प्रभावी स्वास्थ्य सेवा संचार इस पेशे का एक ऐसा पहलू है जिसके साथ समझौता नहीं किया जा सकता: डॉ. जितेंद्र सिंह

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24सितंबर। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि श्रीनगर सहित पूरा जम्मू-कश्मीर अब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा एवं अन्य शैक्षणिक सम्मेलनों की मेजबानी करने के लिए एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में उभर रहा है।

उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र में बदले माहौल को दर्शाता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह श्रीनगर में राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान बोर्ड द्वारा स्वास्थ्य देखभाल में संचार पर आयोजित एक कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

अपने संबोधन के दौरान, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि श्रीनगर में जी-20 बैठक (तीसरी पर्यटन कार्य समूह की बैठक) की सफलता स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कश्मीर तेजी से बदल रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि श्रीनगर में जी-20 की सफल बैठक में सबसे ज्यादा प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जो अपने आप में उस बदलाव का संकेत है, जो पिछले 09 वर्षों में विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों के कारण संभव हुआ है।

कार्यशाला के दौरान, डॉ. जितेंद्र सिंह ने गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा वितरण में उचित संचार के महत्व को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर के रूप में रेखांकित किया।

स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में प्रभावी संचार के महत्व को रेखांकित करते हुए डॉ. सिंह ने बल देकर कहा कि स्वास्थ्य सेवा सिर्प एक विज्ञान नहीं है, बल्कि एक कला है, जिसमें न केवल बीमारियों का निदान और उपचार शामिल है बल्कि रोगियों और उनके परिवारों के साथ संवाद करने का व्यवहार-कुशल और करुणामय पहलू भी शामिल है।

केंद्रीय मंत्री ने कार्यशाला के आयोजन स्थल के रूप में श्रीनगर को चुनने पर प्रसन्नता व्यक्त की और जम्मू-कश्मीर में स्वास्थ्य सेवा की समृद्ध विरासत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को हमेशा चिकित्सा शिक्षा का स्थल माना जाता रहा है और यहां तक कि 1990 के दशक में अशांति शुरू होने के बावजूद भी इस क्षेत्र में यह बहुत आगे रहा है। उन्होंने कहा कि सफल बैठकों की एक श्रृंखला ने इस सकारात्मक धारणा को जन्म दिया है और इसका एक प्रमाण यह भी है कि घाटी में ज्यादा से ज्यादा कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।

डॉ. सिंह ने श्रीनगर में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन की शानदार सफलता का उल्लेख किया और इसे पूरे देश में आयोजित सर्वश्रेष्ठ बैठकों में से एक कहा।डॉ. सिंह ने कहा कि सभी आधिकारिक और गैर-आधिकारिक कार्यक्रमों ने एक विशाल मीडिया की उपस्थिति में जी-20 की सफलता को चिह्नित किया। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक सुधारों पर हाल ही में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन को भी अच्छी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है और यह इस बात का प्रमाण है कि हम आगे बढ़ रहे हैं।

डॉ. सिंह ने कहा कि डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड (डीएनबी) कार्यक्रम को इस क्षेत्र में लागू करने में थोड़ा ज्यादा समय लगा, लेकिन हम ऐसे समय में भी सहज गति से आगे बढ़ रहे हैं जब इतना बदलाव हो रहा है। डॉ. सिंह ने कहा कि हमने तकनीकी मध्यवर्तन सहित कई घटकों के कारण संचार आधारित स्वास्थ्य सेवा से लेकर गैर-संचार आधारित स्वास्थ्य सेवा में बदलाव देखा है। तकनीकी क्रांति ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक मार्ग प्रशस्त किया है और अब इस बात पर प्रभाव पड़ा है कि रोगियों को चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा कैसे प्रदान की जाती है। उन्होंने आगे कहा कि स्वास्थ्य सेवाएं ज्यादा प्रभावी और सुविधाजनक हो सकती है, लेकिन व्यक्तिगत संपर्क कहीं खो जाता है।

डॉ. सिंह ने कहा कि भारत एक विविधतापूर्ण देश है और यहां बिना संचार वाली या कम संचार वाली सुविधाएं एक वरदान के रूप में भी सामने आई हैं। उन्होंने कठुआ जिले के एक दूरदराज इलाके का उदाहरण देते हुए कहा कि टेलीमेडिसिन भी परिधीय क्षेत्रों के परिदृश्य में बदलाव ला रहा है।

मानवीय संपर्क को सरकार की प्राथमिकता बनाने के संदर्भ में बात करते हुए डॉ. सिंह ने केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) की बात की और कहा कि कैसे हर शिकायत का समाधान करने के बाद मानवीय संपर्क को प्रेरित किया जाता है जिससे इसे मानवीय दृष्टिकोण प्रदान किया जा सके।

डॉ. सिंह ने ऐसे युग में एक सर्वोत्तम संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया जब संचार के लिए कीमत चुकानी पड़ती है और यह एक आकर्षक व्यवसाय के रूप में विकसित हो गया है। हम सभी को हमेशा रोगियों के साथ अच्छी तरह से संवाद करना सिखाया गया है, यह रोगी के लाभ के लिए ही नहीं बल्कि आत्म-विकास के लिए भी है और हमें इसका हमेशा ध्यान रखना चाहिए।

उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा बढ़ाने, पीजी सीटों और पाठ्यक्रमों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी करने, नागरिकों को केंद्र शासित प्रदेश में उच्च गुणवत्ता वाला उपचार प्रदान करने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार और एनबीईएमएस के प्रयासों की सराहना की।

अपने समापन भाषण में डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि प्रभावी स्वास्थ्य सेवा संचार इस पेशे का एक ऐसा पहलू है जिसके साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।

इससे पहले, भूपेन्द्र कुमार, सचिव, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने कार्यशाला का आयोजन करने के लिए एनबीईएमएस के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने आगे कहा कि एनबीईएमएस ने केंद्र शासित प्रदेश में सार्वजनिक सेवा स्वास्थ्य देखभाल की प्रक्रिया को बदल दिया है। तमिलनाडु जैसे राज्यों से सीख प्राप्त कर और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मार्गदर्शन में हम कमियों को समाप्त करने में कामयाब रहे हैं। भूपेन्द्र कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल तक लोगों की ज्यादा पहुंच, सर्जरी के लिए प्रतीक्षा समय में कमी, दूरदराज के इलाकों में रोगी संतुष्टि के स्तर में वृद्धि और रेफरल दर में कमी के साथ जमीनी स्तर पर उल्लेखनीय परिणाम सामने आए हैं।

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