देश का विकास और आत्‍मनिर्भरता जल सुरक्षा और जल कनेक्टिविटी पर निर्भर- प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23 मार्च।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने विश्व जल दिवस के अवसर पर आज नई दिल्‍ली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से‘जल शक्ति अभियान: वर्षा जल संचयन (कैच द रेन)’ अभियान की शुरुआत की। प्रधानमंत्री की उपस्थिति में, केन्‍द्रीय जल शक्ति मंत्री और मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने केन बेतवा लिंक परियोजनाको लागू करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए। यह परियोजना नदियों को आपस में जोड़ने के लिएराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना की पहली परियोजना है। प्रधानमंत्री ने राजस्थान, उत्तराखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात के सरपंचों और वार्ड पंचों के साथ भी बातचीत की।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय जल दिवस पर‘कैच द रेन अभियान’ की शुरुआत के साथकेन-बेतवा लिंक नहर के लिए भी एक बड़ा कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि यह समझौता नदियों को जोड़ने के लिए भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी की परिकल्‍पना और स्‍वप्‍न को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आज का समझौता उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के लाखों परिवारों के हित में होगा। पीएम ने जोर देकर कहा कि जल सुरक्षा और प्रभावी जल प्रबंधन के बिना तेजी से विकास संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत के विकास और भारत की आत्मनिर्भरता की परिकल्‍पना, हमारे जल स्रोतों और हमारी जल कनेक्टिविटी पर निर्भर है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के विकास के साथ जल संकट की चुनौती समान रूप से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि देश कीवर्तमान पीढ़ी की जिम्मेदारीआने वाली पीढ़ियों के लिए अपनी जिम्मेदारी को निभाना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार ने अपनी नीतियों और फैसलों में जल प्रशासन को प्राथमिकता दी है। पिछले 6 वर्षों में, इस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, हर खेत को पानी अभियान, प्रति बूंद अधिक फसल अभियान और नमामि गंगे मिशन, जल जीवन मिशन या अटल भूजल योजना के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि इन सभी योजनाओं पर तेजी से काम किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बेहतर भारत वर्षा जल का प्रबंधन करता है, भूजल पर देश की निर्भरता कम होती है। इसलिए, ‘कैच द रेन’ जैसे अभियानों की सफलता बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों को जल शक्ति अभियान में शामिल किया गया है। उन्होंने मानसून तक जल संरक्षण के प्रयासों को तेजी से आगे बढ़ाने का आह्वान किया। सरपंचों और डीएम / डीसी के महत्व पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि जल शपथ ’जो पूरे देश में आयोजित की जा रही है, हर किसी की प्रतिज्ञा और दूसरा स्‍वभाव बननी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब पानी को लेकर हमारा स्वभाव बदलेगा तो प्रकृति भी हमारा साथ देगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्षा जल संचयन के अलावा, हमारे देश में नदी जल के प्रबंधन पर भी दशकों से चर्चा हुई है। देश को जल संकट से बचाने के लिए अब इस दिशा में तेजी से काम करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि केन-बेतवा लिंक परियोजना भी इस दृष्टि का हिस्सा है। उन्होंने इस परियोजना को वास्तविकता बनाने के लिए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार दोनों की सराहना की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि डेढ़ साल पहले, हमारे देश के 19 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से सिर्फ साढ़े तीन करोड़ को पीने का पानी मिला। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि जल जीवन मिशन के शुभारंभ के बादइतने कम समय मेंलगभग 4 करोड़ नए परिवारों कोपाइपलाईन के जरिये पेयजल कनेक्शन मिले हैं। उन्होंने कहा कि जन भागीदारी और स्थानीय शासन मॉडल जल जीवन मिशन के मूल में हैं।

प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि आजादी के बाद पहली बार कोई सरकार पानी की जांच को लेकर इतनी गंभीरता से काम कर रही है। उन्होंने बताया कि पानी की जांच के इस अभियान में ग्रामीण बहन-बेटियों को हिस्सेदार बनाया गया है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की अवधि के दौरान, लगभग 4.5 लाख महिलाओं को पानी की जांच के लिए प्रशिक्षित किया गया था। हर गाँव में कम से कम 5 प्रशिक्षित महिलाएँ पानी की जांचकर रही हैं। प्रधानमंत्री ने अंत में कहा कि जल प्रशासन में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के साथ बेहतर परिणाम मिलना निश्चित है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्‍द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि आज एक ऐतिहासिक दिन है जिसे भारत में जल प्रबंधन के इतिहास में सकारात्मक रूप से दर्ज किया जाएगा। श्री शेखावत ने कहा कि केन बेतवा लिंक परियोजना के लिए सर्वसम्मति केन्द्र सरकार के सकारात्मक हस्तक्षेप से प्राप्त की गई जो जल प्रबंधन के क्षेत्र में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में अथक प्रयास कर रही है। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से देश की पहली नदी परियोजना को जोड़ने का मार्ग प्रशस्‍त होगा। यह समझौता अन्य राज्यों के लिए सहकारी संघवाद के सिद्धांतों का पालन करने और उन्‍हें बरकरार रखने के लिए सही मायने में अनुकरणीय है।

श्री शेखावत ने कहा कि देश में जल शक्ति अभियान “जब पानी बरसे, जहां भी बरसे वर्षा जल संचयन” की शुरूआत प्रधानमंत्री ने की है, जिसका उद्देश्य सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ आम जनता में बारिश का पानी के पानी का दोहन करने की क्षमताएँ बनाना है। उन्होंने कहा कि केन्‍द्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे ये सभी उपाय देश में एकीकृत जल प्रबंधन के लिए गंभीरता को दर्शाते हैं।

इस अवसर पर जल शक्तिराज्य मंत्री श्री रतन लाल कटारिया ने कहा कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी का सपना जल्द ही हकीकत में बदलने जा रहा है। उत्‍तर प्रदेश और मध्‍य प्रदेशकेन-बेतवा नदी परियोजना को आपस में जोड़ने की प्रस्‍तावित परियोजना से पानी के बंटवारे पर एक समझौते तक पहुंच गए हैं। उन्होंने राज्यों, एनडब्‍ल्‍यूडीए – राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकरण और जल शक्ति मंत्रालय के सभी अधिकारियों को इस महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने में उनकी ईमानदारी और समर्पण के लिए बधाई दी। उन्‍होंने कहा कि इसके अलावाजल जीव मिशन के तहत चालू घरेलू नल का पानी उपलब्ध कराने का 100% लक्ष्य हासिल करने के लिए अंडमान और निकोबार ने स्वयं को तीसरा राज्य / संघ शासित प्रदेश घोषित किया है।

इस अवसर पर जल शक्ति मंत्रालय में सचिव और अन्‍य प्रमुख लोग भी मौजूद थे। उत्‍तर प्रदेश और मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री इस कार्यक्रम में वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के माध्‍यम से शामिल हुए।

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