चुनाव आयोग ने राज्यसभा की 12 खाली सीटों के चुनाव की तारीखों का किया ऐलान

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,8अगस्त। चुनाव आयोग (ECI) ने बुधवार को राज्यसभा की खाली पड़ी 12 सीटों पर चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह चुनाव 3 सितंबर को कराए जाएंगे। इनमें 10 सीटें केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, सर्बानंद सोनोवाल और ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित मौजूदा सदस्यों द्वारा लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद खाली हुई हैं।

आयोग ने कहा कि राज्यसभा चुनाव के लिए अधिसूचना 14 अगस्त को जारी की जाएगी और चुनाव पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख 21 अगस्त है। इलेक्शन कमीशन की घोषणा के अनुसार, प्रत्येक राज्यसभा सीट के लिए अलग-अलग चुनाव 3 सितंबर को होंगे और नतीजे भी उसी दिन घोषित किए जाएंगे। नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 26-27 अगस्त होने की संभावना है।

खाली सीटों का विवरण
राज्यसभा की खाली पड़ी 12 सीटों में:

असम: 2 सीटें
बिहार: 2 सीटें
महाराष्ट्र: 2 सीटें
हरियाणा: 1 सीट
मध्य प्रदेश: 1 सीट
राजस्थान: 1 सीट
त्रिपुरा: 1 सीट
तेलंगाना: 1 सीट
ओडिशा: 1 सीट
आम चुनाव के दौरान चुने गए राज्यसभा सांसदों में महाराष्ट्र से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, हरियाणा से दीपेंद्र सिंह हुड्डा, मध्य प्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजस्थान से कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल शामिल हैं।

भारत राष्ट्र समिति के सांसद के. केशव राव ने 5 जुलाई को और बीजू जनता दल की सांसद ममता मोहंता ने 31 जुलाई को इस्तीफा दे दिया था।

चुनाव प्रक्रिया और समयसीमा
अधिसूचना जारी: 14 अगस्त
नामांकन जमा करने की अंतिम तिथि: 21 अगस्त
नामांकन की जांच: 22 अगस्त
नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि: 26-27 अगस्त
मतदान और गिनती: 3 सितंबर
चुनाव समाप्ति की अंतिम तिथि: 6 सितंबर

चुनाव की अहमियत
राज्यसभा में ये चुनाव सत्ता संतुलन के लिए अहम माने जा रहे हैं। केंद्र सरकार की नीति-निर्माण में राज्यसभा की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, और नई नियुक्तियों से सरकार को अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।

राज्यसभा की खाली सीटों पर होने वाले चुनाव देश के विभिन्न राज्यों में राजनीतिक समीकरणों पर भी प्रभाव डाल सकते हैं। प्रमुख दलों के लिए यह अवसर है कि वे अपने प्रभाव को मजबूत करें और आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों की तैयारियों को धार दें।

इससे यह स्पष्ट होता है कि आगामी राज्यसभा चुनाव न केवल राजनीतिक दलों के लिए बल्कि देश की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।

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