डॉ मनसुख मांडविया ने जी-20 देशों और यूनिसेफ के प्रतिनिधियों के साथ गोवा के पणजी में जन औषधि केन्द्र का भ्रमण किया
समग्र समाचार सेवा
पणजी, 19अप्रैल।जी-20 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों, आमंत्रित देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिभागी 17 से 19 अप्रैल, 2023 तक गोवा में आयोजित जी-20 स्वास्थ्य संचालन समूह (एचडब्ल्यूजी) की दूसरी बैठक में शामिल हुए। एचडब्ल्यूजी की बैठक के दौरान स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने जी-20 देश ओमान, जापान, रूस, नाइजीरिया, सिंगापुर, मलेशिया के प्रतिनिधियों और यूनिसेफ तथा बिल एवं मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के प्रतिनिधियों के साथ गोवा के पणजी में गर्वनर पेस्टाना मार्ग स्थित एक जन औषधि केन्द्र का भ्रमण किया।
मनसुख मांडविया ने जन औषधि केन्द्र की मालिक एवं महिला उद्यमी प्रभा मेनन से बातचीत की। प्रभा मेनन ने बातचीत के दौरान केन्द्र के संचालन के अपने अनुभव साझा किये। इस अवसर पर मंत्री महोदय ने इस योजना के क्रियान्वयन के बारे में सभी प्रतिनिधियों को पूरी जानकारी दी और उनके सवालों के जवाब दिये। कई जनप्रतिनिधियों ने इस योजना को अपने देशों में लागू करने में रुचि दिखाई।
सरकार इस योजना में रुचि दिखाने वाले मध्यम और अल्प आय वाले देशों की सहायता देने की दिशा में काम कर रही है। हाल ही विदेश मंत्रालय के सहयोग से 90 देशों के दिल्ली स्थित मिशन प्रमुखों के सम्मेलन में इस योजना की सफलता की जानकारी दी गयी थी। मनसुख मांडविया ने इस दौरान कहा कि सरकार औषध क्षेत्र को राजस्व सृजन के रूप में नहीं देखती है। सरकार इस क्षेत्र को वैश्विक जन कल्याण का माध्यम बनाना चाहती है।
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के औषध विभाग की एक लोकप्रिय जन कल्याण योजना है। इसके तहत आम लोगों को गुणवत्तापूर्ण दवायें कम कीमत पर उपलब्ध करायी जाती है। इस योजना का आम लोगों के जीवन पर महत्वपूर्ण असर देखा गया है। जन औषधि केन्द्र पर ब्रांडेड कंपनियों की दवाओं की तुलना में 50 से 90 प्रतिशत तक कम कीमत पर दवायें मिलती हैं।
पिछले नौ वर्षों में जन औषधि केन्द्रों की संख्या 100 गुना बढ़ गयी है। वर्ष 2014 में इन केन्द्रों की संख्या मात्र 80 थी जो अब बढ़कर 9300 हो गयी है। इन केन्द्रों पर 1800 तरह की दवायें और 285 तरह के सर्जिकल उपकरण मिलते हैं। पिछले नौ वर्षों में इन केन्द्रों पर दवायें और उपकरण खरीदने से आम जनता को अनुमानित लगभग 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक की कुल बचत हुई है।
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