’ बनाने का ऐलान भी कर दिया है और इसके रजिस्ट्रेशन के लिए चुनाव आयोग में आवेदन किया है।
यह कदम साफ इशारा करता है कि तेज प्रताप अब अपने राजनीतिक भविष्य की राह अकेले तय करने के मूड में हैं।
क्यों किया गया बेदखल?
तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से बेदखल करने के पीछे वजह एक लड़की का नाम बताया गया। दरअसल, अनुष्का यादव नाम की युवती के साथ उनकी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं। इसके बाद लालू यादव ने सख्त कदम उठाते हुए तेज प्रताप को आरजेडी से निकालने के साथ-साथ परिवार से भी अलग कर दिया।
इसके बाद से ही तेज प्रताप लगातार बयानबाजी कर रहे हैं और कभी परिवार तो कभी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलते रहे हैं।
तेज प्रताप यादव के बयान और उनके बाद की चुप्पी ने बिहार की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। चुनाव से ठीक पहले लालू परिवार की यह कलह न केवल आरजेडी की एकजुटता पर सवाल खड़े कर रही है, बल्कि विपक्षी दलों को भी राजनीतिक हमले का मौका दे रही है। अब देखना यह होगा कि तेज प्रताप अपनी नई पार्टी के साथ किस हद तक असर डाल पाते हैं और क्या उनके “जयचंद” वाले आरोप कभी सचमुच उजागर होंगे या नहीं।
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