पीएम-कुसुम योजना का विस्तार: किसानों के लिए ऊर्जा सुरक्षा और आय वृद्धि का बड़ा कदम

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6अगस्त। भारत सरकार ने मार्च 2019 में शुरू की गई प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना को जनवरी 2024 तक बढ़ा दिया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को ऊर्जा और जल सुरक्षा प्रदान करना, उनकी आय में वृद्धि करना, कृषि क्षेत्र को डीजल मुक्त बनाना, और पर्यावरण प्रदूषण को कम करना है।

पीएम-कुसुम योजना के अंतर्गत तीन प्रमुख घटक:
i. घटक-ए:
इस घटक के तहत, किसान अपनी जमीन पर 2 मेगावाट की क्षमता तक के विकेंद्रीकृत ग्राउंड/स्टिल्ट माउंटेड ग्रिड कनेक्टेड सोलर या अन्य नवीकरणीय ऊर्जा आधारित पावर प्लांट लगा सकते हैं। ये नवीकरणीय ऊर्जा पावर प्लांट (आरईपीपी) किसान अपनी जमीन पर खुद या किसानों के समूह/सहकारी समितियों/पंचायतों/किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ)/जल उपयोगकर्ता संघों (डब्ल्यूयूए) के साथ साझेदारी में या डेवलपर के माध्यम से लगा सकते हैं। इन पावर प्लांट्स से उत्पन्न नवीकरणीय बिजली को डिस्कॉम द्वारा पहले से तय स्तरीकृत टैरिफ पर खरीदा जाता है।

किसान यदि अपनी जमीन डेवलपर को पट्टे पर देते हैं, तो वे लीज़ रेंट के लिए भी पात्र होते हैं। इसके अलावा, डिस्कॉम को वाणिज्यिक संचालन तिथि से पांच वर्ष की अवधि के लिए खरीदी गई प्रति यूनिट 0.40 रुपये या स्थापित क्षमता के प्रति मेगावाट 6.6 लाख रुपये, जो भी कम हो, की दर से प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन (पीबीआई) प्राप्त करने का अधिकार है। डिस्कॉम, अगर चाहें, तो केंद्र सरकार द्वारा दिए गए पीबीआई को आरईपीपी मालिक को दे सकते हैं ताकि आरई बिजली का अधिक प्रतिस्पर्धी टैरिफ प्राप्त किया जा सके।

ii. घटक-बी:
इस घटक के अंतर्गत किसान सिंचाई के लिए स्टैंड-अलोन सोलर एग्रीकल्चर पंप लगा सकते हैं। सरकार स्टैंड-अलोन सोलर एग्रीकल्चर पंप के लिए 30% (या पूर्वोत्तर क्षेत्र/पहाड़ी क्षेत्र/द्वीपों के लिए 50%) की केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) प्रदान करती है।

iii. घटक-सी:
यह घटक अपने व्यक्तिगत पंप सोलराइजेशन (आईपीएस) मोड के तहत ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों के सोलराइजेशन और कृषि भार के फीडर लेवल सोलराइजेशन (एफएलएस) को भी सक्षम बनाता है। सरकार घटक-सी के तहत आईपीएस और एफएलएस दोनों के लिए 30% (या पूर्वोत्तर क्षेत्र/पहाड़ी क्षेत्र/द्वीपों के लिए 50%) की केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) प्रदान करती है। यह किसानों को दिन के समय सुनिश्चित सौर ऊर्जा प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।

योजना का प्रभाव
30 जून 2024 तक, पीएम-कुसुम योजना के माध्यम से देश में 4,11,222 किसानों को लाभान्वित किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश की राज्य कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 29 जुलाई 2024 तक राज्य में 51,097 किसानों को योजना का लाभ मिला है।

केंद्रीय वित्तीय सहायता
पीएम-कुसुम योजना के घटक-बी और घटक-सी के तहत, भारत सरकार स्टैंडअलोन कृषि पंपों की स्थापना और ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों के सौरीकरण के लिए 30% (या पूर्वोत्तर क्षेत्र/पहाड़ी क्षेत्र/द्वीपों के लिए 50%) की केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) प्रदान करती है।

इस जानकारी को नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दिया। उन्होंने यह भी बताया कि इस योजना से किसानों की आय में वृद्धि और पर्यावरण प्रदूषण में कमी का उद्देश्य पूरा हो रहा है। पीएम-कुसुम योजना किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उनके जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

सरकार का यह कदम कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है। इस योजना का लक्ष्य किसानों को न केवल ऊर्जा स्वतंत्रता प्रदान करना है, बल्कि उन्हें अधिक आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाना भी है। इससे न केवल कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी बल्कि पर्यावरणीय लाभ भी सुनिश्चित होंगे।

पीएम-कुसुम योजना के माध्यम से, सरकार का प्रयास है कि किसानों की आय में वृद्धि हो और उनकी ऊर्जा आवश्यकताएं पूरी हों, जिससे वे अपनी खेती को और अधिक सस्टेनेबल और पर्यावरण-अनुकूल बना सकें।

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