शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तीन प्रमुख आधार हैं- अमित शाह

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कुशाभाऊ ठाकरे जन्म शताब्दी वर्ष समारोह में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया

समग्र समाचार सेवा
भोपाल, 23अगस्त। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कुशाभाऊ ठाकरे जन्म शताब्दी वर्ष समारोह में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि एक महान नेता वह होता है जो रास्ते को जानता है और रास्ता दिखाता है आज के जमाने में ऐसे कई लोग हैं मगर कुशाभाऊ एकमात्र ऐसे नेता थे जो रास्ते पर चलते भी थे और साथ में लोगों को चलाते भी थे। रास्ते को जानना, रास्ता दिखाना और उस पर स्वयं चलना बहुत बड़ी बात होती है और यही बात कुशाभाऊ जी को महान बनाती है। उन्होने कहा कि कुशाभाऊ बहुत ही सरल, सहज और विनम्र व्यक्तित्व के धनी थे और उन्होने अनेक प्रकार की कठिन परिस्थितियों में भी रास्ता दिखाने का काम किया।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने महान भारत के निर्माण का बीजारोपण किया है। प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा लायी गयी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020, भारत की आत्मा और भारतीयता की उद्घोषणा है। शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तीन प्रमुख आधार हैं। उन्होने कहा कि देश में पहले जब भी शिक्षा नीति आई तब विवाद जरूर हुए, किसी न किसी ने इसका विरोध किया, इस पर टिप्पणी की क्योंकि शिक्षा का विषय ही ऐसा है जिसमें ढेर सारे विचारों का होना जरूरी भी है और उचित भी है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार 2020 में जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लेकर आई, इसका आज तक किसी ने विरोध नहीं किया है क्योंकि इसे बनाते वक्त व्यापक विचार विमर्श किया गया और सभी को इसमें अपने विचार प्रतिबिंबित होते नजर आते हैं। उन्होने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारे मूल विचारों के आधार पर बनी पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति है। शिक्षा का मतलब सिर्फ रोजगार देना नहीं बल्कि मनुष्य की आंतरिक शक्तियों की अभिव्यक्ति और उसको उत्कृष्ट बनाना है। मनुष्य के मन की शक्ति का महत्तम उपयोग करने के रास्ते पर ले जाने वाली शिक्षा ही सार्थक शिक्षा है और इसीलिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 21वीं सदी को ज्ञान की सदी कहा है।

अमित शाह ने कहा कि शिक्षा ज्ञान, विज्ञान और सभी गतिविधियों के मूल स्रोत को फिर से पुनर्जीवित करने का काम करती है और इसी नजरिए से नई शिक्षा नीति को बनाया गया है। उन्होंने कहा कि पहले दुर्भाग्य से एक ऐसी शिक्षा नीति थी जिसका आधार केवल और केवल रटा-रटाया कोर्स बनाकर बच्चों को नौकरी की दिशा में ले जाना था। आज नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अध्ययन और इसका इंटरप्रिटेशन करने वाले कई विद्वानों को इसमें रोजगार की प्रबल संभावनाएं, बेरोजगारी उन्मूलन, प्राथमिक शिक्षा में बच्चे की अभिव्यक्ति को मंच देने और टेक्नोलॉजी के लिए ढेर सारा स्पेस दिखाई पड़ता है। साथ ही कई लोगों को इसमें रिसर्च एंड डेवलपमेंट और दुनिया भर के सबसे अच्छे कोर्सों को भारत में लाने का विचार भी दिखाई पड़ता है। श्री शाह ने कहा कि नई शिक्षा नीति में संपूर्ण भारत के शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के विचारों को समाहित कर उन्हे जमीन पर उतारा गया है।

गृह मंत्री ने कहा कि आज तक किसी भी देश की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्वभाषा को इतना महत्व नहीं दिया गया, लेकिन भारत की नई शिक्षा नीति में स्वभाषा में प्राथमिक शिक्षा पर बहुत बल दिया गया है। उन्होने कहा कि बच्चे के विकास की नींव के लिए यह बहुत जरूरी है कि बच्चे पहला ज्ञान अपनी भाषा में प्राप्त करें, सोचने की आदत अपनी भाषा में डालें और अपनी भाषा में ही अपनी संस्कृति और इतिहास की जानकारी प्राप्त करें और देश के प्रधानमंत्री मोदी जी ने यह बहुत बड़ा काम ने किया है। श्री शाह ने कहा कि आप बच्चे को एक अच्छा डॉक्टर , इंजीनियर और वैज्ञानिक तो बना सकते हो परंतु अगर उसको बड़ा व्यक्ति बनाना है तो उसके मन की सभी शक्तियों को एक मंच देते हुए उसे उन्नत बनाने का काम करने का काम एक सफल शिक्षा नीति ही कर सकती है और नई शिक्षा नीति में इस पर बहुत अधिक बल दिया गया है। उन्होने कहा कि पहली बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इसका बीजारोपण किया है पूरा भरोसा है कि 20-25 साल में यह बीज वट वृक्ष बन कर न केवल भारत बल्कि समग्र विश्व को छाया देने का काम करेगा। उन्होने कहा कि नई शिक्षा नीति भारत के भविष्य और नए भारत की रचना की नींव है।

