डेरेक ओब्रायन का संदेश: उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन को विपक्षी नोटिस स्वीकार करने चाहिए

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10 सितंबर: तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओब्रायन ने बुधवार को स्पष्ट कहा कि भारत के नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति सी. पी. राधाकृष्णन को विपक्षी दलों द्वारा दिए गए नोटिस स्वीकार करने चाहिए, न कि उन पर रोक लगानी चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि ज्यादा से ज्यादा विधेयक संसदीय समितियों को भेजे जाएं और बड़े पैमाने पर सांसदों के निलंबन से बचा जाना चाहिए।

ओब्रायन ने एक विस्तृत ब्लॉगपोस्ट में कहा, “भारत के नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति को शुभकामनाएं। नए उपराष्ट्रपति, जो राज्यसभा के सभापति भी होंगे, के लिए आठ सुझाव हैं। विपक्षी सांसदों को नोटिस देने की प्रक्रिया लोकतंत्र में सरकार को जवाबदेह बनाने का एक महत्वपूर्ण जरिया है।”

विपक्षी नोटिस पर जोर

ओब्रायन ने कहा कि 2009 से 2016 के बीच राज्यसभा में चर्चा के लिए 110 नोटिस स्वीकार किए गए, जबकि 2017 से 2024 के बीच यह संख्या घटकर केवल 36 रह गई। उन्होंने राज्यसभा के नियम 267 का हवाला देते हुए बताया कि कोई भी सदस्य सभापति से उस दिन के लिए सूचीबद्ध कार्य स्थगित करने और राष्ट्रीय महत्व के किसी अत्यावश्यक मुद्दे पर चर्चा कराने का अनुरोध कर सकता है।

उन्होंने कहा, “वेंकैया नायडू और जगदीप धनखड़ के कार्यकाल में, आठ वर्षों में इस नियम के तहत एक भी चर्चा की अनुमति नहीं दी गई।”

सांसदों के निलंबन पर चिंता

डेरेक ओब्रायन ने दिसंबर 2023 में 146 सांसदों के निलंबन का जिक्र करते हुए इसे संदिग्ध रिकॉर्ड बताया। उन्होंने कहा, “यूपीए-1 और यूपीए-2 के 10 वर्षों के दौरान कुल 50 सांसदों को निलंबित किया गया था।” उनका कहना है कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए चिंता का विषय है।

उप-सभापति और पैनल पर सुझाव

ओब्रायन ने यह भी कहा कि राज्यसभा में उप-सभापति के पैनल को किसी ‘सुविधा’ के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। केवल उन्हीं सांसदों को इस दायित्व के लिए चुना जाना चाहिए जिनके पास पर्याप्त अनुभव हो। उनके अनुसार, नामों की घोषणा से पहले संबंधित राजनीतिक दल से अनौपचारिक परामर्श किया जाना चाहिए।

पारदर्शिता और मीडिया कवरेज

ओब्रायन ने यह भी चिंता जताई कि संसद के अंदर विपक्षी सांसदों के विरोध प्रदर्शन के दृश्य सरकारी संसद टीवी पर नहीं दिखाए जाते। उन्होंने कहा, “कार्यवाही के कैमरे और ऑनलाइन संपादन केवल सत्ता पक्ष को ही दिखाते हैं। क्या यह उचित है?”

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि नए सभापति यह सुनिश्चित करें कि अधिक से अधिक विधेयक संसदीय समितियों को भेजे जाएं, ताकि निर्णय प्रक्रिया और पारदर्शी बन सके।

ओब्रायन के ये सुझाव विपक्षी सांसदों के अधिकार और संसदीय लोकतंत्र की मजबूती पर जोर देते हैं, और राज्यसभा की कार्यप्रणाली में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।

 

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