जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटना पर फारूक अब्दुल्ला का बयान: “इनको मारने के बजाय…”

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,2 नवम्बर। जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुई आतंकी घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस घटना के संदर्भ में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने सरकार की नीति पर सवाल उठाया है। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि आतंकियों को मारने के बजाय उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए, ताकि हिंसा का यह चक्र समाप्त हो सके।

आतंकवाद का मुद्दा और समाधान की आवश्यकता

फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की समस्या को केवल बल प्रयोग के माध्यम से नहीं हल किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि यदि हम केवल आतंकियों को खत्म करते रहेंगे, तो यह समस्या समाप्त नहीं होगी। उनका मानना है कि आतंकवाद के पीछे सामाजिक और आर्थिक कारण होते हैं, जिनका समाधान निकालना बेहद आवश्यक है।

संवाद और सामंजस्य की आवश्यकता

फारूक अब्दुल्ला ने सुझाव दिया कि सरकार को आतंकवादियों से बातचीत करनी चाहिए और उनके grievances को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई युवा जो आतंकवाद की ओर बढ़ रहे हैं, वे केवल मौजूदा हालात के कारण ऐसा कर रहे हैं। यदि उनके लिए विकास के अवसर प्रदान किए जाएं और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए, तो वे मुख्यधारा में लौट सकते हैं।

सरकार की नीतियों पर सवाल

फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों की कार्रवाई में वृद्धि हुई है, लेकिन इससे आतंकवाद का समाधान नहीं निकला। इसके विपरीत, स्थिति और भी बिगड़ गई है। उन्होंने सरकार से यह मांग की कि वह स्थिति को समझे और उचित कदम उठाए।

स्थानीय लोगों की भूमिका

अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि स्थानीय लोगों को भी इस समस्या को सुलझाने में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। उन्हें आतंकवाद के खिलाफ खड़ा होना होगा और अपने युवाओं को सही दिशा में मार्गदर्शन देना होगा। यह सिर्फ सरकार का काम नहीं है, बल्कि समाज के हर वर्ग की जिम्मेदारी है कि वे इस समस्या का समाधान करें।

निष्कर्ष

फारूक अब्दुल्ला का यह बयान जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की समस्या के समग्र समाधान की आवश्यकता को उजागर करता है। केवल बल प्रयोग से स्थिति को स्थायी रूप से सुधारा नहीं जा सकता। आवश्यकता है कि सरकार और समाज मिलकर इस समस्या का समाधान करें। संवाद और सहानुभूति के माध्यम से ही हम एक स्थायी शांति की दिशा में बढ़ सकते हैं।

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