दिलीप घोष का टीएमसी पर हमला: 2026 में सत्ता लौटने पर बंगाल में बड़े राजनीतिक बदलाव की चेतावनी

समग्र समाचार सेवा
दुर्गापुर, 26 सितंबर: पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर तीखा हमला बोला और चेतावनी दी कि अगर 2026 में टीएमसी सत्ता में लौटती है, तो राज्य में बड़े राजनीतिक बदलाव देखने को मिलेंगे।

दिलीप घोष ने कालीगंज मोड़ पर सड़क किनारे चाय पर चर्चा के दौरान कहा, “अगर 2026 में टीएमसी सत्ता में वापस आई, तो फिरहाद हाकिम को उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग उठेगी। 2031 तक बंगाल में चुनाव सिर्फ एक मुस्लिम मुख्यमंत्री के नेतृत्व में होंगे, जिससे हिंदुओं को बिहार और झारखंड पलायन करना पड़ेगा।”

उन्होंने 2011 के विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि टीएमसी केवल इसलिए सत्ता में आई, क्योंकि उस समय सेना तैनात की गई थी। उन्होंने कहा कि अगर सेना तैनात नहीं होती तो सीपीआई (एम) ने वोट में हेराफेरी कर सत्ता बरकरार रखी होती।

दिलीप घोष ने यह भी दावा किया कि चुनाव आयोग पहले ही एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) सुनिश्चित कर चुका है और हर हाल में केंद्रीय बलों की तैनाती की जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी, “अगर जरूरत पड़ी तो अप्रैल तक राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया जाएगा और दीदी को कालीघाट वापस भेजा जाएगा।”

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि टीएमसी एसआईआर प्रक्रिया से डरती है। उन्होंने इसे सत्तारूढ़ दल के लिए ‘करो या मरो’ की स्थिति बताते हुए कहा, “एक करोड़ वोट रद्द हो जाएंगे और दीदी के पास घर लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।”

इस दौरान, पितृ पक्ष (श्राद्ध काल) के समय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दुर्गा पूजा पंडालों का उद्घाटन करने पर भी उन्होंने निशाना साधा। दिलीप घोष ने कहा, “मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सारे नियम-कायदे बदलने की आदत हो गई है। पूजा हो या न हो, इस पर विवाद करने से कोई फायदा नहीं। उनका अलग पंजिका (पंचांग) है, इसलिए ईद पर दो दिन की छुट्टी दी जाती है। उन्हें कुछ दिन और चलने दीजिए।”

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दिलीप घोष के बयान राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों की राजनीति में BJP और TMC के बीच तनाव को बढ़ा सकते हैं। उनके आरोप और चेतावनियां टीएमसी के नेतृत्व और चुनावी रणनीति पर भी राजनीतिक दबाव डाल सकती हैं।

पश्चिम बंगाल की राजनीतिक परिस्थितियां लगातार बदल रही हैं, और 2026 के चुनावों से पहले इस तरह के बयान दोनों प्रमुख दलों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकते हैं। दिलीप घोष के तीखे आरोप और चेतावनियों ने राज्य की सियासी हलचल को और तेज कर दिया है।

 

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