आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण: जेएनयू में जनभागीदारी पर जोर, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ाव
राष्ट्रीय सेवा भारती और JNU के विशिष्ट आपदा शोध केंद्र का संयुक्त आयोजन
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26 जुलाई: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), दिल्ली में आज, शनिवार, प्रातः 10 बजे राष्ट्रीय सेवा भारती और विशिष्ट आपदा शोध केंद्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय आवासीय “आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रम” का उद्घाटन दीप प्रज्वलन एवं भारत माता पूजन के साथ किया गया।
राष्ट्रीय सुरक्षा से आपदा प्रबंधन का जुड़ाव
अपने प्रास्ताविक भाषण में श्री रमेश अग्रवाल जी (सेवा भारती अध्यक्ष, दिल्ली प्रांत) ने बताया कि राष्ट्रीय सेवा भारती देश के 45 प्रांतों में 800 से अधिक सहयोगी संस्थाओं के साथ मिलकर 1 लाख 38 हजार से अधिक कार्य चला रही है। उद्घाटनकर्ता ले. जन. (रि.) सैयद अता हसनैन जी, सदस्य NDMA, ने आपदा प्रबंधन को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ते हुए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफ्रीकी देशों का उदाहरण दिया। उन्होंने आदरणीय प्रधानमंत्री जी द्वारा घोषित 10-पॉइंट एजेंडा की, जागरूकता और विभिन्न विषयों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की।
सरकार और जनभागीदारी का महत्व
मुख्य अतिथि आईएएस संजीव जिंदल, अतिरिक्त सचिव, गृह मंत्रालय, आपदा प्रबंधन विभाग, भारत सरकार ने विभिन्न आपदाओं, जागरूकता, विशेषकर सचेत और दामिनी जैसे ऐप की जानकारी दी। उन्होंने बल देते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं बल्कि जनभागीदारी जरूरी है।
विशिष्ट आपदा शोध केंद्र के चेयरपर्सन श्रीकेश जी ने बताया कि JNU में डिजास्टर क्लब, स्नातक में भी आपदा प्रबंधन का पाठ्यक्रम शुरू हुआ है। मुख्य वक्ता सुधीर कुमार जी (संगठन मंत्री, राष्ट्रीय सेवा भारती) ने चाणक्य के अर्थशास्त्र में वर्णित 8 प्रकार की दैविक आपदाओं और मानवीय आपदाओं के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने जापान में आधुनिक टेक्नोलॉजी और जनभागीदारी के उदाहरण का उल्लेख किया। आपने सुझाव दिया कि कक्षा 6 से ही आपदा के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए और साथ में कक्षा में डिजास्टर कैप्टन होना चाहिए। ‘एक परिवार एक आपदा के प्रति जागरूक स्वयंसेवक’ अभियान जैसे कार्य किए जा सकते हैं।
प्रमुख व्यक्तियों की उपस्थिति और प्रशिक्षण का उद्देश्य
कार्यक्रम के दौरान संयुक्त महामंत्री विजय पुराणिक जी, विशिष्ट आपदा केंद्र के सहायक प्राध्यापक डॉ. दीप नारायण पांडेय, राम कुमार जी मंत्री, कार्यकारी अधिकारी विकास नाम जोशी जी, कोषाध्यक्ष अनिल माहेश्वरी जी, कृष्ण कुमार जी सहित राष्ट्रीय सेवा भारती के अन्य कार्यकर्ता, सेवा भारती दिल्ली के कार्यकर्ता, JNU के कार्यकर्ता सहित देश के 22 प्रांतों के 80 आपदा प्रबंधन संयोजक एवं सह-संयोजक मौजूद रहे।
यह प्रशिक्षण वर्ग आपदा प्रबंधन की अवधारणा और सामाजिक पहल, NDRF द्वारा प्रत्यक्षण (Demonstration) तथा व्यवहारिक अभ्यास, आपदा प्रभावित समाज में तनाव, घबराहट तथा सदमा प्रबंधन, भीड़, भगदड़ तथा दंगे के दौरान सावधानियां, आपदा प्रबंधन टोली का निर्माण तथा उनके प्रशिक्षण के लिए है।
अतिरिक्त सामग्री: राष्ट्रीय सेवा भारती के बारे में
राष्ट्रीय सेवा भारती एक स्वयंसेवी संगठन है जो “नर सेवा नारायण सेवा” (मनुष्य की सेवा ही भगवान की सेवा है) के सिद्धांत के साथ सामाजिक कल्याण और सामुदायिक सेवा के लिए कार्य करता है। इस संगठन की स्थापना 2003 में की गई थी जो भारत के 45 प्रांतों में 800 से अधिक सहयोगी संस्थाओं के माध्यम से समन्वय करने वाला एक शीर्ष निकाय है। तब से यह विभिन्न सामाजिक पहलों में सक्रिय रूप से शामिल रहा है जो सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को उठाने और सशक्त बनाने के लिए राष्ट्रीय भावना और समर्पित स्वयंसेवकों के सहयोग से एक सामंजस्यपूर्ण, शिक्षित और सभ्य समाज का निर्माण करने का लक्ष्य रखते हैं।
राष्ट्रीय सेवा भारती स्वयंसेवी संगठनों को एक राष्ट्रीय मंच प्रदान करके और जागरण, सहयोग, प्रशिक्षण, अध्ययन (अनुसंधान और विकास) और आपदा प्रबंधन के माध्यम से उनकी क्षमता निर्माण के विषय में कार्य करता है। वर्तमान में राष्ट्रीय सेवा भारती के मार्गदर्शन में कुल 44121 सेवा कार्य चल रहे हैं। इसके साथ ही, समाज की नियमित निःस्वार्थ सेवा के अतिरिक्त, जब भी भारत के किसी हिस्से में कोई गंभीर प्राकृतिक या मानव-निर्मित आपदा होती है, हमारे स्वयंसेवक जितना जल्दी हो सके घटना स्थल पर पहुंचकर पीड़ितों का उचित ध्यान रखते हैं। समय के साथ, राष्ट्रीय सेवा भारती के सहायक संगठनों से उपयुक्त सामग्री तथा संसाधन त्वरित रूप से राहत कार्यों के लिए जुटाए जाते हैं।
राष्ट्रीय सेवा भारती ने नियमित रूप से “आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रम” आयोजित करने का संकल्प लिया है। इस प्रकार के अभी तक तीन प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किए गए हैं, पहला मुंबई, दूसरा भुवनेश्वर तथा तीसरा प्रशिक्षण गाजियाबाद में आयोजित हुआ। इस बीच, इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम कुछ प्रांतों में भी हुए हैं।
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