समग्र समाचार सेवा
पणजी, गोवा, 22 मई — उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज भारत के कृषक समुदाय से आह्वान किया कि वे केवल उत्पादन तक सीमित न रहें, बल्कि कृषि उत्पादों के विपणन और मूल्य संवर्धन में भी सक्रिय भागीदारी करें। गोवा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) – केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान (CCARI) में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने किसानों को प्रत्यक्ष सरकारी सहायता देने की वकालत की और बिचौलियों को हटाने की जरूरत पर बल दिया।
उपराष्ट्रपति ने कहा, “विकसित भारत का रास्ता किसान के खेत और गांव से होकर जाता है,” और इस दौरान कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था और ग्रामीण विकास की रीढ़ बताया। उन्होंने कहा कि किसानों को केवल उत्पादन तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि कृषि-आर्थिकी की पूरी श्रृंखला में उनकी भूमिका होनी चाहिए—विपणन, मूल्य संवर्धन और नवाचार तक।
धनखड़ ने ‘एग्रीप्रेन्योर्स’ (कृषि उद्यमियों) के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “देश में लाखों एग्रीप्रेन्योर होने चाहिए।” उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़े युवा अब डेयरी, फल-सब्जी व्यापार जैसे कृषि व्यवसायों में उतर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया, “तो पारंपरिक किसान परिवार क्यों नहीं?”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की नीतियां भंडारण और ऋण जैसी सुविधाओं में किसानों के लिए बेहद अनुकूल हैं। साथ ही उन्होंने बड़ी कंपनियों से आह्वान किया कि जो कृषि उत्पादों से लाभ उठाती हैं, वे किसान की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहयोग करें—शोध, CSR फंड और ग्रामीण विकास के माध्यम से।
सब्सिडी के विषय में बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि यह सहायता सीधे किसानों को दी जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि लगभग ₹3 लाख करोड़ की उर्वरक सब्सिडी का लाभ किसानों को प्रत्यक्ष रूप से महसूस नहीं होता। “अगर यह पैसा सीधे किसानों को भेजा जाए, तो हर किसान को सालाना ₹30,000 से ₹35,000 तक मिल सकते हैं,” उन्होंने कहा। उन्होंने अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां किसानों को सीधे सरकारी सहायता मिलती है, जिससे उनकी औसत आय सामान्य परिवारों से अधिक होती है।
धनखड़ ने किसानों से आग्रह किया कि वे नई तकनीकों को अपनाएं और कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) के साथ अधिक संपर्क बनाएं। उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की सक्रियता की सराहना करते हुए बताया कि मंत्री अब तक 730 से अधिक केवीके से संवाद कर चुके हैं और कृषि संस्थानों को अधिक सक्रिय कर रहे हैं।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने प्राकृतिक खेती में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्मश्री संजय अनंत पाटिल की भी प्रशंसा की और गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत द्वारा प्राकृतिक खेती के प्रचार-प्रसार की व्यक्तिगत पहल का उल्लेख किया। उन्होंने ICAR से अपने 1989 से चले आ रहे लंबे जुड़ाव को भी साझा किया।
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