समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29सितंबर।गंगा केवल एक नदी नहीं है वह सदियों से इस देश के लिये जीवनदायनी रही है। इसके तटों पर सभ्यताएं विकसित हुईं और इंसानियत का सफर आगे बढ़ा। मंगलवार, 28सितंबर इसे काल के क्रूर थपेड़ों से बचाने और इसके प्रवाह को गति देने के लिए चौतरफा प्रयास हो रहे हैं और इन प्रयासों की नयी बुनियाद डाली है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी स्तर पर तो इस काम में उनके नेतृत्व का लाभ मिल ही रहा है । लेकिन वे व्यक्तिगत स्तर पर एक पुत्र बनकर मां गंगा की सेवा में जुटे हैं। प्रधानमंत्री को जो भी उपहार मिलते हैं उनका ई-ऑक्शन वे इसलिये करवा रहे हैं कि उससे मिली राशि नमामि गंगे परियोजना में खर्च की जाए।
प्रधानमंत्री के इस प्रयास का देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों ने भी भरपूर समर्थन किया है। टोक्यों ओलंपिक 2020 और टोक्यो पैरालंपिक 2020 के अनेक विजेताओं ने प्रधानमंत्री को अपने खेल उपकरण उपहार में दिए। यह सामान अब उन देशवासियों के लिए उपलब्ध है जो खेल जगत में भारत की उपलब्धियों से खुद को जोड़ कर रखना चाहते हैं। उपलब्धियां भी ऐसी कि दांतों तले उंगलियां दबाने पर मजबूर कर दें। बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत को ही ले लीजिए। बिहार के हाजीपुर में जन्मे प्रमोद भगत को पांच साल की उम्र में ही पैर में पोलियो हो गया था, जिसके इलाज के लिए उनकी बुआ उन्हें अपने साथ ओडिशा लेकर चली गईं लेकिन प्रमोद ठीक नहीं हो पाए। दूसरे बच्चों को खेलता देख मन में खेलने की बेचैनी ने उनके हाथ में बैडमिंटन रैकेट थमा दिया। फिर वे भूल गये कि उनकी शारारिक सीमाएं क्या हैं।
वे खेलते गए और जीतते गए। कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रिकार्ड अपने नाम दर्ज कर चुके प्रमोद विश्व चैंपियनशिप में चार गोल्ड मैडल जीत चुके हैं। यही कारनामा टोक्यों पैरलिंपिक में दोहरा कर उन्होंने गोल्ड मैडेल जीता। देश के गौरव की पताका प्रमोद ने दुनिया में बार बार लहरायी है। उन्होंने अपना वह रैकेट जिससे प्रतियोगिता जीती, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट कर दिया।
वही रैकेट पीएम मेमेंटोज की उस सूची में शामिल है जिनका ई-ऑक्शन किया जा रहा है। यह ई-ऑक्शन 17 सितम्बर से 7 अक्टूबर तक चलेगा। प्रमोद भगत के रैकेट का बेस प्राइज़ 80 लाख रूपए तय किया गया है।
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