समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 11अक्टूबर। महाराष्ट्र में शिवसेना को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट आमने-सामने हैं। नाम और सिंबल की इस लड़ाई में चुनाव आयोग ने हाल में होने वाले उपचुनाव की बाबत उद्धव ठाकरे गुट को नया नाम और पार्टी सिंबल दे दिया है वहीं, शिंदे गुट को केवल नाम ही मिला है। आयोग के फैसले के मुताबिक, उद्धव गुट को मशाल चुनाव चिह्न के लिए मंजूरी मिली है। इस गुट का नाम अब शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे होगा।
उद्धव गुट को इसलिए मिला मशाल चुनाव चिह्न
उद्धव गुट को ‘त्रिशूल’ का चिह्न इसलिए नहीं मिला क्योंकि इसका धार्मिक संकेत है। ‘उगता सूरज’ इसलिए नहीं मिला क्योंकि यह द्रमुक के पास है। ‘मशाल’ चुनाव चिह्न 2004 तक समता पार्टी के पास था। उसके बाद से यह किसी को आवंटित नहीं था, इसलिए यह चिह्न उद्धव गुट को दिया गया है।
चुनाव आयोग द्वारा नया नाम और चुनाव निशाना जारी करने के बाद उद्धव ठाकरे गुट ने नए चुनाव चिन्ह और नई पार्टी के नाम के साथ एक पोस्टर जारी किया। वहीं, आदित्य ठाकरे ने इसे पार्टी की जीत बताया है। उन्होंने कहा कि हमें उद्धव बालासाहेब ठाकरे पर बेहद गर्व है। उन्होंने महाराष्ट्र में हजारों लोगों की जान बचाकर मुख्यमंत्री के रूप में काम किया है।
मातोश्री में उद्धव गुट के नेताओं की बैठक में पार्टी के नए नाम और चिह्न पर चर्चा के बीच उद्धव ठाकरे ने कहा था कि उद्धव कुछ भी नहीं हैं, यह उद्धव बालासाहेब ठाकरे हैं और यही मुझे महत्वपूर्ण बनाता है। शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद अरविंद सावंत ने रविवार को बैठक के बताया था कि उनकी पार्टी का नाम शिवसेना है। अगर चुनाव आयोग शिवसेना (बालासाहेब ठाकरे)’, ‘शिवसेना (प्रबोधनकर ठाकरे)’ या ‘शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)’ सहित शिवसेना से संबंधित कोई भी नाम देता है, तो वह हमें स्वीकार्य होगा।
इस बीच, यह सामने आया है कि चुनाव आयोग द्वारा चुनाव चिन्ह के तीन विकल्प और नए नाम मांगे जाने पर दोनों गुटों ने शिवसेना (बालासाहेब ठाकरे) नाम की मांग की थी। दोनों गुटों की समान मांग को देखते हुए चुनाव आयोग ने दोनों ही गुटों को यह नाम नहीं दिया है। नाम के अलावा चिन्हों के दिए गए विकल्पों में त्रिशूल और उगता सूरज की दोनों गुटों ने मांग की थी।
गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुटों के बीच तनातनी के बीच चुनाव आयोग ने शनिवार को शिवसेना के धनुष और तीर के निशान को सील कर दिया था। आने उपचुनाव में दोनों में से कोई भी गुट इस चुनाव चिह्न का उपयोग नहीं कर पाएगा। चुनाव आयोग ने दोनों गुटों से कहा था कि वे उपचुनावों के लिए अधिसूचित फ्री सिंबल की लिस्ट से अलग-अलग चुनाव चिह्न चुनें और दस तारीख तक बता दें।
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