समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10 अगस्त: भारतीय चुनाव आयोग (ईसी) ने सर्वोच्च न्यायालय को स्पष्ट रूप से आश्वासन दिया है कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान किसी भी योग्य मतदाता का नाम 1 अगस्त को जारी मसौदा मतदाता सूची से बिना पूर्व सूचना, सुनवाई का अवसर और उचित आदेश के नहीं हटाया जाएगा।
यह आश्वासन ईसी ने शनिवार को शीर्ष अदालत में दाखिल एक नए हलफनामे में दिया। आयोग ने कहा कि अंतिम मतदाता सूची में सभी योग्य नामों को शामिल करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं और गलत तरीके से नाम हटाने से रोकने के लिए सख्त निर्देश लागू हैं।
पृष्ठभूमि — एडीआर की शिकायत और अदालत का रुख
यह हलफनामा उस समय आया है जब एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने आरोप लगाया कि बिहार में 65 योग्य मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से गलत तरीके से हटा दिए गए।
6 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को इस मामले पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। अब इस पर अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी।
मतदाता अधिकारों की सुरक्षा के लिए स्पष्ट प्रक्रियाएं
ईसी ने अपने हलफनामे में कहा कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करते हुए नाम हटाने से पहले तीन अनिवार्य कदम उठाए जाएंगे:
- पूर्व सूचना – संबंधित मतदाता को नाम हटाने के प्रस्ताव और कारणों की स्पष्ट जानकारी दी जाएगी।
- सुनवाई का अवसर – मतदाता को अपना पक्ष रखने और संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने का मौका दिया जाएगा।
- स्पष्ट आदेश – सक्षम प्राधिकारी द्वारा तर्कसंगत और लिखित आदेश जारी किया जाएगा।
इन प्रावधानों को दो-स्तरीय अपील तंत्र से और मज़बूत किया गया है, जिससे मतदाताओं को किसी भी प्रतिकूल कार्रवाई के खिलाफ राहत पाने का पूरा अवसर मिलेगा।
योग्य मतदाताओं को सूची से बाहर न रखने का संकल्प
चुनाव आयोग ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है कि कोई भी योग्य मतदाता सूची से बाहर न हो। यदि किसी मतदाता के पास आवश्यक दस्तावेज़ नहीं हैं, तो उन्हें दस्तावेज़ प्राप्त करने में सहायता दी जाएगी।
ईसी के अनुसार, बिहार में 7.89 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से 7.24 करोड़ से अधिक ने अपने गणना फॉर्म जमा कर दिए हैं, जो मतदाता सूची सुधार प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी का संकेत है।
मतदाता सूची की पारदर्शिता पर जोर
एसआईआर के दौरान ईसी ने सभी जिला और बूथ स्तर के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि किसी भी नाम को हटाने की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष हो। इस कदम का उद्देश्य न केवल गलतियों को रोकना है, बल्कि मतदाताओं का विश्वास बनाए रखना भी है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर ईसी का यह हलफनामा मतदाता अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण आश्वासन है। यदि आयोग अपने वादों पर अमल करता है, तो बिहार में मतदाता सूची की पारदर्शिता और विश्वसनीयता में बड़ा सुधार संभव है। 13 अगस्त की सुनवाई में अदालत का दृष्टिकोण इस प्रक्रिया की दिशा तय कर सकता है।
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