खदान के पानी का कुशल उपयोग: सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में कदम – जी. किशन रेड्डी

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 2अगस्त। कोयला तथा खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कोयला और लिग्नाइट खनन क्षेत्रों में पारंपरिक जल निकायों के कायाकल्प के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए हैं। यह कार्यक्रम कोयला और खान राज्यमंत्री श्री सतीश चंद्र दुबे और कोयला मंत्रालय के सचिव अमृत लाल मीणा की उपस्थिति में आयोजित किया गया।

इस अवसर पर, जी. किशन रेड्डी ने पानी के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि खदान के पानी का कुशल उपयोग संभावित चुनौती को सकारात्मक परिवर्तन के अवसर में बदल देगा और खनन के इकोलॉजी से संबंधित प्रभावों को दूर करेगा। उन्होंने पानी से भरे खदान के गड्ढों में तैरते रेस्तरां जैसे रचनात्मक उपायों का उल्लेख किया, जो स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय समुदायों के लिए नए आर्थिक अवसर प्रदान करने में सहायक होंगे।

खदान के पानी का पुन: उपयोग:
जी. किशन रेड्डी ने कहा कि खदान के पानी को औद्योगिक उद्देश्यों, भूजल पुनर्भरण, उच्च तकनीक आधारित खेती और मछली पालन सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए पुन: उपयोग किया जाएगा। खदान पर्यटन और तैरते रेस्तरां जैसी पहल खदान के पानी की बहुआयामी उपयोगिता को दर्शाती हैं और यह व्यापक रणनीति पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के साथ-साथ सामुदायिक सुदृढ़ता में भी योगदान करेगी।

नवीन जल प्रबंधन की भूमिका:
कोयला और खान राज्यमंत्री सतीश चंद्र दुबे ने खनन की चुनौतियों से निपटने में नवीन जल प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया। उन्होंने कहा कि खदान के पानी का पुन: उपयोग संसाधन प्रबंधन में एक प्रगतिशील दृष्टिकोण को दर्शाता है और सरकार का लक्ष्य खदान के पानी को मनोरंजक क्षेत्रों और स्थानीय उद्यम परियोजनाओं जैसी मूल्यवान परिसंपत्तियों में बदलने की पहलों का समर्थन करना है।

परियोजना का उद्देश्य:
कोयला मंत्रालय के सचिव अमृत लाल मीणा ने बताया कि यह पहल कोयला खनन क्षेत्रों के आसपास पीने, सिंचाई, मछली पकड़ने, जल क्रीड़ा और खान पर्यटन जैसे उद्देश्यों के लिए खदान के पानी का पुन: उपयोग करने पर केन्द्रित है। यह परियोजना जैव विविधता और इकोलॉजी के संतुलन को बनाए रखने में भी योगदान करेगी।

“कोयला/लिग्नाइट खनन क्षेत्रों में पारंपरिक जल निकायों का कायाकल्प” नाम की इस परियोजना का लक्ष्य अगले पांच वर्षों (वित्तीय वर्ष 2024-25 से 2028-29) के दौरान कम से कम 500 जल निकायों का कायाकल्प और स्थापना करना है। प्रत्येक जल निकाय में कम से कम 0.4 हेक्टेयर का तालाब क्षेत्र और लगभग 10,000 क्यूबिक मीटर की क्षमता होगी। इस परियोजना के अंतर्गत, सक्रिय और परित्यक्त खदानों से खदान के पानी का लाभ उठाया जाएगा।

जल शक्ति अभियान:
इस परियोजना को भारत सरकार के जल शक्ति अभियान के अनुरूप सक्रिय किया जाएगा। पिछले पांच वर्षों के दौरान, विभिन्न सामुदायिक उपयोगों के लिए 18,513 एलकेएल खदान का पानी उपलब्ध कराया गया है।

इन दिशानिर्देशों का जारी होना टिकाऊ खनन कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कोयला मंत्रालय पारंपरिक जल निकायों के कायाकल्प के लिए स्पष्ट निर्देश प्रदान करके प्रभावशाली पर्यावरणीय प्रबंधन और सामुदायिक भागीदारी की दिशा में एक मिसाल कायम कर रहा है। यह दृष्टिकोण अंततः इकोलॉजी के संतुलन और खनन क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में योगदान देगा।

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