दिवाली की धूम भारत से लेकर अमेरिका तक, पर कनाडा में विवादों में घिरा त्योहार

समग्र समाचार सेवा

नई दिल्ली, 31 अक्तूबर.

भारत में आज दिवाली का उल्लास चरम पर है। अमेरिका समेत कई देशों में भी दिवाली का जश्न बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। अमेरिका में तो दिवाली पर स्कूलों में छुट्टी तक घोषित कर दी गई है और व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति जो बाइडन ने गर्मजोशी से इस त्योहार का स्वागत किया।

वहीं, दूसरी ओर कनाडा में हालात अलग हैं। भारत संग राजनयिक तनाव के बीच कनाडा दिवाली के इस त्योहार को भी अपनी कूटनीति का हिस्सा बना रहा है। ओटावा स्थित पार्लियामेंट हिल में प्रस्तावित दिवाली समारोह को अचानक रद्द कर दिया गया, जिससे हिंदू समुदाय में गहरी नाराजगी है।

कनाडा के विपक्षी नेता पियरे पॉइलीवरे ने पार्लियामेंट हिल पर होने वाले दिवाली समारोह को रद्द कर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह कार्यक्रम ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ इंडिया कनाडा (OFIC) द्वारा आयोजित किया गया था, और इसकी मेजबानी कंजर्वेटिव सांसद टॉड डोहर्टी को करनी थी। पिछले 23 सालों में यह पहला मौका है जब कनाडा में दिवाली का यह परंपरागत समारोह रद्द कर दिया गया।

समारोह रद्द होने पर कनाडा में रहने वाले हिंदू समुदाय ने गहरी आपत्ति जताई है। ओएफआईसी के अध्यक्ष शिव भास्कर ने पियरे पॉइलीवरे को पत्र लिखकर इस फैसले पर अफसोस व्यक्त किया और कहा कि दिवाली न केवल भारतीय समुदाय बल्कि कनाडा की बहुसांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। उन्होंने इस कदम को विश्वासघात बताते हुए गहरी चिंता व्यक्त की।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी इस बार दिवाली के मौके पर कोई संदेश नहीं दिया और न ही किसी समारोह में शामिल हुए। पिछले वर्ष उन्होंने पार्लियामेंट हिल में आयोजित दिवाली समारोह में शिरकत की थी, लेकिन इस बार खालिस्तानी समर्थकों को खुश करने की कोशिश में ट्रूडो ने चुप्पी साध ली है।

वहीं, अमेरिका में स्थिति बिल्कुल अलग है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने 28 अक्टूबर को व्हाइट हाउस में दिवाली मनाकर भारतीय समुदाय को समर्थन और सम्मान का संदेश दिया। भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती दोस्ती का यह प्रतीकात्मक इशारा दर्शाता है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र एक-दूसरे की संस्कृति का आदर करते हैं।

कनाडा में दिवाली के रद्द समारोह और प्रधानमंत्री ट्रूडो की चुप्पी के बीच यह सवाल उठता है कि क्या कनाडा अपने खालिस्तानी समर्थकों को खुश करने के लिए बहुसांस्कृतिक मूल्यों की अनदेखी कर रहा है?

 

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