‘चुनाव आयोग मर गया है, सफेद कपड़ा भेंट करना होगा’ – उपचुनाव को लेकर अखिलेश यादव का विवादित बयान

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6 फरवरी।
उत्तर प्रदेश में हो रहे उपचुनावों के बीच समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव का एक बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने चुनाव आयोग को लेकर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि “चुनाव आयोग मर गया है, अब इसे सफेद कपड़ा भेंट करना होगा।” उनके इस बयान के बाद सियासी माहौल गरमा गया है, और बीजेपी समेत कई दलों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।

अखिलेश यादव का आरोप – क्या कहा सपा अध्यक्ष ने?

अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग निष्पक्षता खो चुका है और सरकार के इशारों पर काम कर रहा है।

  • उन्होंने कहा कि “उपचुनावों में धांधली हो रही है, प्रशासन सरकार के दबाव में काम कर रहा है।”
  • अखिलेश ने यह भी दावा किया कि “चुनाव आयोग अब निष्पक्ष नहीं रहा, बल्कि सत्तारूढ़ दल (बीजेपी) के पक्ष में झुका हुआ है।”
  • उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “जब कोई मर जाता है, तो उसे सफेद कपड़ा दिया जाता है, अब हमें चुनाव आयोग को सफेद कपड़ा देना होगा।”

बीजेपी का पलटवार

अखिलेश यादव के इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

  • बीजेपी नेताओं ने इसे चुनाव आयोग का अपमान बताया और कहा कि सपा प्रमुख को अपने शब्दों पर विचार करना चाहिए
  • यूपी के डिप्टी सीएम ने कहा, “जब सपा चुनाव हारती है, तो वह संस्थाओं को दोष देने लगती है।”
  • बीजेपी ने चुनाव आयोग से अखिलेश यादव के इस बयान पर संज्ञान लेने की मांग की है।

क्या है उपचुनाव का माहौल?

उत्तर प्रदेश में कुछ सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, और इन चुनावों को लोकसभा चुनाव 2024 से पहले का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है।

  • सपा और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर है।
  • अखिलेश यादव का यह बयान चुनाव से ठीक पहले आया है, जिससे यह साफ है कि सपा को प्रशासन और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर संदेह है

क्या चुनाव आयोग पर सवाल उठाना सही?

राजनीति में चुनाव आयोग को एक स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्था माना जाता है। हालांकि, विपक्षी दल अक्सर यह आरोप लगाते रहे हैं कि सरकार इस पर दबाव बनाती है

  • इससे पहले भी कई चुनावों में चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठे हैं
  • हालांकि, आयोग ने हमेशा अपनी पारदर्शिता बनाए रखने का दावा किया है

निष्कर्ष

अखिलेश यादव का यह बयान यूपी की राजनीति को और गरमा सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या चुनाव आयोग इस पर कोई कार्रवाई करता है, या सपा प्रमुख अपने बयान पर सफाई देते हैं। फिलहाल, उपचुनावों के नतीजे ही यह तय करेंगे कि क्या सपा के आरोपों में कोई सच्चाई है या यह सिर्फ चुनावी रणनीति का हिस्सा है।

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