समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24सितंबर। महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों काफी चर्चा में है। जहां एक तरफ शिंदे गुट को शिवाजी पार्क में दशहरा रैली करने की अनुमति ना मिलने पर निराशा बनी हुई है वहीं दूसरी तरफ सीएम की शिंदे के बेटे की तस्वीर काफी वायरल हुई है जिस पर जमकर राजनीति गरमाई हुई है।
जी हां मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे लोकसभा सांसद श्रीकांत शिंदे सीएम की कुर्सी पर बैठे नजर आए तो शिवसेना के उद्धव गुट की तरफ से निशाना साधा गया है, साथ ही उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लेकर भी चुटकी ली गई है। शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा कि ‘अब तो शिंदे के पुत्र भी सीएम की कुर्सी पर बैठ रहे हैं, हमारी उपमुख्यमंत्री से पूरी सहानुभूति है। हालांकि कल्याण से सांसद श्रीकांत ने यह कहते हुए इस आलोचना को खारिज कर दिया कि तस्वीर उनके निजी आवास के दफ्तर में ली गई थी। वायरल तस्वीर में दिख रहा है कि श्रीकांत शिंदे एक कुर्सी पर बैठे हैं जिसके पीछे एक बोर्ड लगा है और उसपर लिखा है “ महाराष्ट्र सरकार- मुख्यमंत्री’.
इस वायरल फोटो की शुरुआत एनसीपी की तरफ से हुई. एनसीपी महेश तापसे ने इस तस्वीर को साझा करते हुए पूछा कि कहा, ‘‘ क्या आप सुपर मुख्यमंत्री बन गए हैं? इस व्यवहार के लिए आपको लोगों से माफी मांगनी चाहिए. राकांपा नेता ने पूछा, मुख्यमंत्री की गैरमौजूदगी में कोई उनकी कुर्सी पर कैसे बैठ सकता है?
Khoke Sarkar has a super CM.
My sympathies with the Deputy CM of Maharashtra, for having made a joke out of the chair & himself for his hunger to be in power.अब तो पापा का बेटा,
सारी ज़िम्मेदारी संभालेगा
अधिकृत हो या नहीं!माया मिली न राम 😂 https://t.co/7DBepf0UDb
— Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@priyankac19) September 23, 2022
अपनी प्रतिक्रिया में, श्रीकांत शिंदे ने कहा कि तस्वीर ठाणे में उनके निजी आवास एवं कार्यालय में ली गई थी। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री और मैं दोनों इस कार्यालय का उपयोग लोगों से मिलने और उनके मुद्दों को हल करने के लिए करते हैं। मैं मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास या कार्यालय में नहीं था। आधिकारिक बोर्ड को एक जगह से दूसरी जगह रखा जा सकता है और इसे मुख्यमंत्री की डिजिटल माध्यम से हुई बैठक के लिए वहां लाया गया था।”
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पर कटाक्ष करते हुए, उन्होंने यह भी कहा कि उनके पिता दिन में 18 से 20 घंटे काम करते हैं, और वह पहले के मुख्यमंत्रियों की तरह नहीं हैं जो एक ही स्थान पर बैठे रहते थे और वह यहां-वहां जाते रहते हैं। ठाकरे को कोरोना वायरस महामारी के दौरान मुख्यमंत्री रहते हुए मुश्किल से अपने घर से निकलने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था।
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