मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला शुक्रवार को इंदौर, मध्य प्रदेश में पीएमएमएसवाई की तीसरी वर्षगांठ पर एक कार्यक्रम को करेंगे संबोधित
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,14 सिंतबर। मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला शुक्रवार को ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर, इंदौर, मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) के कार्यान्वयन के तीन सफल वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री मत्स्य पालन विभाग की छह महीने लंबी पहुंच पहल “मत्स्य सम्पदा जागरूकता अभियान” शुरू करेंगे, जिसका लक्ष्य योजना के कुशल कार्यान्वयन और संभावित हितधारकों तक पहुंचना है ताकि पात्र लाभार्थी योजनाओं का लाभ उठा सकें, जबकि अभियान के अंतर्गत देश भर में सितंबर 2023 से फरवरी 2024 तक 108 मत्स्य किसान सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। इसका उद्देश्य योजना के बारे में संभावित लाभार्थियों को जागरूक करना है और अभियान मछली पालन क्षेत्र की बहुमुखी संभावनाओं और पीएमएमएसवाई मछुआरों और मछली किसानों की कैसे मदद कर सकती है, इसके बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए और 2.8 करोड़ मछली किसानों और 3,477 तटीय गांवों तक पहुंचने की परिकल्पना करता है। अभियान का उद्देश्य देश भर में मत्स्य पालन विभाग और इसके क्षेत्रीय संस्थानों की नौ वर्षों की उपलब्धियों और सफलता की कहानियों की जानकारी देना और ज्ञान का प्रसार करना भी है।
परषोत्तम रूपाला उत्पादन और उत्पादकता वृद्धि, फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे और अन्य मूल्य श्रृंखला वृद्धि हस्तक्षेपों से संबंधित पीएमएमएसवाई के तहत अनुमोदित विभिन्न परियोजनाओं का भी उद्घाटन करेंगे। पीएमएमएसवाई कार्यक्रम की तीसरी वर्षगांठ के जश्न के दौरान उजागर की जाने वाली प्रमुख गतिविधि मत्स्य पालन पर प्रदर्शनी का उद्घाटन होगा। इसमें नवाचारों का पता लगाने, विभिन्न पहलों, और स्टार्टअप द्वारा प्रदर्शित मत्स्य पालन क्षेत्र में प्रगति, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, मछली एफपीओ और मछली सहकारी समितियों द्वारा नवाचारों, पहलों को शामिल किया जाएगा। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के बाद पीएमएमएसवाई के तहत सफलता की कहानियां साझा की जाएंगी, जिसमें विभिन्न मत्स्य पालन कार्यों से जुड़े लाभार्थियों और मछली किसानों को अपनी सफलता की कहानियां साझा करने का अवसर मिलेगा। कार्यक्रम हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जा रहा है और उम्मीद है कि देश भर से 20,000 से अधिक प्रतिभागी इस कार्यक्रम में भाग लेंगे। यह एक मांगलिक कार्यक्रम है, जो एक ऐतिहासिक अवसर है। यह जीवंत मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र से मछुआरों, मछली किसानों, उद्यमियों, अन्य हितधारकों, सरकारी अधिकारियों और उत्साही प्रतिभागियों को एक साथ लाएगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पीएमएमएसवाई की उपलब्धियों और भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग द्वारा कार्यान्वित विभिन्न अन्य योजनाओं को प्रदर्शित करना है। यह कार्यक्रम भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास के लिए केंद्र सरकार के पिछले नौ वर्षों के योगदान और उपलब्धि पर भी प्रकाश डालेगा।
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डॉ. संजीव कुमार बालियान; मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी और सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन, मध्य प्रदेश के मत्स्य पालन और जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट देश में मत्स्य पालन क्षेत्र की योजना और विकास पर अपनी बहुमूल्य जानकारी देंगे। मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी, संयुक्त सचिव सागर मेहरा, संयुक्त सचिव नीतू प्रसाद, मुख्य कार्यकारी/एनएफडीबी डॉ. एल. नरसिम्हा मूर्ति और आईसीएआर के उप महानिदेशक (मत्स्यपालन) डॉ. जेके जेना भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।
राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मत्स्य पालन विभाग के प्रतिनिधि, मत्स्य विभाग, राष्ट्रीय मत्स्य पालन विकास बोर्ड, आईसीएआर संस्थान और अन्य संबंधित विभाग/मंत्रालय के अधिकारी, पीएमएमएसवाई लाभार्थी, मछुआरे, मछली किसान, उद्यमी और देश भर से मत्स्य पालन क्षेत्र में शामिल प्रमुख हितधारकों के इस कार्यक्रम में भाग लेने की उम्मीद है। इस कार्यक्रम का आयोजन मत्स्य पालन विभाग कर रहा है और इसका समन्वय राष्ट्रीय मत्स्य पालन विकास बोर्ड (एनएफडीबी), हैदराबाद कर रहा है।
देश में मत्स्य पालन और जलीय कृषि गतिविधियां भोजन, पोषण और रोजगार सृजन का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं और देश के लगभग 3 करोड़ मछुआरों और मछली किसानों के लिए आजीविका का महत्वपूर्ण साधन हैं। वैश्विक मछली उत्पादन में लगभग 8 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ भारत तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है । जलीय कृषि उत्पादन में वैश्विक स्तर पर भारत दूसरे स्थान पर है। भारत शीर्ष झींगा उत्पादक तथा समुद्री खाद्य निर्यातक राष्ट्रों में से एक है। पिछले नौ वर्षों के दौरान, भारत सरकार ने मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र के समग्र विकास के लिए सुधारात्मक पहल की है। इस दिशा में कुछ प्रमुख पहलों में 5000 करोड़ रुपये के निवेश से नीली क्रांति योजना की शुरूआत के साथ मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाना, और 7522 करोड़ रु. के निवेश लक्ष्य के साथ मत्स्य पालन और जलीय कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर विकास फंड (एफआईडीएफ) का सृजन और उसके बाद जून 2019 में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी के लिए नए मंत्रालय का निर्माण शामिल है।
मार्च 2020 में नीली क्रांति योजना के सफल समापन पर प्रधानमंत्री ने नीली क्रांति की उपलब्धियों को समेकित करने और उत्पादन तथा उत्पादकता को बढ़ाते हुए मत्स्य पालन क्षेत्र को अगले स्तर पर ले जाने और मछुआरों के कल्याण के साथ मत्स्य पालन के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 10 सितंबर, 2020 को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) शुरू की। सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक 5 वर्षों की अवधि के लिए अब तक के सबसे अधिक 20,050 करोड़ रुपये के निवेश से आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्यों को पूरा करने की दृष्टि से इस योजना को शुरू किया गया। मत्स्य पालन विभाग मछली उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने, मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला में बुनियादी ढांचे का विकास करने, देश भर में घरेलू मछली की खपत को बढ़ाने और महत्वपूर्ण रूप से मछुआरा समुदायों की आजीविका और कल्याण को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत विकास के लिए पीएमएमएसवाई लागू कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में मछली उत्पादन और उत्पादकता, प्रौद्योगिकी, जलीय कृषि के बुनियादी ढांचे आदि में महत्वपूर्ण रिक्तता की खामियों को दूर करने पर ध्यान देने के साथ पीएमएमएसवाई योजना शुरू की गई थी। पीएमएमएसवाई के तहत 2020-21 से 2023-24 (अगस्त 2023) तक भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग द्वारा केंद्र प्रायोजित योजनाओं (15,335.09 करोड़ रुपये) और 35 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों को कवर करते हुए केंद्रीय क्षेत्रीय योजनाओं (1,588.93 करोड़ रुपये) को लागू करने के लिए कुल परियोजना लागत 16,924.02 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।
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