FIR तुरंत दर्ज हो, थानों में सुनवाई हो, कानून का शासन हो- कमिश्नर बालाजी श्रीवास्तव

इंद्र वशिष्ठ
थानों में जो भी व्यक्ति जाता है उसकी अविलंब सुनवाई हो। बिना देरी किए आसानी से एफआईआर दर्ज की जाए। देश की राजधानी को अपराधियों से मुक्त रखने के लिए पुलिस सड़कों पर नजर आए और लोगों के लिए उपलब्ध हो।
दिल्ली पुलिस के कार्यवाहक कमिश्नर बालाजी श्रीवास्तव ने अपने मातहतों को दिए संदेश में यह निर्देश दिए हैंं। बालाजी श्रीवास्तव ने तीन जुलाई को वरिष्ठ पुलिस अफसरों के साथ बैठक कर अपनी प्राथमिकताएं बताई।
कानून का राज-
बालाजी श्रीवास्तव ने कहा कि कानून का राज सही मायने में (यानी जमीन पर) लागू किया जाना चाहिए। पुलिस सड़कों पर नजर (विजिबल) आए और लोगों के लिए सुलभ/उपलब्ध (एक्सेसबल) हो। सड़कों पर पुलिस हावी होनी चाहिए ताकि महिलाओं,बच्चों समेत सभी लोगों को बदमाशोंं/अपराधियों से मुक्त सुरक्षित स्थान/माहौल उपलब्ध हो।
 बदमाशों/अपराधियों को कानून का स्वाद/ जायका चखाया जाए।
 जन सुनवाई-
पुलिस थानों में 3 जुलाई से जन शिकायत निवारण “जन सुनवाई” की शुरुआत की गई। जो अब हर शनिवार को आयोजित की जाएगी।
जन सुनवाई में इलाके के एसीपी थाने में लोगों/ शिकायकर्ताओं से मुलाकात कर उनकी समस्या का समाधान करेंगे।
कमिश्नर ने पुलिस अफसरों से कहा कि जन सुनवाई में आए लोगों की बात ध्यान से सुनी जाए और उनके मामले पर उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।
पुलिस थानों में रोजाना शिकायत निवारण के अलावा, यह जन सुनवाई नियमित रुप से हर शनिवार होगी।
इसके अलावा एसीपी लोगों से मिलने के लिए निर्धारित समय पर अपने कार्यालय में भी उपलब्ध रहेंगे।
वैसे कमिश्नर को जिलों के डीसीपी और रेंज के संयुक्त आयुक्त पर भी यह लागू करना चाहिए।
डीसीपी शिकायतों पर ध्यान दें।-
बालाजी श्रीवास्तव ने जिलों के उपायुक्तों से कहा कि वह लोगों की ऑनलाइन या ऑफ लाइन शिकायतों के लिए सतर्कता विभाग के एकीकृत शिकायत निगरानी प्रणाली (आईसीएमएस) के कामकाज पर भी निगरानी रखें।
बालाजी श्रीवास्तव की 8 प्राथिमकताएं-
1- थानों में जो भी व्यक्ति जाता है उसकी अविलंब सुनवाई हो। एफआईआर सरल प्रक्रिया से बिना देरी किए दर्ज करना होगा।
2- जांच के स्तर को और बढ़ाना होगा जिससे की सजा की दर को बढ़ाया जा सके।
3- तकनीकी तरीकों को तफ्तीश में बढ़ावा दिया जाएगा।
4-  बीट प्रणाली को और मजबूत किया जाएगा। ई-बीट सिस्टम को प्रभावी बनाया जाएगा।
पुलिस कल्याण सर्वोपरि – 
5- पुलिसकर्मियों की सुख सुविधाओं को बेहतर किया जाएगा ताकि वे बेहतर माहौल में काम कर सकें।
6- अच्छे कार्य पर उचित इनाम और बारी से पहले तरक्की सुनिश्चित की जाएगी।
7- रिक्त पदों को भरा जाएगा और उचित समय पर पदोन्नति दी जाएगी।
8- पुलिसकर्मियों के आवास, चिकित्सा और उनके बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान की जाएगी।
बालाजी श्रीवास्तव ने मातहतों को दिए संदेश में कहा कि पुलिसकर्मियों और उनके परिवार का कल्याण सर्वोपरि रहेगा।
