महाराष्ट्र में दशहरा रैलियों का जोर, उद्धव और शिंदे गुटों पर बढ़ी नजर

समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 2 अक्टूबर: देशभर में विजयादशमी के अवसर पर दशहरा रैलियों का आयोजन जोर-शोर से किया जा रहा है। महाराष्ट्र में भी इस अवसर पर कई रैलियों का आयोजन हुआ, जिनमें प्रमुख रूप से शिवसेना के दो गुटों – उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) और उप-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली गुट – की रैलियों पर विशेष ध्यान रहा।

शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत ने इस दौरान एकनाथ शिंदे की रैली पर तीखा हमला किया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, “ये शिंदे कौन हैं? महाराष्ट्र में केवल दो दशहरा रैलियां होती हैं, जो वर्षों से चल रही हैं। इनके अलावा कोई अन्य रैली नहीं होती।” राउत ने इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 वर्ष पूरे होने पर शुभकामनाएं भी दीं और नागपुर में आरएसएस की दशहरा रैली का उल्लेख किया, जो आज सौ साल की महत्वपूर्ण उपलब्धि पार कर चुकी है।

राउत ने बताया कि महाराष्ट्र की दूसरी दशहरा रैली शिवाजी पार्क में होती है, जिसकी शुरुआत हिंदू हृदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे ने की थी। इस रैली में उद्धव ठाकरे शामिल होंगे और लाखों शिवसैनिक इसमें भाग लेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह रैली केवल सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि जनता की आवाज का माध्यम भी बनेगी।

उद्धव ठाकरे की रैली दादर स्थित शिवाजी पार्क में आयोजित की जाएगी। यह रैली 1966 से हर वर्ष आयोजित की जाती रही है और वर्षों से महाराष्ट्र की राजनीतिक और सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। उद्धव गुट के सूत्रों के अनुसार, इस रैली का उद्देश्य न केवल दशहरा पर्व का जश्न मनाना है, बल्कि राज्य में राजनीतिक संवाद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से जनता से जुड़ना भी है।

वहीं, उप-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की गुट द्वारा आयोजित रैली को शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है। यह रैली गोरेगांव स्थित NESCO एग्ज़िबिशन सेंटर में शाम 6 बजे आयोजित होगी। मूल रूप से यह कार्यक्रम आजाद मैदान में आयोजित होना था, लेकिन बारिश के कारण स्थान बदल दिया गया। शिंदे ने बताया कि इस रैली के माध्यम से किसानों और बाढ़ प्रभावित परिवारों के लिए चंदा इकट्ठा किया जाएगा।

विश्लेषकों का मानना है कि इस वर्ष की दशहरा रैलियां महाराष्ट्र की राजनीति में गुटों की स्थिति और उनकी जनसंख्या समर्थन क्षमता को परखने का अवसर भी साबित होंगी। उद्धव ठाकरे गुट का शिवाजी पार्क रैली के माध्यम से मजबूत राजनीतिक और सांस्कृतिक छवि बनाए रखने पर जोर है, जबकि शिंदे गुट की गोरेगांव रैली संगठनात्मक क्षमता और जनसंपर्क बढ़ाने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है।

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, महाराष्ट्र में दशहरा रैलियों का आयोजन सिर्फ धार्मिक या सांस्कृतिक उत्सव तक सीमित नहीं है। यह राज्य में राजनीतिक शक्ति और जन समर्थन को प्रदर्शित करने का प्रमुख माध्यम बन गया है। इस साल दोनों रैलियों के आयोजनों ने मीडिया और जनता का ध्यान खींचा, जिससे दोनों गुटों के बीच सत्ता और प्रभाव के प्रतीकात्मक द्वंद्व की झलक देखने को मिली।

 

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