धर्मेन्द्र प्रधान ने अमरीकी कारोबारियों को भारत की जैव-ईंधन क्रांति में भागीदार बनने का न्यौता दिया
केन्द्रीय पेट्रोलियम और गैस मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने अमरीकी कारोबारियों को देश की जैव-ईंधन क्रांति में भागीदार बनने का न्यौता दिया है। श्री प्रधान आज नई दिल्ली में अमरीका-भारत रणनीतिक साझेदारी मंच के दूसरे वार्षिक इंडिया लीडरशिप सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
ऊर्जा क्षेत्र के भू राजनयिक परिदृश्य में भारत की भूमिका पर भारत में अमरीका के पूर्व राजदूत टिम रोएमर के साथ चर्चा करते हुए श्री प्रधान ने कहा कि आज भारत दुनिया में ऊर्जा क्षेत्र में निवेश का सबसे आकर्षक स्थल है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वार शुरु किए गए आर्थिक सुधारों से देश में कारोबार करना और आसान हो गया है। उन्होंने ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों से अपील की कि वे अपनी प्रौद्योगिकी और निवेश के माध्यम से भारत की जैव-ईंधन क्रांति में भागीदार बने। उन्होंने कहा कि देश में अब कारोबारी नीतियां खुली और पारदर्शी बनाई जा चुकी है। ऐसे में सभी को यहां निवेश का न्यौता दिया जाता है। निवेश करने वाली कंपनियों से अनुरोध है कि वे अपनी प्रौद्योगिकी, पूंजी और कारोबार का बेहतर मॉडल साथ लेकर आयें।
कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के सरकारी प्रयासों का जिक्र करते हुए श्री प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत नवीकरणीय और कार्बन मुक्त ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है।उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और नवाचार एक स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा वाले भविष्य के लिए गैस आधारित अर्थव्यवस्था के विकास के लिए बड़े बदलाव का माध्यम बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से 175 गीगावॉट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा था जिसे बढ़ाकर आगे 450 गीगावॉट तक कर दिया गया है।
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण की मात्रा को धीरे धीरे बढ़ाया जा रहा है। साल 2015 में जहां यहां मात्रा एक प्रतिशत थी वहीं अब इसे बढ़ाकर 6 प्रतिशत तक ले आया गया है। भविष्य में इसमें और बढ़ोतरी की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार देश में उपलब्ध 600 मेट्रिक टन गैर-जीवाश्म बॉयोमास का भरपूर इस्तेमाल जैव-ईंधन के लिए करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि देश में एथेनॉल बनाने के संयत्र लगान के लिए 10 अरब डॉलर का निवेश करना होगा। पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि अमरीका अपने प्रौद्योगिकी नवाचार और पूंजी संसाधनों का भारत में निवेश कर देश की जैव-ईंधन क्रांति में भागीदार बन सकता है।
भारत-अमरीका साझेदारी का जिक्र करते हुए श्री प्रधान ने कहा कि आज ऊर्जा दोनों देशों के बीच द्पिक्षीय व्यापार का महत्वपूर्ण घटक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि 2014 में अमरीका से कच्चे तेल का आयात न के बराबर था, लेकिन 2018-19 के दौरान तरल प्राकृतिक सहित सभी प्रकार के पेट्रोलियम उत्पादों का आयात 7 अरब डॉलर का रहा जिसके इस साल और बढ़ने की संभावना है।
वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य पर बोलते हुए श्री प्रधान ने कहा कि वैश्विक स्तर पर ऊर्जा खपत में बढ़ोतरी में भारत की बड़ी भूमिका होगी। भारत का जीवंत बाजार प्रचुर संभावनाओं वाला है। दुनिया ऊर्जा के नये मॉडल की ओर बढ़ रही है। ऐसे में ‘हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस विज़न के लिए प्रतिबद्ध है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि भारत दुनिया में ऊर्जा क्षेत्र में बड़े बदलाव का नेतृत्व करे।
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