कोई भी पुलिसकर्मी अपनी व्यक्तिगत समस्या के लिए कमिश्नर या अन्य उच्च अधिकारी के समक्ष पेश हो सकता हैं।
स्वतंत्रता दिवस के लिए चौकन्ने रहे-
पुलिस कमिश्नर बालाजी श्रीवास्तव ने कार्यभार संभालने के बाद अपनी पहली कोविड और अपराध समीक्षा बैठक की और स्वतंत्रता दिवस से पहले पुलिस अफसरों के समक्ष प्राथमिकताओं को बताया ।
 आगामी स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर भी जिलों के डीसीपी को आतंकवाद विरोधी उपायों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया, जिसमें होटल, गेस्टहाउस की जाँच, किरायेदारों और घरेलू सहायक का सत्यापन, पुरानी कार के डीलरों और साइबर कैफे आदि की जाँच शामिल है।
सूचना एकत्र करने और संदिग्ध और नापाक गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ‘आंख और कान’ योजना को फिर से सक्रिय करना।
कमिश्नर ने मातहतों से कहा पुलिस को सतर्क रहना होगा ताकि 15 अगस्त को या उसके पहले कोई आतंकवादी या अप्रिय घटना न होने पाए।
कोरोना-
कमिश्नर ने कोरोना की संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर डीसीपी से कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि सभी सार्वजनिक स्थानों पर कोविड के उचित व्यवहार को लागू करने के लिए कदम उठाए जाएं। कुछ प्रमुख बाजारों में भीड़ बढ़ने की खबरों पर उन्होंने डीसीपी को डीडीएमए दिशानिर्देशों को लाग का निर्देश दिया।
देखना है दम कितना बालाजी में है? –
 बालाजी को लंबे समय यानी मार्च 2024 तक दिल्ली पुलिस में काम करने का अवसर मिलेगा।
पिछले कई सालों से कमिश्नर के पद पर ऐसे नाकाबिल आईपीएस अफसर आए हैं जिन्होंने  सत्ता के लठैत बन खाकी को खाक में मिला दिया। ऐसे कमिश्नरों के कारण ही पुलिस में भ्रष्टाचार व्याप्त है। ये कमिश्नर अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने में भी विफल रहे। पेशेवर रुप से नाकाबिल कमिश्नरों के कारण ही आईपीएस अफसर और मातहत पुलिसकर्मी भी निरंकुश हो जाते हैं। जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता हैं।  हालत यह है कि लूट,झपटमारी आदि अपराध की सही एफआईआर तक दर्ज नहीं की जाती है। अपराध कम दिखाने के लिए अपराध को दर्ज ना करने या हल्की धारा में दर्ज किए जाने की परंपरा जारी है। थानों में लोगों से पुलिस सीधे मुंह बात तक नहीं करती। डीसीपी या अन्य वरिष्ठ अफसरों से मिलने के लिए भी लोगों को सिफारिश तक करानी पड़ती है।
अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि बालाजी श्रीवास्तव अपनी पेशेवर काबिलियत दिखा कर कमिश्नर पद का सम्मान,गरिमा बहाल करेंगे या वह अपने पूर्ववर्ती कमिश्नर की तरह सत्ता के लठैत बन पद की गरिमा को मटियामेट करेंगे।
दिल्ली पुलिस के कमिश्नर पद पर पहले अनेक ऐसे आईपीएस अफसर रहे हैं जिनकी काबिलियत और दमदार नेतृत्व क्षमता की मिसाल दी जाती है। काबिल कमिश्नर से ही आईपीएस भी डरते हैं।

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