गुणात्मक दृष्टि से भी महाराष्ट्र संसद में प्रथम – वरिष्ठ  पत्रकार व्यंकटेश केसरी

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 19अप्रैल।

संसद में महाराष्ट्र का इतिहास प्रेरणादाई रहा है. सत्ता में हो या प्रतिपक्ष में, महाराष्ट्र के नेताओं का रचनात्मक काम संसद में विभिन्न रूपों में देखने को मिला है. इसी कारण गुणात्मक दृष्टि से महाराष्ट्र संसद में अव्वल रहा है, यह प्रतिपादन वरिष्ठ पत्रकार व्यंकटेश केसरी ने आज किया. महाराष्ट्र सूचना केंद्र (एम आई सी) की ओर से महाराष्ट्र हीरक महोत्सव व्याख्यान श्रृंखला के तहत आयोजित 29 वे व्याख्यान में वे बोल रहे थे.

 

उन्होंने आगे कहा कि देश के पहले कानून मंत्री भारतीय संविधान के शिल्पकार डा बाबासाहब आंबेडकर, महाराष्ट्र की बेटी देश की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील, उप- प्रधानमंत्री पद पर रह चुके महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण, लोकसभा के पहले सभापति पद पर रहे दादासाहेब मावलंकर से लेकर आगे इस पद पर कार्य करने वाले महाराष्ट्र के नेता, प्रतिपक्ष नेता, कर्तव्यदक्ष केंद्रीय मंत्री तथा उत्कृष्ट सांसद देने वाले महाराष्ट्र का संसद में प्रदर्शन गौरवशाली रहा है. रचनात्मक कार्य करने वाले महाराष्ट्र के नेताओं ने संसद में अपने राज्य को सबसे आगे रखा है.

 

श्री वेंकटेश केसरी ने आगे कहा कि स्वाधीनता के आंदोलन में उल्लेखनीय योगदान देने वाले महाराष्ट्र ने संसद के कार्यप्रणाली में भी अपना डंका बजाया है. देश के पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल में कानून मंत्री के रूप में कार्यरत डा बाबासाहेब आंबेडकर एक महत्वपूर्ण मंत्री थे. वह राज्यसभा सदस्य थे. उनके रूप में महाराष्ट्र को संसद में प्रतिनिधित्व मिला था. साथ ही काका साहब गाडगिल देश के पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल में थे. भारत पर आने वाली आपदा को दूर करने के लिए मराठी नेताओं ने हमेशा बढ़-चढ़कर काम किया है. चीन ने भारत पर आक्रमण करने पर महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण को केंद्र में बुलाकर संरक्षण मंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई. श्री चव्हाण ने 1965 में पाकिस्तान के विरुद्ध युद्ध जीतकर भारतीय सेना का मनोबल बढ़ाया. इसके पश्चात उन्होंने गृह, अर्थ, विदेश मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभागों को सफलता के साथ संभाला और उप प्रधानमंत्री की जवाबदेही भी अच्छे से निभाई.

 

लोकसभा के पहले सभापति गणेश वासुदेव उर्फ दादासाहेब मावलंकर, जो  मराठी  थे, ने सांसद में अच्छी प्रथा स्थापित की. शिवराज पाटील चाकुरकर लोकसभा अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने संसद के कामकाज को टेलीविजन के माध्यम से देश के घर-घर तक पहुंचाया. उन्होंने टेलीविजन पर प्रश्नकाल तथा महत्वपूर्ण चर्चा भी देशभर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने सभागृह के कामकाज को एक दिशा दी और अनुशासन के साथ चलाया. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर जोशी तथा मध्य प्रदेश की मूल निवासी तथा मराठी सांसद सुमित्रा महाजन ने भी लोकसभा अध्यक्ष पद का कार्यकाल प्रशंसनीय तरीके से संभाला.

 

श्री केसरी ने आगे कहा कि महाराष्ट्र के कर्तव्यदक्ष मंत्री, सांसद का राष्ट्रीय स्तर पर योगदान तथा संसद में प्रदर्शन गौरतलब रहा है. लोकसभा के नेता के रूप में सुशील कुमार शिंदे को अवसर मिला जबकि यशवंतराव चव्हाण और शरद पवार ने प्रतिपक्ष नेता के रूप में अच्छा प्रदर्शन किया. श्रमिक नेता कॉमरेड श्रीपाद अमृत डांगे, समाजवादी नेता एस एम जोशी, नानासाहेब गोरे, बैरिस्टर नाथ पै, मधु दंडवते, जॉर्ज फर्नांडिस, विट्ठलराव गाडगिल, प्रमोद महाजन, राम नाईक और साथ ही महाराष्ट्र से चयनित ना होने वाले परंतु महाराष्ट्र के पक्ष में बोलने वाले मधु लिमये, नानाजी देशमुख ने भी संसद में अपने काम से छाप छोड़ी. मृणाल गोरे, प्रमिला दंडवते, सरोज खापर्डे, जयवंती बेन मेहता जैसी महिला सांसदों ने भी सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया और कई प्रश्न हल किए.

 

शंकर राव चव्हाण ने गृहमंत्री की हैसियत से किया हुआ प्रदर्शन भी उल्लेखनीय है. उनके कार्यकाल में पंजाब में शांति के साथ चुनाव हुए तथा जम्मू-कश्मीर और आसाम में शांति का प्रस्तावित करने में उन्होंने महत्वपूर्ण पहल की. यशवंतराव चव्हाण शंकर राव चव्हाण, शिवराज पाटील चाकुरकर तथा सुशील कुमार शिंदे ने देश के गृह मंत्री पद को पूरा न्याय देते हुए सराहनीय काम किया. अर्थमंत्री की जवाबदेही संभालने वाले चिंतामनराव देशमुख का प्रदर्शन भी उत्कृष्ट रहा है. यशवंतराव चव्हाण तथा शंकर राव चव्हाण ने भी अर्थ मंत्री के रूप में अच्छा काम किया. लगातार 10 वर्षों तक कृषि मंत्री बने रहे शरद पवार ने भी उल्लेखनीय काम किया है. मधु दंडवते, राम नाईक, सुरेश प्रभु तथा मौजूदा रेलवे मंत्री पीयूष गोयल जैसे सभी महाराष्ट्रीय मंत्रियों के काल में रेलवे का प्रदर्शन अच्छा रहा तथा उन्होंने भी अपने छाप छोड़ी है. दी हुई जवाबदेही को सक्षमता के साथ निभाने का महाराष्ट्र का इतिहास होने के कारण यहां के नेताओं को केंद्र में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर काम संभालने का अवसर मिला और उन्होंने भी यह जिम्मेदारी बखूबी निभाई.

 

श्री केसरी ने कहा कि संसद में उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र के सबसे अधिक सदस्य है. प्रजातंत्र के इस मंदिर में महाराष्ट्र केवल संख्यात्मक तरीके से ही नहीं अपितु गुणात्मक तरीके से भी अपना दबदबा बनाए हुए हैं. जिस तरह से यह रोब सत्ता में होते हुए दिखाई देता है, उसी प्रकार प्रतिपक्ष में भी वह खुलकर दिखाई पड़ता. राज्य का यह स्थान भविष्य में भी बरकरार रहेगा, यह विश्वास भी केसरी ने व्यक्त किया.

Comments are closed.