पेंशनभोगियों द्वारा डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र जमा करने के लिए ‘फेस ऑथेंटिकेशन टेक्नोलॉजी’ का किया जाएगा उपयोग
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10अगस्त। पेंशनभोगियों द्वारा हर साल नवंबर के महीने में (80 वर्ष और उससे अधिक उम्र के पेंशनभोगियों के लिए अक्टूबर के महीने में अपने जीवन प्रमाण पत्र जमा करने के विशेष प्रावधान के साथ) जीवन प्रमाण पत्र जमा कराना एक महत्वपूर्ण गतिविधि है ताकि उनकी पेंशन की निरंतरता सुनिश्चित हो सके।
केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों के ‘ईज ऑफ लिविंग’ को बेहतर बनाने के लिए, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (डीएलसी) यानी जीवन प्रमाण को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रहा है। प्रारंभ में बायोमेट्रिक्स का उपयोग करके डीएलसी जमा करना शुरू किया गया था। इसके बाद विभाग ने सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ मिलकर आधार डेटाबेस पर आधारित फेस ऑथेंटिकेशन टेक्नोलॉजी सिस्टम विकसित किया, जिसके द्वारा एंड्रॉइड आधारित स्मार्ट फोन से जीवन प्रमाण पत्र भेजना संभव हुआ है। इस सुविधा के अनुसार, किसी व्यक्ति की पहचान चेहरा पहचानने की तकनीक के माध्यम से की जाती है और डीएलसी सृजित होता है। यह महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी नवंबर 2021 में लॉन्च की गई है जिसने पेंशनभोगियों की बाहरी बायो-मीट्रिक उपकरणों पर निर्भरता को कम कर दिया है और स्मार्टफोन-आधारित तकनीक का लाभ उठाकर इस प्रक्रिया को जनता के लिए अधिक सुलभ और किफायती बना दिया है।
डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र जमा करने के लिए डीएलसी/फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक के उपयोग के लिए केंद्र सरकार के सभी पेंशनभोगियों के साथ-साथ पेंशन वितरण प्राधिकरणों के बीच जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने नवंबर 2022 के महीने में 37 शहरों में एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया था। यह अभियान बहुत सफल रहा और केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों को 35 लाख से अधिक डीएलसी जारी किए गए।
इसी तरह का एक अभियान अब 50 लाख से अधिक पेंशनभोगियों को लक्षित करने के लिए 1 से 30 नवंबर, 2023 तक देश के 100 शहरों में आयोजित किया जाएगा। इस अभियान की सफलता सुनिश्चित करने और जीवन प्रमाण पत्र जमा करने के डिजिटल तरीकों का पूरा लाभ देश के दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले पेंशनभोगियों तक पहुंचाने और बहुत वरिष्ठ/बीमार/असहाय पेंशनधारकों को जीवन प्रमाण पत्र में सहायता प्रदान करने के लिए एक व्यापक परिपत्र जारी किया गया है। इसमें भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों, पेंशन वितरण करने वाले बैंकों और पेंशनभोगी संघों के सभी हितधारकों की भूमिकाओं/जिम्मेदारियों को परिभाषित किया गया है। इन दिशानिर्देशों में अभियान के लिए हितधारकों द्वारा नोडल अधिकारियों का नामांकन, कार्यालयों और बैंक शाखाओं/एटीएम में रणनीतिक रूप से लगाए गए बैनर/पोस्टर के माध्यम से डीएलसी-फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक के बारे में जागरूकता फैलाना/उचित प्रचार करना और जहां तक हो सके डीएलसी/फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक का उपयोग करना शामिल है। इसके अलावा जहां तक संभव हो डोरस्टेप बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाया जाता है। बैंकों की शाखाओं में समर्पित कर्मचारियों को एंड्रॉइड फोन से लैस किया जाता है, ताकि जब पेंशनभोगी जीवन प्रमाण पत्र जमा करने के लिए शाखा में आएं तो इस प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा सके। पेंशनभोगियों को बिना किसी देरी के अपने डीएलसी जमा करने में सक्षम बनाने के लिए शिविरों का आयोजन और बिस्तर पर लेटे पेंशनभोगियों के मामले में उनके घर का दौरा करना भी शामिल हैं।
इसके अलावा पेंशनभोगी कल्याण संघों को भी डीएलसी जमा करने के लिए पेंशनभोगियों के लिए शिविर आयोजित करने के लिए संवेदनशील बनाया गया है। विभाग की टीमें पूरे देश में विभिन्न स्थानों का भ्रमण करेंगी, ताकि पेंशनभोगियों को अपने जीवन प्रमाण पत्र जमा करने के लिए विभिन्न डिजिटल तरीकों के उपयोग में सहायता प्रदान की जा सके। ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब पर वीडियो का उपयोग करते हुए सोशल मीडिया के माध्यम से भी इस बारे में उचित प्रचार किया जाएगा।
Comments are closed.