ED ने अनिल अंबानी को ₹17,000 करोड़ ऋण धोखाधड़ी मामले में 5 अगस्त को समन किया

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 01 अगस्त: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रविवार को अनिल अंबानी को याचिका देकर 5 अगस्त को राष्ट्रीय राजधानी स्थित ED मुख्यालय में ऋण धोखाधड़ी मामले में पेश होने को कहा है। मामला रिलायंस समूह और येस बैंक से जुड़ी ₹17,000 करोड़ की कथित धोखाधड़ी का है, जो अब धन शोधन जांच की सीमा में आ गया है।

सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताह ED ने मुंबई और दिल्ली में रिलायंस समूह से जुड़े कार्यालयों व अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। जांच टीम ने कई दस्तावेज, हार्ड ड्राइव और डिजिटल रिकॉर्ड जब्त किए थे, जो बैंक ऋण और फंड डायवर्जन से जुड़े हो सकते हैं।

जांच की मुख्य बातें

ED व CBI की भूमिका:
ED ने येस बैंक से जुड़े ऋण धोखाधड़ी मामले की जांच PMLA (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत शुरू की है, वहीं केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) समूह की अन्य कंपनियों पर parallel जांच कर रही है।

मुख्य जांच बिंदु:

  • क्या बैंक से लिए गए फंड शेल कंपनियों और समूह की अन्य संस्थाओं द्वारा डायवर्ट किए गए?
  • ₹3,000 करोड़ की धन शोधन राशि वर्ष 2017‑19 में कैसे ट्रांसफर हुई?
  • क्या बैंक अधिकारियों और येस बैंक प्रमोटरों को रिश्वत दी गई थी?
  • धन का डायवर्जन और शेयरधारकों की हितों की अनदेखी जैसे आरोपों की समीक्षा।

सहयोगी संस्थाएं:
ED को NFRA, SEBI, बैंक ऑफ बड़ौदा और राष्ट्रीय आवास बैंक जैसे संस्थानों से भी महत्वपूर्ण जानकारी मिली है।

ED की प्रारंभिक रिपोर्ट में क्या सामने आया?

ED की प्रारंभिक जांच में यह संकेत मिला है कि सार्वजनिक धन की धोखाधड़ी के जरिये बैंकों, निवेशकों और शेयरधारकों को क्षति पहुँचाई गई। आरोप है कि कुछ ऋण जारी होने से पहले येस बैंक प्रमोटरों के खातों में ट्रांसफर हो गए। इस बात की भी जांच की जा रही है कि ये ट्रांज़फर सीधे ऋण से जुड़े थे या रिश्वत के रुप में थे।

जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या इन ट्रांज़फरों के पीछे किसी प्रकार का नियंत्रण या पूर्व नियोजित रणनीति थी, जिससे ऋण वाले संस्थानों का लाभ उठाया गया हो।

अनिल अंबानी की जवाबदेही

केवल जांच शुरू होने तक का समय बाकी है, लेकिन अब प्रश्न उठ रहे हैं कि अनिल अंबानी अपनी कबूलियत कैसे पेश करेंगे। समन आने से पहले ही शुल्कबद्ध रणनीति को समेटे रिलायंस समूह ने मौन अपनाया हुआ है। बयान या प्रतिक्रिया अभी तक सार्वजनिक रूप से नहीं आई है।

भारतीय वित्तीय प्रणाली में ऐसी जटिल धोखाधड़ी की घटना यह स्पष्ट करती है कि पारदर्शिता और उचित निगरानी कितनी आवश्यक है। ED और CBI की कार्रवाई एक संकेत है कि वित्तीय अपराधों पर अब कोई ढील नहीं दी जाएगी।

अनिल अंबानी संबंधित संस्थाओं और निवेशकों के हितों के प्रति जवाबदेह हैं। पूछताछ और छानबीन पूरे राष्ट्र की निगाहों में होगी। आगे की प्रक्रिया इस बात पर प्रकाश डालेगी कि भारत की वित्तीय सुरक्षा तंत्र इस तरह के बड़े घोटालों से कैसे निपटता है।

 

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