राजधानी में लद्दाखी कलाओं और जी-आई टैग वाले उत्पादों का मेला, पश्मीना और लकड़ी-नक्काशी कलाओं का सजीव प्रदर्शन सप्ताह
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,1दिसंबर। बीते एक सप्ताह 24 से 30 नवंबर तक राजधानी नई दिल्ली के नागरिकों को लद्दाख की ललित कलाओं तथा पश्मीना और लकड़ी की कलात्मक नक्काशी समेत उन सभी उत्पादों का आनंद लेने का अवसर मिला। जिन्हें उनकी विशिष्ट अंतर्राष्ट्रीय पहचान के लिए इतिहास में पहली बार इस साल ‘जी आई टैग’ का सम्मान मिला है। यहां के आल इंडिया फ़ाइन आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स सोसायटी (आईफ़ैक्स) भवन में शुक्रवार 24 नवंबर से शुरू हुए ‘लद्दाख का गौरव’ (लद्दाख्स प्राइड) समारोह में मेहमानों को इनके अलावा लद्दाख के सांस्कृतिक और प्राकृतिक सौंदर्य को दिखाने वाली एक विशाल अंतर्राष्ट्रीय फोटो-प्रदर्शनी; पश्मीना कारीगरों और लकड़ी की कलात्मक नक्काशी वाली कला के सभी चरणों को अपने हाथों से करते हुए दिखाने वाले सजीव प्रदर्शन; राज्य के उभरते हुए युवा कलाकारों की पेंटिंग्स; तथा लद्दाखी संगीत और नृत्य का आनंद भी मिला।
इस समारोह का आयोजन लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद, लेह (एल ए एच डी सी) द्वारा किया गया था।
इसकी अंतर्राष्ट्रीय मेगा फोटो प्रदर्शनी ‘ब्यूटीफुल लद्दाख’ के आयोजन में राजधानी के थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर हिमालयन एशिया स्टडीज़ एंड एंगेजमेंट’ (चेज़) ने नालेज-पार्टनर के रूप में सहयोगी आयोजक की भूमिका निभायी है।
इस साल लद्दाख के इतिहास का सबसे पहला ‘जी आई टैग’ यहां की खुमानी की एक विशिष्ट प्रजाति ‘रिक्से कारपो एप्रीकॉट’ को मिला है जो खुमानी के लिए प्रसिद्ध लद्दाख की 30 प्रजातियों में से एक है और यह राज्य के लेह और कारगिल दोनों जिलों में उगाई जाती है। इस प्रजाति को इसकी विशेष मिठास और सफेद बादाम के कारण बहुत पसंद किया जाता है। दूसरा जीआइ-टैग लद्दाख के दूरस्थ और अति ठंडे क्षेत्र चंगथांग में पायी जाने वाली बकरी ‘चांग-रा’ के पश्मीना को मिला है जो दुनिया के सबसे ऊंचे और सबसे ठंडे बसे हुए क्षेत्रों में गिना जाता है।
यह पश्मीना विश्व की सबसे महीन और गर्म प्राकृतिक ऊन की श्रेणियों में शामिल है। लद्दाख के लिए तीसरा जीआइ-टैग पाने का सम्मान यहां की कलात्मक लकड़ी की नक्काशी को मिला है जिसके सुंदर और रंगबिरंगे उत्पाद भारत और दुनिया भर से आने वाले पर्यटकों में बहुत लोकप्रिय हैं। ऐसा चौथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मान पाने वाला लद्दाखी उत्पाद यहां की पहाड़ियों में उगने वाली बेर की एक विशेष प्रजाति ‘सीबकथार्न’ है जिसके के पत्तों, फूलों, बेर ओैर बीज के वैज्ञानिक अध्ययनों में उन्हें दवा, प्रसाधन और खाद्य के संदर्भ में बहुत उपयोगी पाया गया है। राज्य में इसका हर साल लगभग 600 टन उत्पादन होता है और देश विदेश में इसकी बहुत भारी मांग है।
कार्यक्रम के बारें में विकास परिशद के मुख्य कार्यकारी पार्शद ताशी ग्यालसेन बताया था कि लद्दाख को जम्मू कश्मीर से अलग एक केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिलने से पहले यहां का पश्मीना मुख्य रूप से केवल कच्चे माल के रूप में बिक जाता था और इसका असली मूल्य संवर्धन लद्दाख से बाहर होता आया है। लेकिन अब यूटी बनने के बाद हमारी विकास परिशद के हैंडीक्राफ्ट और इंडस्ट्री विभाग प्रदेश के भीतर ही इससे हर तरह के उत्पाद बनाने के लिए यहां के पश्मीना कारीगरों और युवा उद्यमियों को प्रोत्साहन देने में लगे हुए हैं। इन प्रयासो की सफलता को देखते हुए अब यह तय हो गया है कि आने वाले कुछ साल में ही पश्मीना उद्योग यहां की अर्थव्यवस्था का बहुत महत्वपूर्ण अंग बन जाएगा। हमारे अथक प्रयासों से हमारे चार उत्पादों को जीआई-टैग मिलने के बाद अब हमारे इस पर्वतीय क्षेत्र के बकरी पालकों, कारीगरो और उद्यमियो के लिए प्रगति और समृद्धि के नए द्वार खुलने शुरू हो गए हैं। नई दिल्ली में इस समारोह का आयोजन करने के पीछे हमारा उद्देश्य पूरे भारत के साथ अपनी प्रसन्ना और आत्मविश्वास को साझा करना है।’’
सप्ताह भर के इस समारोह में अन्य मुख्य आकर्षण एक अंतर्राष्ट्रीय मेगा फोटो प्रदर्शनी ‘ब्यूटीफुल लद्दाख’ है जिसमें लद्दाख की कलाओं, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के साक्षी 160 से अधिक फोटो थे। इनका प्रदर्शन आईफैक्स की सभी चार गैलरियों में किया गया है। विकास परिशद और चेज़ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय फोटो प्रतियोगिता के माध्यम से इकट्ठा किए गए थे ये फोटो लद्दाख, शेष भारत और विदेश के लगभग 40 फोटोग्राफरों के सर्वोत्तम श्रेणी के फोटो हैं। राजधानी के इतिहास की सबसे विशाल फोटो प्रदर्शनियों में गिनी जा सकने वाली इस प्रदर्शनी के क्यूरेटर, चेज़ के चेयरमैन और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फोटोग्राफर विजय क्रान्ति का कहना है, ‘‘इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य लद्दाख की कलात्मक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता को फिर से रेखांकित करना है जिनके कारण यह प्रदेश दुनिया भर के फोटोग्राफरों और पर्यटकों का गंतव्य बन चुका है। शायद यह पहला अवसर था जब इतने बड़े पैमाने पर लद्दाख की सुंदरता पेश करने वाली इतनी विशाल फोटा प्रदर्शनी आयोजित की गई है। हमारे इस प्रयास के कारण लद्दाख के कई नए और उदीयमान फोटोग्राफरों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी कला दिखाने और नया आत्मविश्वास अर्जित करने का अवसर प्राप्त हुआ है।’’ प्रदर्शनी के अधिकांश पश्मीना संबंधी फोटो विजय क्रान्ति के पश्मीना अध्ययन से लिए गए हैं।
इसके आयोजन स्थल आईफैक्स भवन की एक नई विशेषता यह रही कि यह भारत के नए संसद भवन का एकदम पहला पड़ोसी भवन है।
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