स्वास्थ्य मंत्रालय की ई-संजीवनी सेवा ने दिए 1 करोड़ लोगों को परामर्श, 10 महीनों में 1000% से अधिक की वृद्धि हुई

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25अगस्त। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी तेजी से देश की सबसे लोकप्रिय और सबसे बड़ी टेलीमेडिसिन सेवा बन गई है। ई-संजीवनी को पूरे देश में रोगियों के साथ-साथ डॉक्टरों और विशेषज्ञों द्वारा बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है। राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ने रिकॉर्ड समय में पूरे भारत में 1 करोड़ (यानी 10 मिलियन) से अधिक टेली-परामर्श दिया है। देश भर में रोगियों, डॉक्टरों और विशेषज्ञों द्वारा टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी को तेजी से अपनाया गया है। इसका प्रमाण इस बात से मिलता है कि इस सेवा के इस्तेमाल में पिछले 10 महीनों में 1000% से अधिक की आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा के जरिये सितंबर, 2020 में 160,807 रोगियों को टेली-परामर्श दिया गया था। वहीं, जुलाई 2021 में 1,650,822 रोगियों को टेली-परामर्श दिया गया। यह इसकी वृद्धि की रफ्तार को बताता है।

गौरतलब है कि जब देश में इंटरनेट की पहुंच 50% से कम है, तब भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की यह अभिनव डिजिटल स्वास्थ्य पहल भौगोलिक दूरी और समय सीमा के बंधन को खत्म करने और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सामान रूप से सामाज के हर वर्ग तक पहुंचाने में सक्षम है। ई-संजीवनी ने आम तौर पर स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने से जुड़ी कई चुनौतियों को भी दूर किया है, जैसे कि उच्च लागत और डॉक्टर के साथ व्यक्तिगत रूप से परामर्श करने की थकाऊ प्रक्रिया। उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी ने देश के स्वास्थ्य ढांचों पर अचानक से बड़ा बोझ डाला था जो इससे पहले कभी नहीं हुआ। संकट के वक्त में ई-संजीवनी ने महामारी को नियंत्रित करने के अलावा लोगों को जरूरी स्वास्थ्य परामर्श पहुंचाने का काम किया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 2018 में आयुष्मान भारत के कार्यान्वयन में मदद के लिए टेलीमेडिसिन के उपयोग की अवधारणा की थी जो दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी स्वामित्व वाली स्वास्थ्य बीमा योजना है। फलस्वरूप, सरकार की प्रमुख टेलीमेडिसिन तकनीक, ई-संजीवनी को सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सी-डैक) की मोहाली शाखा द्वारा विकसित किया गया। इसके बाद ई-संजीवनीएबी-एचडब्ल्यूसी को 2019 में डॉक्टर-टू-डॉक्टर टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म के रूप में शुरू किया गया था। कोविड-19 महामारी ने जब भारत में दस्तक दिया तो सरकार द्वारा लगाए गए राष्ट्रीय लॉकडाउन के कारण सभी ओपीडी बंद हो गए। उसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मार्च 2020 में भारत सरकार द्वारा टेलीमेडिसिन के जरिये इलाज मुहैया कराने के दिशानिर्देश जारी करने के साथ ई-संजीवनी का एक और संस्करण डॉक्टर-टू-डॉक्टर टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म शुरू किया। इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और सी-डैक मोहाली में ई-संजीवनी टीम के बीच मजबूत समन्वय के कारण, ई-संजीवनी ओपीडी को देश भर में तेजी से शुरू करने और स्वास्थ्य परामर्श देने का काम शुरू किया गया।
13 अप्रैल 2020 को, ई-संजीवनी ओपीडी की सेवा को रोगियों के लिए उनके घरों पर ही देने की शुरुआत की गई।

ई-संजीवनी नेटवर्क वर्तमान में दैनिक आधार पर लगभग 75,000 रोगियों का उपचार कर रहा है। ई-संजीवनी के जरिये 439 ऑनलाइन ओपीडी चलाया जा रहा है, इनमें से 43 सामान्य ओपीडी हैं और 396 स्पेशलिटी और सुपर-स्पेशियलिटी ओपीडी हैं। दूसरी ओर, हब एंड स्पोक मॉडल का अनुसरण करते हुए, ई-संजीवनीएबी-एचडब्ल्यूसी को लगभग 27,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में शुरू किया गया है। साथ ही राज्यों के 2200 से अधिक केंद्रो में इस सेवा को लागू किया गया है। 2022 के अंत तक, संजीवनीएबी-एचडब्ल्यूसी को राष्ट्रीय स्तर पर 1,55,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों पर लागू किया जाना है। राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा में 60,000 से अधिक विशेषज्ञ, डॉक्टर और नर्स शामिल हैं।
भारत भर के 701 जिलों में जनता द्वारा ई-संजीवनी का उपयोग किया गया है। ई-संजीवनी सेवा का लाभ उठाने वाले 56% से अधिक रोगी महिलाएं हैं। ई-संजीवनी द्वारा स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराए जाने वाले 1 करोड़ रोगियों में से लगभग 0.5% 80 वर्ष और उससे अधिक आयु के हैं। वहीं, लगभग 18% रोगी 20 वर्ष या उससे कम उम्र के हैं।

जानकारी के मुताबिक पता चला है कि राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा दसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में अपेक्षाकृत अधिक लोकप्रिय है। इस सेवा का लाभ लेने वाले शीर्ष 10 जिले आंध्र प्रदेश में चित्तूर, पूर्वी गोदावरी, गुंटूर, नेल्लोर, पश्चिम गोदावरी, कृष्णा, प्रकाशम, अनंतपुर, कुरनूल और तमिलनाडु में सलेम हैं।

राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा को अपनाने में ये जिले है सबसे आगे-

ई-संजीवनी सेवा और ई-संजीवनी ओपीडी प्लेटफार्मों के माध्यम से उच्चतम परामर्श पंजीकरण करने वाले शीर्ष दस राज्य आंध्र प्रदेश (2751271), कर्नाटक (1939444), तमिलनाडु (1476227), उत्तर प्रदेश (1232627), गुजरात (416221), मध्य प्रदेश (369175) हैं। बिहार (343811), महाराष्ट्र (331737), केरल (237973) और उत्तराखंड (226436) हैं।

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