डीपीआई ने शासन की धारणा को पूर्ण रूप से बदल दिया है, निष्क्रिय सरकारें अब बड़े लोकतंत्रों की नियति नहीं हैं : राजीव चन्द्रशेखर

केन्‍द्रीय राज्‍य मंत्री राजीव चन्द्रशेखर, विश्व बैंक की "दक्षिण-दक्षिण ज्ञान साझाकरण श्रृंखला" में शामिल हुए

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27सितंबर। केंद्रीय कौशल विकास, उद्यमिता, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने विश्व बैंक द्वारा आयोजित एक वर्चुअल सम्मेलन में भाग लिया, जिसे “दक्षिण-दक्षिण ज्ञान साझाकरण श्रृंखला” के रूप में जाना जाता है। यह कार्यक्रम भारत के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) और अफ्रीकी देशों के लिए विशेष रूप से, इस वर्ष शिखर सम्‍मेलन की भारत की अध्यक्षता के दौरान जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल करने के प्रकाश में, एक प्रेरणादायक मॉडल के रूप में काम करने में भारत की क्षमता पर केंद्रित था।

यह सम्मेलन “डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर: द इंडिया स्टोरी” विषय पर आधारित था और अफ्रीकी संघ के प्रतिनिधियों ने डीआईपी के उन महत्वपूर्ण अवसरों पर प्रकाश डाला, जो डीपीआई उन देशों को उपलब्‍ध करा सकते हैं जिनके नागरिक अभी तक इंटरनेट से नहीं जुड़े हैं।

विचार-विमर्श के दौरान राजीव चन्द्रशेखर ने डीपीआई को अपनाने में भारत की यात्रा को साझा करते हुए बताया कि इसने किस प्रकार लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस विजन पर जोर दिया कि युवा भारतीयों और उद्यमियों के लिए अवसर उपलब्‍ध कराते समय लोगों के जीवन और शासन दोनों को बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करें।

राजीव चन्द्रशेखर ने कहा कि आज हम उस स्तर पर हैं जहां डिजिटलीकरण ने भारतीयों के जीवन को काफी बदल दिया है, चाहे वे डिजिटल रूप से साक्षर हों या नहीं। पहले यह धारणा थी कि लोकतंत्रों में निष्क्रिय सरकारों की नियति होती हैं, लेकिन भारत के मामले में, हमने यह सुनिश्चित किया कि डीपीआई के माध्यम से सभी ‘लीकेज’ बंद कर दिए जाएं।

उन्‍होंने भारत के डीपीआई इकोसिस्‍टम के ‘आधार’ जैसे कुछ प्रमुख तत्वों पर प्रकाश डाला, जो डिजिटल प्रमाणीकरण की रीढ़ के रूप में कार्य करते हैं और सरकारी कल्याण कार्यक्रमों तक पहुंच की सुविधा प्रदान करते हैं। यूपीआई, एक फिनटेक के रूप में वित्तीय समावेशन को बढ़ाती है।

अब तक, भारत ने अपने स्टैक को साझा करने के लिए लगभग आठ देशों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। यह जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में भारत की सफलता का प्रमाण है। जी20 ने डीपीआई आधारित दृष्टिकोण को मान्यता दी है। ऐसा माना जाता है कि जो देश डिजिटलीकरण में पिछड़ गए हैं वे वैश्विक डीपीआई रिपोजिटरी का लाभ उठा सकते हैं। भारत इस बात के लिए एक वैश्विक केस स्टडी के रूप में कार्य करता है कि प्रौद्योगिकी किस प्रकार लोगों के जीवन को व्‍यापक रूप से प्रभावित कर सकती है। भारत अपने अनुभवों को साझा करने और अन्य देशों के साथ सहयोग करने के लिए उन्हें भारत का स्टैक और डिजिटल सार्वजनिक वस्‍तुओं की पेशकश करने के लिए भी उत्सुक है। यह ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के विजन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप है, जो एक वैश्विक परिवार के रूप में सभी देशों को सशक्त बनाने के साधन के रूप में प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देता है। इसका व्यापक लक्ष्य इंटरनेट को सक्षम बनाना, परिवर्तन, लचीलापन और सुरक्षा को बढ़ावा देना है।

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