समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 2अगस्त। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 31 जुलाई, 2024 को जिनेवा में डब्ल्यूएचओ मुख्यालय में एक दाता समझौते (डोनर एग्रीमेंट) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता गुजरात के जामनगर में स्थित डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर (जीटीएमसी) की गतिविधियों के वित्तीय शर्तों की रूपरेखा तैयार करता है। इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र, जिनेवा में भारत के स्थायी प्रतिनिधि महामहिम अरिंदम बागची और यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज एंड लाइफ कोर्स के सहायक महानिदेशक डॉ. ब्रूस आयलवर्ड ने हस्ताक्षर किए।
आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा इस कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन डब्ल्यूएचओ जीटीएमसी की ए.आई. निदेशक डॉ. श्यामा कुरुविला ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक का प्रतिनिधित्व करने वाली शेफ डी कैबिनेट डॉ. रजिया पेंडसे ने किया।
इस सहयोग के तहत, भारत सरकार 10 वर्षों (2022-2032) की अवधि में गुजरात के जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर (जीटीएमसी) के संचालन का समर्थन करने के लिए 85 मिलियन अमेरिकी डॉलर का दान देगी। यह दाता समझौता डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर को एक प्रमुख ज्ञान केंद्र के रूप में मान्यता देता है, जिसका उद्देश्य लोगों और धरती के स्वास्थ्य एवं कल्याण को आगे बढ़ाना है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी:
25 मार्च, 2022 को आयुष मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ के बीच एक मेजबान देश समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसने गुजरात के जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर को दुनिया भर में पारंपरिक दवा के पहले और एकमात्र वैश्विक आउट-पोस्ट सेंटर के रूप में चिन्हित किया।
डब्ल्यूएचओ-जीटीएमसी का उद्देश्य:
डब्ल्यूएचओ-जीटीएमसी का अंतरिम कार्यालय पहले से ही कामकाज कर रहा है और प्रासंगिक क्षमता-निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है। ये कार्यक्रम डब्ल्यूएचओ अकादमी और अन्य रणनीतिक भागीदारों के साथ साझेदारी में परिसर-आधारित, आवासीय या वेब-आधारित प्रशिक्षण शामिल होंगे।
आयुष मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ का सहयोग:
आयुष मंत्रालय ने डब्ल्यूएचओ के साथ आयुर्वेद, यूनानी एवं सिद्ध प्रणालियों में प्रशिक्षण व अभ्यास के लिए मानक दस्तावेजों का विकास, डब्ल्यूएचओ शब्दावली का निर्माण, रोगों के अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण-11 के पारंपरिक चिकित्सा अध्याय में दूसरे मॉड्यूल की शुरुआत, एम-योग जैसे ऐप का विकास और इंटरनेशनल फार्माकोपिया ऑफ हर्बल मेडिसिन (आईपीएचएम) के लिए समर्थन जैसे विभिन्न मोर्चों पर सहयोग किया है।
वैश्विक स्वास्थ्य में भारत का योगदान:
डब्ल्यूएचओ जीटीएमसी सहित ये सहयोगी प्रयास पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक मंच पर स्थापित करने में भारत की मदद करेंगे। आयुष मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ के संयुक्त प्रयास न केवल भारत को लाभान्वित करेंगे बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडा में भी महत्वपूर्ण योगदान देंगे। इस पहल से पारंपरिक चिकित्सा के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता को मजबूती मिलेगी।
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