अगले एक साल में नक्सलियों को खत्म करना: कितनी बड़ी चुनौती?

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,7 जनवरी।
भारत में नक्सलवाद पिछले कई दशकों से आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। सरकार ने कई प्रयास किए हैं, लेकिन नक्सलवाद का जड़ से उन्मूलन अब भी अधूरा है। हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अगले एक साल में नक्सलवाद को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य जितना महत्वाकांक्षी है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी।

नक्सलवाद का नेटवर्क और उनकी ताकत

नक्सलियों का नेटवर्क भारत के कई राज्यों में फैला हुआ है। देश के “रेड कॉरिडोर” के नाम से जाने जाने वाले इलाकों में उनकी सबसे ज्यादा सक्रियता है। यह क्षेत्र मुख्य रूप से छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, बिहार, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को कवर करता है।

  • छत्तीसगढ़: नक्सलियों का गढ़ माना जाता है, विशेष रूप से बस्तर और दंतेवाड़ा क्षेत्र।
  • झारखंड: लातेहार, चतरा, और पलामू जैसे जिले नक्सली हिंसा से प्रभावित हैं।
  • ओडिशा और आंध्र प्रदेश: ये राज्य माओवादियों के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट और छिपने के लिए उपयुक्त क्षेत्र प्रदान करते हैं।

नक्सलवाद को खत्म करना क्यों है चुनौतीपूर्ण?

  1. भौगोलिक जटिलता:
    नक्सल प्रभावित क्षेत्र घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ियों से घिरे हैं। यह इलाका सुरक्षा बलों के लिए ऑपरेशन चलाने में मुश्किलें खड़ी करता है।
  2. स्थानीय समर्थन:
    नक्सली स्थानीय आदिवासी और ग्रामीण समुदायों के साथ अपनी विचारधारा साझा करते हैं। गरीबी, अशिक्षा और विकास की कमी के कारण लोग उनके प्रभाव में आ जाते हैं।
  3. फंडिंग और हथियार:
    नक्सलियों का एक मजबूत वित्तीय नेटवर्क है। वे अवैध खनन, ठेकेदारों से वसूली और दूसरे आपराधिक गतिविधियों से धन जुटाते हैं।
  4. सुरक्षा बलों पर हमले:
    नक्सली सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं। उनके द्वारा लगाए गए लैंडमाइंस और घात लगाकर किए गए हमले अक्सर सुरक्षा बलों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं।

सरकार का प्लान और चुनौतियां

केंद्र सरकार ने नक्सलवाद खत्म करने के लिए “समाधान” नामक एक व्यापक योजना तैयार की है। इसमें सुरक्षा बलों की तैनाती, इंटेलिजेंस नेटवर्क को मजबूत करने, और विकास कार्यों को तेज करने जैसे उपाय शामिल हैं।

  • सुरक्षा बलों की रणनीति:
    सुरक्षा बलों को आधुनिक हथियारों, ड्रोन और उन्नत संचार उपकरणों से लैस किया जा रहा है। साथ ही, उन्हें माओवादियों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
  • विकास कार्य:
    नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़क, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। आदिवासियों और गरीब समुदायों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए योजनाएं शुरू की गई हैं।

कितनी सफल होगी यह योजना?

नक्सलवाद को खत्म करने के लिए सरकार की नीतियां और सुरक्षा बलों का समर्पण सराहनीय हैं, लेकिन यह लड़ाई आसान नहीं है।

  1. स्थानीय सहयोग जरूरी:
    जब तक स्थानीय समुदाय सरकार के साथ नहीं आते, नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई अधूरी रहेगी।
  2. लंबी अवधि की योजना:
    नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए दीर्घकालिक और सतत प्रयासों की आवश्यकता होगी।

निष्कर्ष:

नक्सलवाद भारत के सामने एक बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती है। सरकार ने अगले एक साल में इसे खत्म करने का जो लक्ष्य रखा है, वह महत्वाकांक्षी तो है, लेकिन इसमें सफलता के लिए सुरक्षा बलों और विकास योजनाओं के साथ-साथ स्थानीय समुदायों का सहयोग भी बेहद जरूरी होगा। अगर सही रणनीति और दृढ़ संकल्प के साथ काम किया गया, तो नक्सलवाद को खत्म करना संभव है।

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