समग्र समाचार सेवा
नयी दिल्ली, 22जून। निर्वाचन आयोग ने सोमवार को अपने रजिस्टर से उन 111 राजनीतिक दलों को हटाने का फैसला किया जो सत्यापन कवायद के दौरान ‘अस्तित्वहीन’ पाए गए. आयोग के अनुसार राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) से रिपोर्ट मिली थी कि सत्यापन के दौरान ये ‘पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल’ ‘अस्तित्वहीन’ पाए गए या अधिकारियों द्वारा उनके पतों पर भेजे गए पत्रों को डाक विभाग वितरित नहीं कर सका. इसके बाद आयोग ने यह कार्रवाई की और चुनाव चिह्न आदेश (1968) के तहत इन दलों को दिए गए विभिन्न लाभों को वापस लेने का फैसला किया. इनमें एक समान चुनाव चिन्ह का आवंटन भी शामिल था.
निर्वाचन आयोग ने एक बयान में कहा कि कोई भी पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (आरयूपीपी) अगर इस फैसले से असंतुष्ट है तो वह सभी सबूतों, वर्षवार वार्षिक लेखा परीक्षित खातों, व्यय रिपोर्ट और पदाधिकारियों की अद्यतन सूची के साथ 30 दिनों के भीतर संबंधित सीईओ से संपर्क कर सकता है. उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरुआत में, आयोग ने 87 ऐसे राजनीतिक दलों को अपने रजिस्टर से हटा दिया था. आयोग सूत्रों ने उन विभिन्न दलों से जुड़े विशिष्ट विवरण साझा किए जिन्होंने कानूनों और नियमों का उल्लंघन किया है. ये विवरण सार्वजनिक तौर पर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइटों पर उपलब्ध हैं.
निर्वाचन आयोग ने कहा कि गंभीर वित्तीय अनियमितताओं में शामिल ऐसे तीन दलों के खिलाफ आवश्यक कानूनी और आपराधिक कार्रवाई के लिए राजस्व विभाग को जानकारी दी गई है. भारत में करीब 2,800 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल हैं. आयोग विभिन्न राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने की अनुमति देने के लिए सरकार पर दबाव बनाता रहा है. आयोग ने कई मौकों पर कानून मंत्रालय को चुनाव कानून में संशोधन करने के लिए लिखा है ताकि उसे पंजीकरण रद्द करने का अधिकार मिल सके जिससे वह वित्तीय और अन्य अनियमितताओं में लिप्त पार्टियों पर रोक लगा सके.
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