समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22 अगस्त: एक महीने चला संसद का मानसून सत्र गुरुवार को हंगामे और विरोध प्रदर्शनों के बीच समाप्त हो गया। सरकार ने इसे “फलदायी और सफल” करार दिया, जबकि विपक्ष ने इसे लगभग “पूरी तरह बेकार” बताया। बिहार में चुनावी मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (SIR) को लेकर विपक्ष का विरोध पूरे सत्र पर भारी पड़ा।
प्रधानमंत्री का बयान: “युवा सांसदों को नहीं मिला मौका”
सत्र के समापन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के कार्यालय में पार्टी नेताओं के साथ एक अनौपचारिक बैठक की।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के युवा सांसदों को नेतृत्व की “असुरक्षा” के कारण बहस में हिस्सा लेने का अवसर नहीं दिया गया।
हालांकि मोदी ने राहुल गांधी का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया, लेकिन उनके बयान को विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर अप्रत्यक्ष हमला माना गया। राहुल इस समय बिहार में चुनाव आयोग के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं।
84 घंटे का समय बर्बाद, केवल 37 घंटे का काम
लोकसभा सचिवालय के अनुसार, 21 जुलाई से शुरू हुए इस सत्र में कुल 21 बैठकें हुईं।
लेकिन बार-बार के व्यवधानों और नारेबाजी के चलते 84 घंटे से अधिक का समय बर्बाद हुआ, जबकि केवल 37 घंटे 7 मिनट का प्रभावी कार्य हो सका।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसे “योजना के तहत व्यवधान” बताते हुए दुर्भाग्यपूर्ण कहा और कहा कि यह सदन की गरिमा के खिलाफ है।
सरकार की उपलब्धियाँ
लगातार हंगामे और टकराव के बावजूद सरकार ने 14 विधेयक पेश किए और 12 महत्वपूर्ण कानून पारित किए।
इनमें शामिल हैं—
- ऑनलाइन गेमिंग विधेयक
- खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक
- राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक
- नया आयकर विधेयक
सरकार ने कहा कि यह उपलब्धियाँ सत्र की “उत्पादकता” को साबित करती हैं।
विपक्ष का आरोप: “ध्यान भटकाने की रणनीति”
सत्र के दौरान सबसे विवादास्पद रहा गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किया गया संविधान संशोधन विधेयक, जिसमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को गंभीर आरोपों के तहत 30 दिनों की गिरफ्तारी पर पद से हटाने का प्रावधान है।
विपक्ष ने इस विधेयक का जमकर विरोध किया। कांग्रेस ने इसे “जनता का ध्यान भटकाने का हथियार” करार दिया।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा—
“यह सत्र टकराव और अव्यवस्था के लिए याद किया जाएगा। सरकार ने असली मुद्दों से बचने के लिए यह सब किया।”
राज्यसभा में भी गूंजा हंगामा
राज्यसभा भी इससे अछूती नहीं रही। उपाध्यक्ष हरिवंश ने कहा कि लगातार व्यवधानों ने सदस्यों को महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने से रोका।
जहाँ सरकार अपने विधायी एजेंडे को सफलता बता रही है, वहीं विपक्ष का कहना है कि मानसून सत्र का असली फोकस टकराव और हंगामा ही रहा।
संसद का यह मानसून सत्र सरकार और विपक्ष की खींचतान और आरोप-प्रत्यारोप में बीता।
जहाँ सरकार इसे “उपलब्धियों से भरा” बता रही है, वहीं विपक्ष इसे “व्यर्थ और निराशाजनक” करार दे रहा है।
अब देखना यह होगा कि आने वाले सत्र में क्या संसद अपना खोया हुआ समय और गरिमा वापस पा सकेगी।
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