डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा- भारतीय भू-स्थानिक बाजार का आकार 2025 तक 36,000 करोड़ रुपये को पार कर जाएगा
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 16 फरवरी। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय , कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा है कि मोदी सरकार की स्वामित्व योजना के अंतर्गत ड्रोन के साथ भू-स्थानिक तकनीक भारत के सभी 6 लाख से अधिक गांवों का सर्वेक्षण करेगी। इसके साथ ही 100 भारतीय शहरों के लिए अखिल भारतीय त्रि-आयामी (3डी) मानचित्र तैयार किया जाएगा जो गेम चेंजर सिद्ध होगा।
भू-स्थानिक डेटा के विमोचन की पहली वर्षगांठ के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि भू-स्थानिक प्रणाली, ड्रोन नीति और खुला अंतरिक्ष क्षेत्र की त्रिमूर्ति (ट्रिनिटी) भारत के भावी आर्थिक प्रगति की पहचान होगी। उन्होंने कहा कि यह 5 ख़रब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय मिशन-मोड परियोजनाओं में इन उभरती हुई प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए भारत सरकार द्वारा रणनीतिक दवाब के अनुरूप है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. एस.चंद्रशेखर, भू-स्थानिक उद्योग परिसंघ (एसोसिएशन ऑफ जियोस्पेशियल इंडस्ट्रीज –एजीआई) के अध्यक्ष श्री अगेंद्र कुमार जियोस्पेशियल वर्ल्ड के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री संजय कुमार, मैपमाईइण्डिया के अध्यक्ष एवं महाप्रबंधक श्री राकेश वर्मा, जेनेसिस के अध्यक्ष एवं महाप्रबंधक श्री साजिद मलिक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर के प्रोफेसर भरत लोहानी, गूगल के प्रतिनिधि, हेक्सागोन और अन्य उद्योगों के सदस्य तथा अधिकारी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भू-स्थानिक नीति की घोषणा शीघ्र की जाएगी क्योंकि दिशानिर्देशों के उदारीकरण के एक साल के भीतर ही बहुत सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि स्वामित्व योजना के अंतर्गत 6 लाख गांवों के मानचित्रण के लिए भारतीय सर्वेक्षण द्वारा भू-स्थानिक कंपनियों के पैनल के लिए खुला आह्वान और डिजिटल ट्विन्स की अवधारणा के आधार पर जेनेसिस इंटरनेशनल द्वारा 100 शहरों के लिए अखिल भारतीय त्रि-आयामी मानचित्रों (3 डी मैप्स) के कार्यक्रम का शुभारंभ ऐतिहासिक है और यह अपने आप में क्रांतिकारी और गेम चेंजर निर्णय सिद्ध होगा। मंत्री महोदय ने वन प्रबंधन, आपदा प्रबंधन, विद्युत उपयोगिताओं, भूमि अभिलेखों, जल वितरण और संपत्ति कराधान के क्षेत्रों में पहले से उपयोग के लिए तैयार भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) आधारित समाधान उत्पादों एवं सामग्री की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ईएसआरआई द्वारा लांच की गई इंडो एआरसीजीआईएस परियोजना की ओर भी ध्यान दिलाया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अतीत की वर्जनाओं को तोड़ने में विश्वास करते हैं और उन्हें लीक से हटकर तथा साहसिक निर्णय लेने के लिए जाना जाता है, चाहे वह निजी कंपनियों के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलना हो, परमाणु ऊर्जा में संयुक्त उद्यम हो अथवा ड्रोन नीति। उन्होंने कहा कि भारी वित्तीय प्रभाव और रोजगार सृजन के साथ नवोन्मेषी स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने पर ध्यान दिया जाएगा। मंत्री महोदय ने हितधारकों को आश्वासन दिया कि इन सभी क्षेत्रों में गुणक प्रभाव के लिए आपस में समन्वयन किया जाएगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियां देश की वे “डिजिटल मुद्राएं” हैं जो आधारभूत ढांचे, विनिर्माण, स्वास्थ्य, कृषि, शहरी नियोजन, राजमार्ग और सेवा वितरण जैसे कई क्षेत्रों में गतिशील अनुप्रयोग ढूंढती हैं। उन्होंने कहा कि एक उद्योग अनुमान के अनुसार 2020 में भारतीय भू-स्थानिक बाजार का आकार भारतीय रूपये में 23,345 करोड़ रुपये था जिसमें 10,595 करोड़ रूपये का निर्यात शामिल था और जिसके 2025 में 36,300 करोड़ रूपये तक बढ़ जाने की संभावना है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा की ज्ञान विस्फोट और तेजी से प्रौद्योगिक परिवर्तन के युग में भारत को वैश्विक मानकों (बेंचमार्क) पर खरा उतरना है। उन्होंने कहा कि यथास्थिति में काम करने का युग अब समाप्त हो गया है क्योंकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति ने दुनिया की गतिशीलता के साथ आगे बढ़ने की एक नई कार्य संस्कृति की शुरुआत कर दी है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2025 तक 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए भारत सरकार का लक्ष्य एवं आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया के प्रमुख स्तंभों पर टिकी है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, ड्रोन और दिशानिर्देशों द्वारा भू-स्थानिक डेटा के उदारीकरण में सभी साहसिक निर्णय उद्योगों द्वारा नए पडावों तक पहुँचने के पीछे एक प्रमुख चालक रहे हैं जिनसे पारदर्शिता और दक्षता के स्तंभों पर जुड़ाव, सहयोग और नवाचारों को बढ़ावा मिला है। अपने समापन भाषण में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भू-स्थानिक जानकारी के लिए खुली और सुगम पहुंच ने इसके लॉन्च के एक वर्ष के भीतर डेटा के उपयोग और पुन: उपयोग को अधिकतम स्तर तक पहुंचाने में मदद की है। हम आने वाले समय में मौजूदा संसाधनों पर मूल्य निर्माण करते हुए कई और अभिनव समाधान और नए व्यापार मॉडल देखने की उम्मीद करते हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने इन दिशानिर्देशों के साथ भू-स्थानिक पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर वास्तव में एक व्यवस्थित परिवर्तन शुरू किया है। मंत्री महोदय ने अब तक के प्रभाव और एक संशोधित दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए आगे की राह पर चर्चा करने के लिए आज सभी हितधारकों को एक साथ लाने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) तथा भू-स्थानिक उद्योग परिसंघ (एसोसिएशन ऑफ जियोस्पेशियल इंडस्ट्रीज –एजीआई) के प्रयासों की सराहना की।
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