अमित शाह ने कहा कि अंग्रेजों ने अपना शासन चलाने के लिए भारतीय समाज के अंदर कई प्रकार की हीन भावना की निर्मित की थी और अब इन भावनाओं को त्यागने का समय आ गया है। दुनिया के कई देशों ने अपनी अपनी भाषाओं को समाहित और सुरक्षित करते हुए बहुत सारे अनुसंधान किए, और भारत भी यह कर सकता है। इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी जी ने टेक्निकल और मेडिकल एजुकेशन के संपूर्ण अभ्यासक्रम का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने का बीड़ा उठाया है। उन्होने कहा कि राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा व कोर्स को सभी स्थानीय भाषाओं में तैयार किया गया जाएगा, साथ ही विश्व स्तरीय उच्च गुणवत्ता वाले नए अभ्यासक्रम की रचना का काम भी किया जा रहा है। श्री शाह ने कहा कि भारत को एक ग्लोबल स्टडी डेस्टिनेशन बनाने के लिए 2030 तक प्रत्येक जिले में मल्टीडिसीप्लिनरी हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन भी स्थापित किए जाएंगे जिससे दुनिया भर का ज्ञान देश में आए और भारत का ज्ञान पूरी दुनिया में जाए। उन्होंने कहा कि 2040 तक सभी उच्च शिक्षा संस्थानों में बहु विषयक शैक्षिक पाठ्यक्रम संस्थान बनाने का भी लक्ष्य रखा गया है। नई शिक्षा नीति में ई लर्निंग पर भी बहुत बल दिया गया है और दिव्यांग जनों के लिए एक अलग प्रकार के अभ्यासक्रम बनाने का काम किया गया है। उन्होने कहा कि भारत जैसी बड़ी और जीवंत अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करनी है तो नॉलेज क्रिएशन के बगैर यह संभव नहीं हो सकता। इसके लिए टेक्नोलॉजी और हर क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देना होगा, नई शिक्षा नीति में इसकी बहुत सारी व्यवस्थाएँ की गई हैं ।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा में ऑनलाइन पाठ्यक्रम को भी बहुत महत्व दिया गया है, काम करने के साथ साथ बच्चा अगर उच्च शिक्षा लेना चाहता है तो वह ऑनलाइन पाठ्यक्रम के माध्यम से इसे हासिल कर सकता है। इस पाठ्यक्रम को अगर और पॉपुलर बनाया जाए तो रोजगार प्राप्त करने के साथ-साथ बच्चा शिक्षा भी प्राप्त कर सकता है। शाह ने कहा कि भारत सरकार ने 99 संस्थानों की पहचान कर 33000 करोड रुपए का इन्वेस्टमेंट किया है क्योंकि हम इन्हें वर्ल्ड क्लास बनाना चाहते हैं। उन्होने पूरा विश्वास जताया कि 5 साल बाद जब विश्व स्तरीय संस्थानों की तालिका बनेगी तो उसमें भारत के संस्थान 1 से 10 स्थान के अंदर जरूर दिखाई पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि 2022 में 33 भारतीय विश्वविद्यालयों ने क्युएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में अपना स्थान सुनिश्चित किया है। शाह ने कहा कि जेईई, नीट और आईएएस, आईपीएस की परीक्षा 12 भारतीय भाषाओं में दी जा सकती है। अंग्रेजी के मोह की वजह से हम अपने टैलेंट का 5% उपयोग ही देश के विकास में कर पा रहे हैं क्योंकि आज भी 95% बच्चे मातृभाषा में पढ़ते हैं, लेकिन जिस दिन स्थानीय भाषा में पढे बच्चे की देश की हर व्यवस्था में पूछ होगी उस दिन भारत विश्व फलक पर सूर्य की भांति चमकेगा। गृह मंत्री ने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में 2020 में नई शिक्षा नीति के रूप में महान भारत के निर्माण का जो बीज बोया गया है वह एक वटवृक्ष बनकर न केवल भारत बल्कि समग्र विश्व को छाया देने का काम करेगा, समग्र विश्व को विकास देने का काम करेगा और वसुदेव कुटुंबकम की अपनी कल्पना को चरितार्थ करेगा।

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